short story with moral : बघेल सिंह अपने चार भाइयों में सबसे छोटे थे। बघेल सिंह के पिता के पास सिर्फ 20 एकड़ जमीन थी । बघेल सिंह के तीन बहने भी थी सभी की शादी हो चुकी थी। सारे परिवार में सिर्फ बघेल सिंह ने हीं मैट्रिक की थी ।बघेल सिंह के चार बच्चे थे दो लड़के और दो लड़कियां । बघेल सिंह का बड़ा लड़का और बड़ी लड़की स्कूल नहीं गए बस बस दोनों छोटे बच्चे ही स्कूल में पढ़ते थे ।
सिमर बघेल सिंह की सबसे छोटी बेटी थी । बघेल सिंह का परिवार बड़ा था इसलिए घर का गुजारा करना मुश्किल था। बघेल सिंह ने शहर जाकर नौकरी करने का मन बनाया। गांव के सरपंच की जान पहचान के चलते बघेल सिंह को शहर में चपरासी की नौकरी मिल गई पहले आरजी तौर पर और फिर धीरे-धीरे पक्का हो गया।
बघेल सिंह ने परिवार समेत शहर में रहने का मन बना लिया। उसने शहर में एक किराए का मकान ले लिया और अपने बड़े बेटे को अपने साथ ही काम पर लगा लिया ।छोटे दोनों बच्चे शहर में स्कूल में पढ़ने लगे ।बघेल सिंह की पत्नी ने सिलाई का काम शुरू कर दिया और बड़ी लड़की घर का काम करती थी ।
सारा परिवार मिलकर मुश्किल से घर का खर्चा चलाता था। सिमर सबसे छोटी होने के कारण सबकी लाडली और पढ़ाई में बहुत तेज थी ।उसका छोटा भाई दसवीं में फेल हो गया और वह ट्रक में कक्लीनर लग गया ।लेकिन सिमर ने दसवीं बहुत अच्छे नंबरों से पास की उसके पिता ने उसको कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया ।
सिमर एक बहुत ही खूबसूरत लड़की थी पतला पतला शरीर लंबा कद गोरा रंग और तीखे नैन नक्श वाली लड़की पूरे कॉलेज में सबसे सुंदर लड़की थी। कॉलेज में जाते ही सिमर गिद्दे की टीम में सेलेक्ट हो गई एक साल बहुत अच्छा गुजरा कॉलेज में । उसने बहुत अच्छे नंबर लिए और और गिद्दे की टीम ने भी अच्छी पोजीशन हासिल की ।
सिमर की बड़ी बहन की शादी हो गई । लड़का साथ के शहर में अपने ट्रैक्टर से किराया ढोने का काम करता था। लड़के ने अपनी रिश्तेदारी से ही सिमर के बड़े भाई की भी शादी करवा दी। एक ही साल में बघेल सिंह के दोनों बच्चों की शादी हो गई। सिमर की भाभी सिमर की बहन वाला काम करने लगी।
सिमर का कॉलेज का रिजल्ट आ गया और वह बढ़िया नंबरों में पास हो गई। कॉलेज ने अगले साल के लिए दाखिले शुरू कर दिए। सिमर ने भी अगली क्लास में दाखिला ले लिया यह उसका कॉलेज में दूसरा साल था ।जैसे ही पढ़ाई शुरू हुई सिमर पूरी खुशी से कॉलेज गई ।
सिमर को इस बात की भी बहुत खुशी थी के इस इस साल नए आए बच्चों से जान पहचान करेगी जिसे रैकिंग बोलते हैं। कॉलेज के पहले ही दिन सिमर की क्लास के बच्चों ने नए आए बच्चों को एक जगह इकट्ठा कर लिया । नए आने वाले सभी विद्यार्थी एक-एक करके आते अपना नाम बता ते फिर बड़ी क्लास के बच्चे उनको कुछ करने को बोलते । वह किसी से डांस करवाते किसी से डायलॉग बुलवा ते।
जिसे कुछ ना आता उससे वह उठक बैठक लगवा ते। यह सिलसिला काफी देर चलता रहा तभी कमरे में एक लंबा सा लड़का दाखिल हुआ उसने अपना नाम रविंद्र बताया।
“रविंद्र क्या पूरा नाम बताओ ” एक लड़के ने जोर से कहा ।
“जी रविंद्र सिंह संधू “
“आप क्या करोगे “
“मैं भाषण दे सकता हूं जी आप मुझे कोई भी टॉपिक दें मैं उस पर भाषण दे दूंगा”
उस लड़के ने उसको एक टॉपिक दिया और रवि ने बोलना शुरू कर दिया पहली बार सिमर ने उसे बहुत ध्यान से देखा । रवि बोले जा रहा था सिमर उसकी एक एक बात ध्यान से सुन रही थी । सिमर उसे एकटक देख रही थी। जैसे ही रवि चुप हुआ
“एक बार फिर “
सिमर में जोर से कहा रवि ने दोबारा बोलना शुरु कर दिया । सिमर को कुछ पता नहीं चला कब रैगिंग खत्म हो गई और सभी लोग चले गए। उसकी सहेली ने उसको कंधे से पकड़कर उठाया “सभी लोग चले गए जाना नहीं कहां ध्यान है “
पर सिमर के दिमाग में वही लड़का चल रहा था । घर आकर भी उसी लड़के के बारे में सोचती रही और उसे कब नींद आई उसको भी नहीं पता।
रविंद्र सिंह संधू यानी रवि दरअसल इसी शहर का वासी था अपने परिवार समेत इसी शहर में रहता था पिता के पास अच्छी जमीन थी । पापा इसी शहर में बिजनेस करते थे उनका गांव शहर के पास ही था ।रवि के पापा को शराब पीने की आदत थी इसलिए उसने उन्होंने सारा बिजनेस बर्बाद कर दिया।
