अधूरी प्रेम कहानी (भाग 13) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

short story with moral : रवि की ठेकेदारी के काम में बिल्कुल रुचि नहीं थी। यह काम उसके लेवल का नहीं था । उसने आगे और काम नहीं लिया और वह गांव वापिस आ गया । उसने कई जगह नौकरी के लिए विनय पत्र दिया ।एक सरकारी आधारे ने उसे इंटरव्यू के लिए बुला लिया। उसकी इंटरव्यू बहुत बढ़िया हुई उसे पूरी उम्मीद थी कि उसे यह नौकरी जरूर मिल जाएगी। एक महीने बाद रवि को उसी आधारे पत्र मिला पत्र पढ़ कर उसकी खुशी का ठिकाना न रहा। उसे नौकरी मिल चुकी थी। आज वह बहुत खुश था।

रवि को नौकरी मिलने पर रवि का पूरा परिवार ही बहुत खुश था । वो परिवार का पहला सदस्य था जिसे सरकारी नौकरी मिली थी। यह खुशखबरी व सिमर से सांझी करनी  चाहता था ।उसने मोटरसाइकिल उठाई और शहर चला गया ।उसकी यह बात सुनकर सिमर भी बहुत खुश हुई ।रवि ने अपनी नौकरी ज्वाइन कर ली ।यहां उसे नौकरी मिली वो यहां से थोड़ी दूर था । मगर रवि के लिए कोई दूर नहीं था। वह छुट्टी वाले दिन गांव आता सिमर से भी मिलता । रवि की बहन को भी रिश्ता मिल गया था । लड़के को बहुत ज़मीन आती थी।

उन लोगों की बस है एक ही शर्त थी के शादी बढ़िया होनी चाहिए । यह शर्त रवि की मां ने मंजूर कर ली । रवि की बहन का शगुन  हुआ जिस ढंग से रवि की मां ने शगुन पे कपड़े और गहने दिए लड़के वाले समझ गए थे कि शादी किस ढंग से होने वाली है । रवि की बहन के ससुराल वाले बहुत खुश थे । इधर रवि की मां बहुत ज़्यादा खुश थी। उसे अपनी लड़की के लिए उसकी पसंद का घर मिला था ।उधर सिमर के भाई ने भी सिमर के लिए एक लड़का देखा। उसने पहले सिमर की मां से बात की।

मां ने उसके भाई को रवि वाली बात नहीं बताई बस इतना कहा कि पहले सिमर से पूछ लो। जब उसके भाई ने सिमर से पूछा उसने शादी के लिए ना कर दी। रवि की मां ने रवि की बहन की शादी की तैयारियां शुरू कर दी।रवि की मां की एक सहेली थी। जब वो शहर में रहते थे तो उनकी पड़ोसन थी। एक बार वह बहुत ज्यादा बीमार हो गए थी। रवि की मां ने उसकी बहुत सेवा की थी। तब से वो रवि की मां को अपनी बहन की तरह मानती थी । जब रवि और उसका परिवार गांव आ गया तो वो गाँव में कई बार आई ।

जब भी वो गाँव आती मां उसकी बहुत सेवा करती। उसको जाने के वक्त काफी समान  देकर भेजती। रवि और उसके भाई बहन उसको मासी जी बोलते। उसने रवि की मां को गरीबी से उठकर यहां तक पहुंचते देखा था । उसी मासी जी के जीजा जी की मौत हो गई। उनके चार लड़कियां ही लड़कियां थीं । उनमें से तीन शादी के काबिल थी । मां भी अफ़सोस करने गई। एक दिन मासी जी रवि के गांव आईं और रवि की मां से रवि का रिश्ता अपनी भांजी के लिए मांग लिया । रवि की मां ने पूछा उनके पास कितनी जमीन है।

“बीस एकड़ है वो भी शहर की” मासी जी ने बताया । यह बात सुनकर रवि की मां तो बहुत खुश हो गई ।उसने हिसाब लगाया कि उस लड़की को पाच एकड़ ज़मीन आती है।रवि की मां ने झट से रिश्ते को हां बोल दी।मासी जी ने कहा रवि से तो पूछ लेती।

