” ऐसी बहू हर जनम में मिले ” – अमिता कुचया

औरत कितनी भी पढ़ी लिखी हो, पर परिवार का वंश बढ़ाने के लिए पोता की चाह तो रखती ही है।ऐसी ही कहानी नीना की हैं ,जो कि नीना पढ़ी लिखी है ,और बहू भी सर्विस वाली है ,बहू भी बेटे की पसंद की है। फिर  भी नीना पर पड़ोस और रिश्तेदारों की बात का असर हो ही गया।

नीना ने सोचा कि आज तो मानसी से बात करके रहूंगी।जब किचन में मानसी सब्जी काट
रही थी।तब उन्होंने कहा  – ” पता है मानसी ,बुआ जी के बेटे को शादी हुए एक साल ही हुआ है ,उनकी  बहू के नौवां महीना चल रहा हैं।  तुम ये खुशखबरी कब सुनाओगी?
हमें भी पोता पोती  खिलाने का  मन होता है! इसका सुख  मुझे कब  मिलेगा?”


यह सब सुनकर मानसी ने कहा -“मम्मी जी हमको बच्चा नहीं हो रहा तो हम क्या करें?”

नीना ने कहा-” अगर तुम्हारे में कोई कमी है, तो बता दो या फिर डाक्टर के यहां मेरे साथ चलो। अगर तुम में कोई कमी हुई तो•••••

इतना सुनते ही मानसी ने कहा-” मम्मी आप क्या समझती है!
हमको भी  तो लोगों की बात का बुरा लगता है, लोग  हमसे भी पूछते है कि चार साल हो गए आप लोग बेबी प्लान कब कर रहे हो?तब मैं चुप रह जाती हूं।

आखिर बात क्या है मानसी पक्का तुझमें ही कमी होगी। नीना जी ने कहती चली गई ••••
तो चल न मेरे साथ, चल आज डाक्टर के यहां•••• दूध का दूध, पानी का पानी हो जाएगा।
कि  क्या कमी है, कुछ पता तो चले आखिर क्या कमी है,पता हो ही जाएगा ।अगर तुझमें कोई कमी हुई तो मैं अपने निमेश की दूसरी शादी करा दूंगी। मुझे भी तो पोता खिलाना है। और वंश बढ़ाना है।

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अब तो मानसी के सब्र का बांध टूट गया•••••
फिर उसने कहा-” मम्मी जी हम लोग डाक्टर को दिखा चुके हैं।आप क्या चाहती है। कि घर की इज्जत सबके सामने उछालू।निमेश मेरे पति हैं कमी मुझमें नहीं है बल्कि आपके बेटे निमेश में है उनका स्पर्म वर्क नहीं कर रहा है वो ही पिता नहीं बन सकते हैं।”




आगे फिर वह आंख में आंसू भरते हुए बोलने लगी कि मैं अब क्या करूं?आप जैसा सोचती है वैसा मैं भी सोचूं? मैं मां नहीं बन पा रही तो निमेश को छोड़ दूं? मैं भी दूसरी शादी कर लूं।

मां जी निमेश मेरे पति हैं••••
मैं उन्हें नहीं छोड़ सकती हूं।आपने तो सोचकर  ही  निर्णय भी कर लिया कि आप अपने बेटे की दूसरी शादी कर देगी। मुझे सब पता होते हुए भी चुप  हूं। मैंने सोचा कोई न कोई रास्ता निकाल लेंगे।”मैं हमेशा इसी उलझन में उलझी रहती थी•••

आज आपकी बात सुनकर बहुत दुख हुआ। और आप मेरे बारे में ऐसा सोचती है जैसे मैं ही कसूरवार हूं।

मम्मी जी अब आप को पता चल गया कि आपके बेटे में कमी है।तो आप क्या करेंगी?


बताइए जबाव दीजिए। कुछ तो कहिए अब क्या था अंदर ही अंदर वह बहुत दुखी होने लगी,मम्मी आप भी एक औरत है, कम से कम मेरे बारे में तो सोचा होता!


मैं इस परिवार को अपना घर सब कुछ समझती हूं। मैं भी इस घर का ही एक हिस्सा हूं।मैंने एक देहरी को छोड़कर दूसरी देहरी को अपना मान लिया।आप के शक ने मुझे पराया ही कर दिया।
सब सही कहते हैं कि अपने में कमी नहीं दिखती, पराई घर से आई बहू को दोषी माना जाता है••••

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इतना सुनते ही मानसी की कही बात  नीना को समझ आई।कि कमी तो मेरे बेटे में ही है। मैंने बेकार में बहू को इतना सुना दिया। उन्हें अपने कहे का पछतावा हुआ।

फिर उन्होंने दुखी होकर पछताते हुए कहा-   “मानसी मुझे इतना सब नहीं सुनाना था। बस मेरे अंदर भी दादी बनने की चाह उत्पन्न हो गई थीं बस••••
इसलिए मुझे माफ़ कर दे मानसी ,अब ऐसा सपने में भी नहीं सोचूंगी। फिर मानसी ने नीना को माफ कर दिया और कहा-” क्यों न मम्मी जी हम एक बच्चा गोद ले लें।तो आप दादी बन सकती है और मैं भी मां होने का सुख ले सकती हूं।”




ठीक है मानसी तू सही कह रही है।आज ही निमेश आता है तो मैं उससे बात करुंगी। मानसी तूने तो बहुत अच्छा रास्ता निकाला।इस तरह दोनों ने एक बच्चा गोद लेने का फैसला कर लिया। और निमेश भी इस बात को सुनकर खुश हुआ। और पूछने लगा कि आप लोगों ने अचानक ही ये फैसला कर लिया। मम्मी आप को सब पता है !!!

हां बेटा आज मेरी बेटी जैसी बहू ने मेरी आंखें खोल दी। नहीं तो मैं उसे ही दोषी समझ रही थी।बेटा कितनी भी अनबन हो पर मानसी का हाथ कभी न छोड़ना। मैं तो धन्य हो गई इतनी अच्छी बहू पाकर जो मुझे समझाकर घर संभाल रही हैं।
इस तरह मानसी अंदर से खुश हो गई। कि मम्मी जी को अपने कहे का पछतावा तो है उनकी सोच भी मेरे प्रति बदली हुई लगी, और बच्चा गोद लेने से ही मेरी झोली में भी संतान का सुख होगा।मानसी की भावना को समझकर नीना के अंदर खुशी थी। और खुश होकर उनसे कहने लगी- “अब तो मैं चाहूंगी कि मुझे अगले जनम में तेरे जैसी ही बहू मिले।जो मुझे समझे और समझाए।”


इतना सुनते ही मानसी नीना जी के गले लग गई।

दोस्तों-हम दूसरों की सोच के कारण ही दुखी होते हैं और अपनों को दुखी करते हैं। अगर शब्द सोच समझकर बोले जाए।तो कभी भी हम दुखी नहीं हो सकते। परिवार में एक दूसरे को समझकर ही कोई निष्कर्ष पर पहुंचना चाहिए। क्योंकि कमी कोई में भी हो सकती है चाहे लड़का हो या बहू•••इसलिए सदा सोच समझकर बात करनी चाहिए।

दोस्तों- ये रचना कैसी लगी? कृपया अपने विचार और अनुभव व्यक्त करें। रचना पसंद आए तो लाइक, शेयर एवं कमेंट भी करें। मेरी और भी रचनाओं को पढ़ने के लिए मुझे फालो करें।

#बहु 

धन्यवाद 

आपकी अपनी दोस्त

अमिता कुचया

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