short story with moral : यूथ फेस्टिवल इसी कॉलेज में होना था। इसलिए बहुत सारा काम था । रवि और उसके दोस्तों ने सर की बहुत मदद की । रिहर्सल वाले दिनों में रवि सिमरन और मनजीत की आपस में अच्छी दोस्ती हो गई । यूथ फेस्टिवल शुरू हो गया था ।यूथ फेस्टिवल दो दिन चलना था पहले दिन गीत, डांस ,स्किट, रंगोली, पेंटिंग और पोस्टर मेकिंग के मुकाबले थे । रवि की सुरीली आवाज ने लोकगीत मुकाबला जीत लिया। उसकी स्किट इंसान भी पहले नंबर पर रही। दूसरे दिन भंगड़े और गिद्दे के मुकाबले थे ।
इस कॉलेज का गिद्दा फेस्टिवल की आखिरी आइटम थी । इस आइटम ने सारा मेला लूट लिया और रवि की सुरीली आवाज ने पूरे हाल को मगन मुक्त कर दिया । सारा हाल तालियों से गूंज उठा इस कॉलेज का गिद्दा पहले नंबर पर आया । ओवरऑल ट्रॉफी इसी कॉलेज के पास रही। गिद्दा और रवि का गीत यह दो आइटम यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल के लिए चुनी गई । स्टेज से उतरते ही अमनदीप सर ने खुशी में रवि को और दिलप्रीत मैडम ने सिमर को कलावे में ले लिया। अब यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल की तैयारी शुरू हो गई रिहर्सल का टाइम इस बार पहले की तरह ही रखा गया।
मुसीबत तब पड़ी जब यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल की तारीखों का ऐलान हुआ। यह नवंबर का महीना था। इसी महीने में रवि के खेतों में कपास की बुवाई का काम चल रहा था वह बहुत बिजी था। इसलिए उसने जाने से इंकार कर दिया। पूरे कॉलेज में हड़कंप मच गया ।रवि के बिना वहां जाना संभव नहीं था। एक आइटम तो उसकी अपनी थी दूसरी आइटम में वह प्लेबैक सिंगर था। इस समस्या का हल अमनदीप सर ने निकाला ।
रवि के गांव के दूसरे लड़के को सर ने कहा के वह रवि के खेतों की देखभाल करेगा और रवि कॉलेज के लिए ट्रॉफी लेकर आएगा।यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल शुरू होने से एक दिन पहले अमनदीप सर की अगुवाई में गिद्दे की पूरी टीम और रवि मिनी बस में बैठकर यूनिवर्सिटी के लिए रवाना हो गए । सिमर रवि के साथ वाली सीट पर बैठ गई । क्योंकि सारी बस में तीन ही मेल मेंबर थे अमनदीप सर और रवि और एक क्लास फोर इसलिए अमनदीप सर ने सिमर से कहा
“सिमर आप मैडम के साथ बैठ जाओ मैं यहां बैठता हूं” लेकिन सिमर ने कहा “हम तो यही बैठेंगे आप यहां मर्जी बैठे” और वह हंस पड़ी।सर कुछ नहीं बोली और चुपचाप जाकर दूसरी सीट पर बैठ गए । हंसते खेलते कब यूनिवर्सिटी पहुंचे पता भी नहीं चला। उनकी आइटम अगले दिन थी । इसलिए सिमर चाहती थी कि यूनिवर्सिटी में रवि का हाथ पकड़कर घूमे । रवि ने मना कर दिया सिमर , रवि और मनजीत बाहर घूमने चले गए ।वहीं उन्होंने खाना खाया वापस अपने अपने हॉस्टल में आ गए ।यूनिवर्सिटी यूथ फेस्टिवल में भी दोनों आइटम पहले नंबर पर रही।जब टीम वापस कॉलेज पहुंची तो जश्न का माहौल था। अब रवि और सिमर एक दूसरे से बात कर लेते थे । एक दिन सिमर ने मौका देख कर रवि से कहा मनजीत भी उसके साथ थी