“वह मुझसे बाहर थोड़ी है” रवि की मां ने कहा ।अब जब छुट्टी वाले दिन रवि गांव आया तो मां ने उसे सारी बात बताई । रवि ने एकदम मां को ना बोल दी ।उसने दलील दी कि पहले बहन की शादी होगी उसके बाद मेरे रिश्ते के बारे में सोचा जाएगा। रवि ने अभी भी मां को सिमर की बात नहीं बताई ।उसे लग रहा था कि इतनी जल्दी रिश्ता थोड़ी हो जाता है। वह धीरे धीरे मां को सारी बात बता देगा ।

वह अपनी ड्यूटी पर चला गया । उसके जाने के बाद मां ने शगुन की तारीख पक्की कर ली। रवि के मां बाप और मामा मामी मासी जी के घर जाकर शगुन कर आए।लड़की के दोनों मामा बड़े अफसर थे । वे दोनों भी परिवार समेत वहां मौजूद थे ।लड़की के बड़े मामा ने एक बार रवि की मां को कहा अगर लड़के को भी साथ ले आते तो अच्छा था।

रवि की मां ने कहा “भाई साहब हमारे यहां मां बाप ही शगुन करते हैं ” रवि की मां की यह बात लड़की के मामा जी को बहुत पसंद आई । रवि जब छुट्टी वाले दिन घर आया तो मां ने उसको शगुन की सारी बात बता दी । और लड़की की फोटो उसके सामने रख दी । रवि तो गुस्से से लाल पीला हो गया । उसने इस रिश्ते से साफ इनकार कर दिया। उसने मां को बताया कि वो किसी और लड़की को पसंद करता है ।

रवि ने जोश में आकर मां को सिमर की एक एक बात बता दी। रवि की बात सुनकर मां का गुस्सा सातवें आसमान पर चढ़ गया । “हमने तेरे पर विश्वास किया और तू ये गुल खिलाता रहा । तेरे को शर्म न आई । पहले तेरे बाप ने मुझे कम दुख दिए थे वे कम थे जो तु भी शुरू हो गया।” मां ने जोर जोर से रोना शुरू कर दिया।

“मां मैंने उसे वादा किया है। वो पिछले दो साल से मेरा इन्तजार कर रही है” रवि ने तरला किया।

“तुझे शर्म नहीं आई ये बात करते हुए। मैं एक चपड़ासी की बहन का रिश्ता लूंगी।जिसका दूसरा भाई ट्रक ड्राइवर। किराए के मकान पर बैठे हैं ।यह खानदान है उनका ।”

रवि की मां लगातार बोल रही थीं।

“मैं उस लड़की को बहुत प्यार करता हूं मां वो भी मुझे बहुत प्यार करती है। मैं उसके बिना नहीं रह पाऊंगा मां।” रवि मां के आगे गिड़गिड़ाया।

“अछा अपनी मां के बिना रह सकता है तू । जिसने तुझे पाल पोसकर इतना बड़ा किया । बेवकूफ तेरी मां तेरे लिए बड़े घर का रिश्ता ले कर आई हैं।  लड़की के मामा बड़े अफसर हैं।लड़की को पाच एकड़ जमीन आती है और वो भी शहर की ।और तू उन गरीबों के साथ रिश्ता जोड़ना जाता है । जिनका यह भी नहीं पता कि वो हमारी बिरादरी के हैं भी के नहीं ।मेरी लड़की के ससुराल वाले क्या कहेंगे ।

सरकारी नौकरी करता ज़मीन जायदाद वाले खानदानी लड़के की शादी आप ने कहा कर दी । हमारे गांव वाले क्या कहेंगे।मैं अपने भाइयों को क्या बताऊंगी।” रवि की मां लगातार बोले जा रही थी । रवि ने अपनी मां की बहुत मिन्नतें की गिड़गिड़ाया पर उसकी मां ने उसकी एक न सुनी । मां ने अपना फैसला सुना दिया “या तू हमें चुन जां उस लड़की को”।  “मैंने उससे वादा किया है । वो पिछले दो साल से मेरा इन्तजार कर रही है”

“तुम उसके भाई को दस बीस हजार पकड़ा और उसे कह के वो अपनी बहन की शादी कहीं और कर दें। लड़कों से जवानी में सो बार भूल हो जाती है।”

