“अगला पड़ाव” – सीमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

Post View 355 बस में बैठी विजया ने दोनों हाथों से खिड़की थाम ली है, “बाहर कुछ भी तो नहीं बदला है, सब कुछ वैसा ही है, जैसा बार-बार मुझे स्मरण होता रहा है।” साथ बैठे लड़के ने उसकी ऑंखों में दुनिया भर की अजीबोगरीब प्यास भरी हुई देख कर, “क्या सोच रही हैं? आपके … Continue reading “अगला पड़ाव” – सीमा वर्मा : Moral Stories in Hindi