अधूरी प्रेम कहानी (भाग 6) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral : रवि अपनी मां को बेहद प्यार करता था। उसकी मां ने बहुत कष्ट झेले थे। इसलिए रवि सारे पैसे मां को पकड़ा  देता।डेरी के पैसे , शहर वाले मकान का किराया और फसल के सारे पैसे रवि अपनी मां को ही देता था।मां से पैसे संभाले ना बने । 3 साल पहले यह परिवार बदहाली में था ।लाखों रुपए का कर्जा था सर पर ।लेकिन अब उनके पास पैसे जमा हो गए थे ।यह सब रवि की मेहनत के कारण हुआ था। रवि  की मां रवि पर बहुत खुश थी। वह भगवान से प्रार्थना करती के रवि जैसा बेटा हर घर में हो।

रवि की रोहतक एडमिशन हो गई। पर वह कंफ्यूज था वह जाए कि ना जाए । वह रोहतक जाकर इंजीनियरिंग करें जा अपनी बीए पूरी करें। रोहतक वह इसलिए भी नहीं जाना चाहता था । क्योंकि वह अपनी मां और सिमर से दूर नहीं होना चाहता था । उसने मां से पूछा मां ने भी रोहतक जाने की सलाह दी। फिर वो शहर सिमर के पास गया सिमर ने भी उसे रोहतक जाने की ही सलाह दी । रवि ने बहाना बनाया उसकी एक साल में बीए हो जाएगी अगर वह रोहतक चला गया उसके 3 साल खराब हो जाएंगे। पर  सिमर ने उससे कहा वह एक साल प्राइवेट पेपर देकर बीए कर सकता है।

उसको इंजीनियरिंग करनी चाहिए। दोनों से सलाह करने के बाद रवि ने रोहतक जाने का फैसला कर लिया। रोहतक में रवि कुछ दिन मामा जी के घर रहा ।मामा जी का एक छोटा सा घर था । मामा जी के चार बच्चे थे दो बेटियां और दो बेटे। मामा जी के भाई की लड़की भी मामा जी के पास ही रहती थी । मामी जी का स्वभाव भी बहुत अच्छा था ।रवि उसे आंटी जी कहता था। एक हफ्ते के बाद रवि ने  हॉस्टल में कमरा ले लिया।एक हफ्ते के बाद रवि ने अपने गांव वापस जाना था। रोहतक से रात की गाड़ी में बैठ कर रवि सुबह तक गांव पहुंच गया।

उसने गांव पहुंचते ही एक रजिस्टर लगाया। उसमें पूरे 15 दिनों का काम लिख दिया ।और अपने छोटे भाई को जो 9th क्लास में पढ़ता था को पकड़ा दिया ।और कहां हर रोज रजिस्टर देख कर मजदूरों को खेत का काम बता दे।वह शहर गया सिमर को मिलने के लिए। उसने सिमर को आंटी जी का एड्रेस दे दिया जो सिमर उसे खत लिख सके। वो रात की गाड़ी से रोहतक पहुंच गया ।

रवि को यह बात बढ़िया लगी के वह एक ही रात में रोहतक से सुबह गांव पहुंच सकता था। और गांव से एक ही रात में सुबह रोहतक पहुंच सकता था। रवि हॉस्टल के कमरे में पहुंच गया। गंगानगर से बलदेव बराड़ उसका रूममेट था । हॉस्टल में ज्यादा लड़के पंजाब और गंगानगर से थे ।रवि की एक-दो दिन में सभी से दोस्ती हो गई  रवि का यहां दिल नहीं लग रहा था कभी उसे मां की याद आती कभी वह सिमर को याद करता  कभी उसे अपने खेतों की याद आती पढ़ाई में उसका मन नहीं लग रहा था । एक दिन सुबह  हॉस्टल में शोर मचने लगा।

भैरो सिंह आ गया भैरो सिंह आ गया ऐसा शोर हो रहा था। रवि और बलदेव को समझ नहीं आई के यह भैरो सिंह कौन है।भैरो सिंह ने सभी लड़कों को मैस में इकट्ठा कर लिया।भैरो सिंह एक ऊंचा लंबा  हटा कटा नौजवान था ।वह कुर्सी पर बैठा था । उसके 2 साथी साथ खड़े थे ।उसने एक लंबा सा चाकू अपने सामने पड़ी मेज पर रखा था। उसके एक साथी ने सभी लड़कों को हुकुम किया के वह सभी 50, 50  रुपए निकाल कर टेबल पर रखें।रवि समेत सभी लड़कों ने 50,50 रुपए निकाल कर टेबल पर रख दिए। उसके साथी ने पैसे इकट्ठे किए और जेब में डाल  लिए ।

