अभागन की बेटी – ऋतु गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बहुत-बहुत बधाई हो रोली दीदी, बेटी ने आखिर साबित कर ही दिया कि आप कोई अभागन नहीं और वो कोई अभागन की बेटी नहीं।

अरे अभागे तो वे लोग होते हैं जो समाज के डर से अपने हौसलों की उड़ान को रोक देते हैं, और समाज द्वारा बनाई गई झूठी मर्यादाओं के आगे अपने घुटने टेक देते है । रोली की भाभी मंजरी ने अपनी नन्द रोली को गले लगा कर रोली की बेटी चहक की नीट एग्जाम में अच्छी रेंक लाने पर उसे दिल से बधाई दी। 

मंजरी ने आगे कहां दीदी आज रोली और आप हम सबके लिए,समाज के लिए  एक उदाहरण है, हमारे परिवार की पहली बच्ची है जिसने पहले ही प्रयास में इतना बड़ा एग्जाम अच्छी रैंक के साथ पास किया है।मेरा तो मानना है कि आज हमारे बच्चे भी अब चहक से प्रोत्साहन पाकर आगे ही बढ़ेंगे। मंजरी ने कहा दीदी मुझे आज भी याद है

वह दिन जब आप नन्ही चहक को लेकर घर (अपने मायके) वापस आईं थी और आपने मां जी को और अपने भाई को फैसला सुनाया था कि आप कर्णेश से अपने रिश्ते खत्म करना चाहती हैं ,हम सभी अचानक आपके इस फैसले से सकपका गये थे,क्योंकि कर्णेश के साथ आपका ये दूसरा विवाह था,

आपका पहला विवाह तो आनंद जीजू के साथ हुआ था। लेकिन एक एक्सीडेंट में आनंद जीजू  असमय ही आपको और  नन्ही चहक को आपकी गोद में खेलता छोड़कर चले गए।कच्ची गृहस्थी  बिखर ग‌ई थी आपकी, पूरा परिवार आपको लेकर चिंतित था।विधाता भी ना जाने कैसे कैसे खेल खिलाता है।

इस पर रोली ने अपनी भाभी मंजरी से कहा, सच कहूं भाभी आज भी जब उन दिनों को याद करती हूं तो सिहर उठती हूं। उस एक एक्सीडेंट ने मेरी सारी दुनिया ही बिखेर कर रख दी थी।

आनंद तो मुझे छोड़कर  जा चुके थे,पर उनकी  निशानी 3 साल की नन्ही चहक को लेकर कैसे यह पहाड़ जैसी जिंदगी कटेगी दिन-रात यही सोच सोच कर मैं अवसाद  की ओर जाने लगी थी।

पर चूंकि मैं पढ़ी लिखी थी,बी.एड. पास थी तो स्कूल में अध्यापिका की नौकरी आसानी से मिल गई।आप सभी का सहयोग काफी था पर मेरी जिंदगी एक मशीन बन चुकी थी। मैं अपनी बेटी की परवरिश अपने दम पर ही करना चाहती थी। 

धीरे-धीरे मेरे दिल और दिमाग ने परिस्थितियों से समझौता कर लिया था पर कर्णेश के घर से रिश्ते के लिए खबर आने पर मां को लगा कि  में दोबारा घर बसा लूं। सच कहूं तो जिंदगी में फूलों की तरफ देखना ही छोड़ दिया था मैंने। बस अपनी छोटी सी बगिया की नन्ही फूल चहक के बेहतर भविष्य के लिए ही मेरा हर कदम मेरी दूरी तय करता ।

मुझे तो यह विवाह कभी करना ही नहीं था पर समाज परिवार वालों का जवाब ऊपर से सभी का यह कहना कि क्या कमी है इस रिश्ते में ,अच्छा समृद्धशाली घर परिवार है ,कब तक यूं अकेले जिंदगी काटेंगी। मां ने तो यहां तक कहा कि बेटी मैं तुझे फिर से अभागन से सुहागन के रूप में देखना चाहती हूं।