“मैं तेरे से एक बात करना चाहती हूं”
“हां बोलो”
“रवि मैं तुम्हें बहुत प्यार करती हूं ।मेरी जिंदगी में तुम पहले और आखरी इंसान हो।मैं तुमसे शादी करना चाहता हूं ” सिमर ने यह सब कुछ एक ही सांस में बोल दिया ।
“नई सिमर हम एक बढ़िया दोस्त है। मैं तेरे को अंधेरे में नहीं रखना चाहता मेरे सिर पर बहुत ज्यादा जिम्मेवारी हैं मैंने अभी अपने बारे में कुछ नहीं सोचा मैं नहीं चाहता कि मेरे साथ तू भी कोई मुसीबत मोल ले”
“मैं तेरी मुसीबत नहीं तेरा सहारा बनना चाहती हूं”
“सिमर प्लीज मुझे गलत मत समझना”
“मैं तेरे बिना नहीं जी सकूंगी अगर तुम नहीं माने तो तेरी कसम मैं अपनी जान दे दूंगी” ।
“प्लीज सिमर मुझे समझने की कोशिश करो मुझे मेरे रास्ते से मत भड़काऊ”
“नहीं रवि मैं तेरा सहारा बनना चाहती हूं ।तेरे साथ चलना चाहती हूं। तू जैसे भी रखेगा मैं वैसे रहना चाहती हूं ” सिमर विनती कर रही थी ।
“भैया यह सच कह रही है । यह सारा दिन तेरा ही नाम लेती रहती है” मनजीत ने हामी भरी ।
“ठीक है फिर अगर मैं साथ ना दे सका। तो कहना मत”
रवि ने हामी भर ली । सिमर की खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। साल का अंत आ गया था क्लासे लगनी बंद हो गई थी ।सभी विद्यार्थी घर बैठकर पेपरों की तैयारी कर रहे थे । यह समय सिमर के लिए बहुत मुश्किल था । क्योंकि रवि अब अपने गांव में ही रहता था।उसकी फसल की कटाई थी और दूसरी फसल की बुवाई भी साथ थी। रवि ट्रैक्टर पर बैठकर ही अपनी पढ़ाई करता था। पर यह समय सिमर के लिए बहुत मुश्किल था । उसने कई खत रवि को लिखें पर रवि ने सिर्फ एक ही खत का जवाब दिया । रवि के पास टाइम नहीं था। वे खेती के काम के साथ-साथ पढ़ाई भी करता था।सिमर उसे मिले बिना नहीं रह सकती थी।सिमर ने एक स्कीम बनाई । वह अपनी पढ़ाई के बहाने एक दिन के लिए मनजीत के नानके मतलब रवि के गांव चली गई। अचानक सिमर को सामने देखकर मनजीत बहुत हैरान हुई पर उसे इस बात की खुशी भी थी की सबसे प्यारी सहेली उसके घर आई है । मनजीत उसे अपने ऊपर वाले कमरे में ले गई।धीरे धीरे सिमर ने मनजीत को अपने आने का कारण बताया।
“अच्छा जी ! तू मुझसे नहीं अपने रांझा से मिलने आई है”
सिमर ने हां में सिर हिलाया और गाने लगी
” बिछड़े यार मिला दे नंदे मेरी ए”
दोनों सहेलियां गले मिली और खुलकर हंसने लगी। सिमर मनजीत को लेकर रवि के घर जाना चाहती थी।पर सिमर के इस पागलपन ने मनजीत को डरा दिया था। उसने सिमर को समझाया
“मेरे घर तक तो ठीक है लेकिन हमारा उनके घर जाना ठीक नहीं । मैं भी कभी उनके घर नहीं गई “।
पर सिमर कहां मानने वाली थी उसने मनजीत को मजबूर कर दिया। वह सिमर को लेकर रवि के घर चली गई ।रवि का घर बहुत बड़ा था बहुत सारी भैंस खड़ी थी। रवि घर पर नहीं था । उसकी मां ने बताया वह खेत गया है शाम को वापस आएगा ।सिमर बहुत निराश हुई वह चाय पीकर वापस आ गई। मनजीत के घर वापस आकर सिमर जोर से रोने लगी।वह रवि को देखना चाहती थी । मनजीत ने उसे हौसला दिया और कहां उसे देखने का एक और रास्ता भी है।