और जाते वक्त अगले महीने फिर आने की बात कह गए।रवि को यह हिंदी फिल्मों वाला वाला हफ्ता वसूल लगा। रवि ने  सभी लड़कों को इकट्ठा किया और इस गुंडागर्दी का विरोध करने को कहा। रवि उम्र में सबसे बड़ा था। वह 3 साल  कॉलेज में लगा कर आया था। और बाकी लड़के मैट्रिक के बाद आए थे। पर कई लड़कों का मानना था के हम बाहर से यहां पढ़ने आए हैं ।वैसे भी इतने पैसे खर्च करते हैं 50 ₹ और सही। पर रवि ने समझाया हमें इस गुंडागर्दी का विरोध करना है ।15 दिनों में सिमर के तीन खत आए। 

दो हफ्तों के बाद वैसे भी रवि ने गांव जाना था । क्योंकि वह सिर्फ 15 दिनों का काम ही रजिस्टर पर लिख कर आया था । वह गांव गया उसने रजिस्टर पर अगले दो हफ्तों  का काम लिखा। डेरी का हिसाब किया। शहर जाकर सिमर से मिला और रात की गाड़ी बैठकर रोहतक आ गया। रवि के कॉलेज का रिजल्ट आ गया था। वह सभी अच्छे नंबरों से पास हुए ।सबसे खुशी की बात यह थी सिमर और मनजीत की बीए हो गई थी । रवि ने बहुत जोर लगाया कि सिमर M.A. में एडमिशन ले ले पर वह नहीं मानी। मनजीत ने M.A. में एडमिशन ले ली थी।

सिमर के भाई की बदली वापस उसी शहर में हो गई। वह अब परिवार समेत सिमर और उसकी मां के साथ रहने लगा। सिमर के लिए वक्त काटना बहुत मुश्किल था। उसने मोहल्ले के दो तीन बच्चों को घर बुलाकर पढ़ाना शुरू कर दिया। वह हर रोज रवि को खत लिखती। इतने खत देख कर मामी जी भी बहुत हैरान हुई। उधर एक महीने बाद भैरो सिंह भी आ गया मगर इस बार भैरो सिंह को हॉस्टल में आना  महंगा पड़ा। रवि ने सभी लड़कों को  गुंडागर्दी का विरोध करने के लिए तैयार कर लिया था। सभी ने अपनी-अपनी  स्टिक्स कमरों में रखी थी ।

रवि ने भैरो सिंह का चाकू टेबल से उठाकर उसको जोर से थप्पड़ लगाया।भैरो सिंह को चक्कर आ गया अरे वह नीचे गिर गया। बाकी लड़कों ने भैरो सिंह के दोनों साथियों की खूब पिटाई की।भैरो सिंह और उसके साथियों ने भाग कर जान बचाई। भैरो सिंह ने उठ कर जैसे ही भागने की कोशिश की रवि ने उसेे गले से पकड़ा और उसका चाकू उसकी जेब में डाल दिया ।और उसेे आगे से कभी भी हॉस्टल ना आने की सलाह दी। सभी लड़कों ने रवि के कहने पर यह काम तो कर दिया। पर वह डर रहे थे कहीं भैरो सिंह और लड़के लेकर हॉस्टल ना आ जाए।

रवि ने उन्हें हौसला दिया उसने कहा “हम भी तो कितने हैं ।ऐसे कैसे  वह दोबारा आ जाएगा”।अब रवि इन सभी का रिंग लीडर बन गया। कई दिन के इंतजार के बाद भी भैरो सिंह वापस नहीं आया। पढ़ाई के साथ-साथ रवि दो हफ्तों बाद गांव जाना नहीं भूलता था। सिमर के खत पढ़ने और उनका जवाब देना  उसका रोजमर्रा का काम हो गया था। उसके पहले सेमेस्टर के पेपर आ गए थे।

यहां सेमेस्टर सिस्टम था । मई और नवंबर मैं पेपर होते थे । पेपरों के बाद रविे एक महीना फ्री हो गया और वह गांव आ गया । उसने कपास की चुगाई कराई और गेहूं की बुवाई कराई ।  उधर सिमर ने बिना कुछ किए छे महीने निकाल दिए । रवि को याद करने के सिवाय उसके पास और कोई काम नहीं था । वह एक दिन मनजीत को मिलने कॉलेज गई कॉलेज जा कर तो उसका मन और भी उदास हो गया। रवि के साथ बिताए पल उसेे याद आ गए।

वह जल्दी ही वापस आ गई। रवि से उसकी दूरी ने उसको बिलकुल उदास कर दीया । उसके मन की उदासी उसके चेहरे से साफ झलकती थी ।रवि उसे शहर मिलने आया। उसकी यह हालत देख कर वह भी घबरा गया।” क्या हो गया तूने कैसी हालत बनाई है”

“मेरी यह हालत तेरे बिछड़े ने बनाई है। मैं तेरे बिना नहीं रह सकती । रवि प्लीज मुझे भी अपने साथ ले चलो।मैं भी डिप्लोमा कर लूंगी।”  सिमर ने कहा।उसकी बात सुनकर रवि हंसने लगा । “पगली वे डिप्लोमा लड़कियों के लिए नहीं है “

रवि ने उसको हौसला दिया।

सिमर को रवि का हौसला नहीं रवि का साथ चाहिए था।

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 7) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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