मांं की यह बात रवि का सीना चीर गई । मां ने उसकी सिमर की उसके प्यार की कीमत लगा दी थी। इसके आगे वह कुछ न बोल सका।उसे समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करे। जिस मां के लिए वो अपनी जान तक दे सकता था । उसी मां ने उसके प्यार को गाली दी। उसने पिछले सात साल में सख्त मेहनत करके इस घर को बनाया। पर मां ने एक पल में उसकी सारी मेहनत पर पानी फेर दिया ।

उसने क्या कसूर किया उसको ये बात समझ में नहीं आ रही थी ।उसने सिर्फ प्यार ही तो  किया है और क्या गलती की। अगर सिमर के मां बाप ग़रीब हैं तो उसमें उसका क्या दोष है। वह पढ़ी लिखी है नौकरी करती है । रवि बहुत दुखी हुआ वह शहर सिमर से मिलने चला गया। उसने मां द्वारा कही एक एक बात सिमर को बताई ।उसकी बात सुनकर सिमर भी बहुत रोई ।

“अब क्या होगा हमारा”

” सिमर हमारे पास अब सिर्फ दो ही रास्ते हैं । पहला ये कि हम भागकर शादी कर लें । और दूसरा ये कि दोनों इकट्ठे सुसाइड कर लें”

रवि ने सिमर को अपने मन की बात बता दी ।

“मैं अपनी ड्यूटी पर जा रहा हूँ ।अगले रविवार को आऊंगा। फ़ैसला तूने करना है । हमारे भविष्य का फैसला तेरे हाथ में है जो भी फैसला करेगी मुझे मंजूर होगा।” इतना कहकर और रवि अपनी ड्यूटी पर चला गया ।

 सिमर को भी यह सदमा बर्दाश्त करना मुश्किल था । रवि के सिवाय किसी और के बारे में सोचना भी उसके लिये पाप था । उसने सोचना शुरू किया के आखिर कसूर किसका है। सबसे पहले उसने अपने बारे में सोचा। उसको लगा कि उसकी  कोई गलती नहीं है ।उसने तो रवि से सच्चा प्यार किया है । प्यार करना कोई गुनाह नहीं। उसने रवि की हर बात पर फूल चढ़ाएं। अगर मेरा जन्म गरीब परिवार में हुआ है इसमें मेरा कोई दोष नहीं ।फिर उसने रवि के बारे में सोचा उसने कोई गलती की है। रवि का तो कोई कसूर हो ही नहीं सकता ।

उसने तो मुझे मुझसे भी ज्यादा प्यार किया है ।उसने मेरे परिवार का भी ख्याल रखा । मैं बीए भी नहीं करना चाहती थी ।पहले उसने मुझे   बीए कार्रवाई फिर उसने मुझे बीएड करवाई । मेरा कितना ख्याल रखा उसने मुझे कोई भी मुश्किल नहीं आने दी । मेरे लिए उसने अपनी मां से झगड़ा किया ।अब भी वह मेरे लिए सब कुछ छोड़ने को तैयार है ।उसकी कोई गलती नहीं है ।

फिर सिमर ने रवि की मां के बारे में सोचा । उसको रवि की मां की भी कोई गलती नजर नहीं आई । मां ने जो एक एक लफ्ज कहा वो सब सच था ।रवि की मां ने कुछ भी तो गलत नहीं कहा। फिर गलती किसकी है सिमर को समझ नहीं आ रही थी। शायद हमारे कर्मों का दोष है ।हम एक दूसरे के लिए नहीं बने। भगवान शायद हमारी यह प्रेम कहानी अधूरी रख कर किसी और जन्म में पूरी करेंगे ।उसने सोचा अगर वह रवि की ज़िंदगी से निकलने का फैसला भी कर लेगी तो रवि नहीं मानेगा ।जैसे मैं रवि के बिना नहीं रह सकती रवि भी तो मेरे बिना नहीं रह सकेगा।वो फैसला करे तो क्या करे उसकी समझ में नहीं आ रहा था ।

कहानी का बाक़ी  हिस्सा अगले भाग मे

अधूरी प्रेम कहानी (भाग 13) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral

– लखविंदर सिंह संधू

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