“वह शाम को अपने ऊपर वाले कमरे में बैठकर पड़ता है वह सामने देखो उसका कमरा है”
सिमर तो बस एक ट्रक उसी कमरे की तरफ देख रही थी और शाम होने का इंतजार कर रही थी। उसे रवि के आने का इंतजार था ।शाम होने को आई लेकिन रवि नहीं आया।
ाय अगर वह ना आया तो” सिमर ने निराश होकर कहां ।
“वह आएगा जरूर हर रोज आता है आज भी आएगा। तू हौसला रख” मनजीत ने कहा। उनका इंतजार खत्म हुआ और वह आ गया ।उसको देखते ही सिमर तो पागलों की तरह हाथ हिलाने लगी। रवि ने उसकी तरफ देखा तक नहीं वह चुपचाप अपनी पढ़ाई कर रहा था।
“वह तो हमारी तरफ देखता भी नहीं”
“अब उसे क्या पता कि तू आई है”
“फिर उसे कैसे पता चलेगा” सिमर ने कहा ।
मनजीत एक थाली और चम्मच लेकर आई ।
“हम इसे जोर-जोर से बजाते हैं उसका ध्यान हमारी तरफ हो जाएगा “
वह दोनों काफी देर तक थाली और चमचा बजाती रही। लेकिन रवि ने उनकी तरफ नहीं देखा।अब अंधेरा होना शुरू हो गया था। रवि ने अपने कमरे की लाइट जलाई। सिमर ने भी लाइट जलाई उसने दो-तीन बार ऐसा किया ।अचानक रवि का ध्यान उनकी तरफ हो गया । जैसे ही रवि ने उनकी तरफ देखा सिमर ने जोर से हाथ हिला दिया। रवि समझ गया था सिमर ही है। उसने भी एक दो बार ऐसा किया फिर तो सिलसिला शुरू हो गया जो काफी देर तक लाइट बंद करके जलाते रहे । रवि काफी देर तक पड़ता रहा सिमर और मनजीत उसे देखती रहे।दूसरे दिन सिमर ने वापस जाना था । वह रवि से मिलना चाहती थी।पर मनजीत ने दोबारा रवि के घर जाने से इंकार कर दिया। अचानक रवि की आवाज आई वह मंजीत के घर आया था।
“चाचा जी आप घर में ही हो” उसने मनजीत के मामा जी को आवाज लगाई।
“हां बेटा घर में ही हूं आ जाओ” मनजीत के मामा जी ने कहां ।रवि अंदर आ गया उसने मनजीत से कॉपी लेने का बहाना बनाया । मनजीत के मामा जी ने मनजीत को आवाज लगाई। मनजीत के साथ सिमर भीआ गई । मनजीत भी समझ गई थी आग दोनों तरफ लगी है। उसे पता था कॉपी का तो बहाना है दरअसल रवि सिमर से मिलने ही आया था ।वह दोनों सहेलियां कॉपी लेने वापस चली गई। सिमर ने फटाफट एक कागज पर कुछ लिखा और कॉपी में रख दिया। रवि कॉपी लेकर घर से बाहर आ गया । उसने कागज पड़ा उस पर लिखा था मैं दोपहर की बस से वापस जा रही हूं। रवि ने भी घर आकर शहर जाने का प्रोग्राम बना लिया । और वह उसी बस से सिमर के साथ ही शहर चला गया। वे दोनों एक ही सीट पर बैठ कर गए और रास्ते में खूब बातें की।पेपर शुरू हो गए थे पेपर के बाद वह घंटों पार्क में बैठकर बातें करते रहते। रवि को लग रहा था वह गलत काम कर रहा है ।यह उसकी मंजिल नहीं थी पर वह दिल के हाथों मजबूर था।पेपर खत्म हो गए और वह कई महीनों के लिए फिर बिछड़ गए। सिमर उसे चिट्टियां लिखती रही रवि भी उस की चिट्टियां का जवाब देता।
कहानी का बाक़ी हिस्सा अगले भाग मे
अधूरी प्रेम कहानी (भाग 4) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral
– लखविंदर सिंह संधू