लाखों रुपए का कर्ज उनके सिर पर हो गया । रवि और उसके भाई-बहन अच्छे स्कूल में पढ़ते थे । रवि के पापा शराब पीकर सभी से मारपीट करते थे । घर का माहौल ज्यादा ठीक ना होने के कारण रवि नौवीं कक्षा में फेल हो गया रवि की मां ने रवि को अपने नौनिहाल पढ़ने के लिए भेज दिया जो गांव में था।
रवि ने नौवीं और दसवीं कक्षा गांव से पास की । रवि के मां-बाप ने गांव में जाकर खेती करने का फैसला किया था । क्योंकि अब शहर में उनका रहना बहुत मुश्किल था लाखों रुपए का कर्जा कर्जा था आमदनी एक पैसा नहीं थी। रवि के दादाजी ने रवि के पिताजी की तीसरे हिस्से की जमीन छोड़ दी थी। जमीन को संभालने के लिए गांव जाना जरूरी था ।
इस मकान में रवि और उसका परिवार रहता था उसका किराया भी आना शुरू हो जाना था थोड़ा गुजारा अच्छा हो सकता था ।इसलिए फैसला किया कि गांव में जाकर खेती करेंगे रवि का अभी रिजल्ट नहीं आया था वह 2 साल गांव में रहकर आया था इसलिए उसको खेती का तजुर्बा हो गया था ।रवि ने गांव जाकर खेती करनी शुरू कर दी वह ट्रैक्टर चलाता और वो खेत में काम करता । उसका रिजल्ट आ गया था और उसके बहुत अच्छे नंबर आए थे ।
रवि आगे नहीं पढ़ना चाहता था वह खेती करके सारा कर्जा उतारना चाहता था पर उसकी मां की इच्छा थी कि रवि आगे पढ़े। इसलिए रवि को शहर के कॉलेज में दाखिला दिलवा दिया ।अब हर रोज शहर जाता और कॉलेज लगवाता वापस आकर वह अपनी खेती देखता उसकी जिंदगी का मकसद पढ़ने से ज्यादा पिता का कर्जा उतारना ज्यादा था ।पर सिमर की जिंदगी में तूफान आ गया था अब उसके ख्यालों में हर वक्त रवि ही चल रहा था।
जब वह अपनी क्लास लगाने जाता वह उसी को देखती रहती ।जब कैंटीन में जाता तो उसके पीछे पीछे कैंटीन चल जाती।जब वह अपनी क्लास खत्म करके बस स्टैंड की तरफ जाता तो वह भी उसके पीछे-पीछे जाती रहती । रवि के दिमाग में कुछ और चल रहा था ।अपनी क्लास में बैठा भी कर्जा के बारे सोचता रहता कितने की फसल होगी कितना कर्जा उतार पाएगा वह सारा दिन यही सोचता रहता था ।
इस तरह 2 महीने गुजर गए। एक दिन अचानक सिमर ने रवि को मनजीत के साथ बात करते देखा । मनजीत सिमर की क्लास में ही पढ़ती थी उसकी सहेली भी थी और उसके साथ गिद्दे की टीम में भी थी । सिमर ने मनजीत से पूछा यह लड़के को कैसे जानती हो। मनजीत ने बताया कि वह अपने ननिहाल में पढ़ती हैं यह लड़का भी उसी गांव का है
और दूर से मेरे मामा जी का लड़का है ।सुबह शाम इकट्ठे ही बस में गांव जाते हैं । सिमर की खुशी का कोई ठिकाना ना रहा। मनजीत ने बताया कि यह अभी अभी ही हमारे गांव आए है ।इसके पापा बहुत ज्यादा शराब पीते हैं। नौनिहाल के घर के पास इनका घर है यह लड़का बहुत मेहनती है यहां से जाकर सीधा खेत जाता है। रवि की तरीफ सुनके सिमर पागल हो रही थी ।” पर तू क्यों पूछ रही है” मनजीत ने सिमर से पूछा
यह तेरे मामा का लड़का मेरा दिल ले गया मनजीत”
इतना बोल कर सिमर भाग गई । उसे इस तरह भागती देख कर मनजीत हंस रही थी ।
” अच्छा जी हमारी भाभी बनना चाहती है”
कॉलेज में स्टूडेंट यूनियन की स्ट्राइक हो गई ।क्योंकि प्रिंसिपल ने एक लड़के को जो डबल M.A कर चुका था उसे तीसरी M.A करने की इजाजत नहीं दी थी। प्रिंसिपल का कहना था कि यह लड़का कॉलेज का माहौल खराब करता है इसलिए इसको एडमिशन नहीं दी जा सकती ।
इसी बात को लेकर स्टूडेंट यूनियन ने स्ट्राइक कर दी भी। विद्यार्थियों को दरियों पर बिठाया जाता एक तरफ लड़के और दूसरी तरफ लड़कियां । जो विद्यार्थी स्ट्राइक में शामिल नहीं भी होना चाहते थे उन्हें भी जबरदस्ती स्ट्राइक में शामिल किया जाता । सिमर लड़कियों की तरफ बैठी रवि को पीछे खड़ा हुआ देखती रहती। ना उसे हड़ताल से कोई मतलब था ना किसी बोलने वाले से उसका मतलब तो सिर्फ रवि से था। जो हमेशा सबसे पीछे खड़ा होता था ।
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अधूरी प्रेम कहानी (भाग 2) – लखविंदर सिंह संधू : short story with moral
– लखविंदर सिंह संधू