” अरे यार ! अगर तुमने भी जॉब ज्वॉइन कर ली होती तो आज तुम भी मेरी तरह प्रिंसीपल होती।” सुनिता ने अपनी बचपन की सहेली सीमा से कहा।
” हां यार ! मुझको भी कभी – कभी बहुत दुख होता है, जॉब नहीं करने का। आरपीएससी में चयन होने के बाद भी जॉब नहीं कर पाई। बड़ी इच्छा थी बच्चों को पढ़ाने की। खैर उस वक्त की परिस्थितियां ही कुछ और थी। किस्मत का लिखा कौन टाल सकता है।” सीमा ने निराशा भरे स्वर में कहा।
इतने में सीमा की 17 वर्षीय बेटी रिया चाय – नाश्ता ले कर आयी तो उसने अपनी मां की बात सुन ली और समझ गई कि मां के दिल के किसी कोने में अभी भी पढ़ाने की इच्छा है, जो जिम्मेदारियों के बोझ तले दब गई है।
सीमा पढ़ने में हमेशा अव्वल रहती थी। पढ़ना और पढ़ाना उसका जुनून थे। इसलिए उसने आरपीएससी की परीक्षा दी और उसमें उसका सलेक्शन भी हो गया। लेकिन उन्हीं दिनों मां की तबियत खराब रहने लगी और टेस्ट कराने पर उनको कैंसर निकला। मां का फुल टाइम ध्यान रखने के लिए कोई चाहिए था, इसलिए सीमा ने जॉब ज्वॉइन नहीं किया , ये सोच कर कि अगली बार देखेगी।
लेकिन कहते हैं ना एक बार आप अपने लक्ष्य से भटके तो फिर उसको पाना मुश्किल हो जाता है। कुछ ऐसा ही हुआ सीमा के साथ।
एक साल तो मां की देखभाल में लग गया और मां अच्छी भी हो गईं। लेकिन दो महीने बाद ही कैंसर उन के और भी अंगों में फ़ैल गया और उनके पास जिंदगी के मुश्किल से 6 महीने ही बचे।
अब मां अपने जीते – जी अपनी बेटी का घर बसते हुए देखना चाहती थी। बस जल्दी से लड़का ढूंढा गया और शादी कर दी गई। पति महोदय तो अच्छे थे लेकिन घर के बड़े लड़के होने के नाते उनके पास जिम्मेदारी बहुत थीं और अर्धांगिनी होने के नाते उनको भी पति का पूरा साथ देना था।
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इसी तरह 20 साल निकल गए । आज जब सुनिता उसकी बचपन कि दोस्त मिलने आयी तो रिया को अपनी मां की इच्छा का पता लगा और उसने मन ही मन सोच लिया कि अब वो मां की इच्छा को जरूर पूरा करेगी।
एक दिन मौका देख कर उसने मां से कहा,
” मां आप दिन भर घर में अकेले रहते हो , आप का मन कैसे लगता है ? आप कुछ काम क्यों नहीं शुरू कर देते ?”
” इस उम्र में मैं क्या काम करूंगी और फिर तुम लोगो के जाने के बाद भी घर में ढेरों काम रहते हैं।” मां ने कहा।
” इस उम्र में क्या हुआ ? अभी देर नहीं हुई है मां। आप अपने लिए भी तो कुछ समय निकाल सकते हैं। जब हम छोटे थे, तब आप हम भाई – बहन को पढ़ाया करते थे। आप इतने अच्छे से समझाते थे कि कई बार तो मेरी फ्रेंड्स भी आप से डाउट पूछने आतीं थी। ” रिया ने बात आगे बढ़ाई।
” हां ! इसका मेरे खाली रहने से क्या संबंध ?” मां ने पूछा।
” मैं सोच रही थी मां की आप क्यों ना पढ़ाना शुरू कर दे। आप एक फ्री लांचिंग टीचर बन सकती है, ऑनलाइन ट्यूशन ले सकती है , यूट्यूब पर tutorials वीडियो बनाकर अपलोड कर सकती है। बस आप हां कर दीजिए, बाकी का काम मैं कर दूंगी।” रिया ने मां को प्रोत्साहित किया।
” क्या ये सब संभव हो पाएगा ?” सीमा ने पूछा।
” क्या मां ! आपको अपनी बेटी पर भरोसा नहीं है। आप तो अपने लेसन तैयार करो, आपके वीडियो बना कर यूट्यूब पर मैं अपलोड कर दूंगी। ” रिया बोली।
” फिर देर किस बात की है, मैं तो आज से ही तैयारी शुरू कर देती हूं।” सीमा ने उत्साहित होकर कहा।
” ये हुई ना बात ।” रिया ने कहा और मां के गले लग गई।
#भरोसा
अनिता गुप्ता