Moral Stories in Hindi : सीमा अपने माता-पिता की इकलौती संतान थी सीमा के पिता की ठीक-ठाक सी सरकारी नौकरी थी, सीमा के माता पिता सीमा की परवरिश बहुत ही अच्छे ढंग से कर रहे थे सीमा को वह सभी सुख मिल रहा था जो एक इकलौती संतान को मिलना चाहिए। सीमा को भी इस बात का एहसास था कि वह अपने माता-पिता की इकलौती संतान है क्योंकि उसके बोलने से पहले ही उसके सारे अरमान पूरे हो जाते थे,
सीमा भी बड़े खुले विचारों की लड़की थी वह भी सभी कार्य करती थी जो एक लड़का या लड़की दोनों को करना चाहिए, सीमा के माता-पिता ने उच्च शिक्षा दिलाई और उसे अपने पैरों पर खड़ा किया। सीमा के माता-पिता की जान सीमा में ही बसती थी ।
परंतु अब सीमा की उम्र विवाह योग्य हो गई थी और अब माता-पिता को भी उसकी शादी की चिंता सताने लगी थी शादी की चिंता से ज्यादा होने इस बात का डर था कि उनकी बेटी होने छोड़कर अब चली जाएगी और उन्हें अब अकेले रहना पड़ेगा ।
सीमा भी एक ऐसे लड़का से विवाह करना चाहती थी जो उसकी मन की व्यथा को समझे और उसे अपने माता-पिता के प्रति अपनी जिम्मेदारियों को पूरा करने दे। सीमा के माता-पिता को ही बहुत ही सुयोग्य लड़का मिला जो संयुक्त परिवार में रहता था। सीमा की खूब धूमधाम से शादी हो गई है और अब वह अपने ससुराल आ गई,
ससुराल की सभी जिम्मेदारियों को वह बड़े ही मन से निभा रही थी परंतु अपने माता पिता को लेकर वह हर वक्त चिंतित रहती थी, एक दिन उसके पति और ससुराल वालों ने उसके उदास होने का कारण पूछा कि! इतनी उदास क्यों रहती है हम सब तो तुम्हें इतना प्यार करते हैं फिर क्या बात है जो तुम भी परेशान रहती हो,
तो सीमा ने बताया कि वह अपने माता पिता को लेकर चिंतित रहती है उसके माता-पिता ने उसे सारे सुख दिए लेकिन उम्र के इस पड़ाव में वह उन्हें छोड़ कर आ गई है और उनका उसका कोई भाई भी नहीं है जो उन्हें संभाल सके।
सीमा के सास ससुर ने कहा कि तुम ऐसा क्यों कह रही हो तुम अपने माता पिता के प्रति वह सब कार्य सभी फर्ज पूरे करो जो एक संतान को करने करनी चाहिए इसमें राजीव भी तुम्हारी पूरी मदद करेगा तुम जब चाहे उनके यहां जा सकती हो और अपने सभी इच्छाओं को पूरा करो जो तुम अपने माता-पिता के प्रति करना चाहती हो।
अपने सास-ससुर के मुंह से यह सब बातें सुनकर सीमा बहुत खुश हुई अब उसे दोनों परिवारों में से किसी एक को नहीं चुनना पड़ेगा
अब सीमा और राजीव दोनों मिलकर अपने दोनों ही परिवारों की जिम्मेदारियों को बड़े ही प्यार से निभा रहे थे और अपने कर्तव्य का पालन कर रहे थे दोनों परिवारों के बीच सामंजस्य बिठाते बिठाते सीमा थोड़ा थक तो जाती थी परंतु उसमें आत्म संतुष्टि का भाव था कि वह दोनों परिवारों के प्रति अपनी जिम्मेदारी निभा रही है
मनीषा गुप्ता