कर्णेश भी विधुर था , उड़ती  उड़ती खबर सुनी थी कि उनकी पहली पत्नी ने आत्महत्या की थी। पर घर में सबका मानना था कि ये तो दुनिया है जितने मुंह उतनी ही बातें,अब राम जाने  यह खबर कितनी सच और कितनी झूठ थी। मां ने कहा बेटी हम तो बस तेरा घर एक बार फिर से बसता हुआ देखना चाहते है। कर्णैश से विवाह के बाद चहक को भी पिता का प्यार मिलेगा और तू एक बार फिर सुहागन  होगी।

पता नहीं कैसे मैं इस विवाह के लिए तैयार हो गई, चहक भी अब नौ  बरस की हो चली थी। शायद मां  होने के नाते चहक की सुरक्षा को लेकर ही मेरा फैसला कर्णैश से विवाह के पक्ष में था। कभी मेरा अंतर्मन कहता कि कहीं  कर्णैश अच्छा इंसान ना हुआ तो,पर तभी दिमाग कहता कि नहीं भगवान इतना निर्दयी नहीं हो सकता,कर्णैश भी आनंद की तरह अच्छे इंसान ही होंगे।

कर्णेश से शादी के लगभग 6 महीने बाद मुझे महसूस हुआ कि मेरी नन्ही गुड़िया चहक ने तो जैसे  चहकना ही छोड़ ही दिया है , कर्णैश को देखते ही उसकी आंखों में अजीब सा डर दिखता । मुझे लगा कि  बच्ची है शायद नये माहौल में रमने में अभी उसे और समय लगेगा।

 एक दिन मैंने उससे प्यार से पूछा मेरी  प्यारी चहक को कर्णैश कैसे लगते हैं? तो उसने कहा कुछ नहीं, बस नीचे मुंह करके रोने लगी।मैंने उसे अपनी गोद में भर लिया और फिर उसके सिर पर हाथ फिरा कर कहा,बेटा तू मेरे लिए आज भी सबसे पहले है जो भी बात है अपनी मां से नहीं बतायेगी क्या?

उसे समय चहक ने जो बात कही, मेरा कलेजा मुंह को आ गया, उसने कहा मां व़ मुझे कभी गाल पर बहुत  कस कर  प्यार करते हैं, कभी झूले पर अपने साथ बिठा कर बहुत कसकर मेरा पेट पकड़कर झूलने लगते हैं ,मुझे बहुत दर्द होता है मां। मां क्या हम दोनों पहले की तरह नहीं रह सकते?

अब मेरी बारी थी इस समाज परिवार से टक्कर लेने की, मुझे पता था कि शायद ही कोई कर्णैश से अलग होने के मेरे फैसले को समझ पायेंगा। पर मैंने  उसी पल ठान लिया कि अब मेरी बेटी और मेरे बीच कोई नहीं आएगा, कोई भी नहीं । चाहे दुनिया एक बार फिर मुझे अभागन कहे, पर मेरा सोचना था कि क्या एक मां अपने बच्चों को अपने अकेले दम पर नहीं पाल सकती।

मेरे दिल ने कहा बस और नहीं जिंदगी यदि मुझे आजमाना चाहती तो  बेशक आजमा लें पर हर बार मुझे अपनी बच्ची के साथ खड़ा ही पायेगी। मैं अब घर परिवार समाज के लिए अपनी लाड़ो की खुशियां, उसका बचपन दांव पर नहीं लगाऊंगी।

आज पूरे 18 साल बाद मुझे मेरी तपस्या और मेरी चहक को उसकी मेहनत का फल मिला है।आज  उसके डॉक्टर बनने का सपना साकार होने जा रहा है भाभी। अब बस पुरानी यादों को मैं अपनी जहन से निकाल देना चाहती हूं भाभी , इतना कहकर उसने आंखों की कोर में आये आंसुओं को पौंछ लिया। 

इतने में ही चहक घर आ गई तो उसकी मामी ने मिठाई का डब्बा खोलते हुए चहक को खिलाते हुए कहा लाड़ो रानी तुम्हारी मनपसंद बालूशाही लेकर आई हूं, अब बस यूं ही आगे बढ़ते जाना, बढ़ते कदम तुम्हारे अब कहीं रुके ना बेटा।तुम्हारी मां ने बहुत संघर्ष किया है अब तुम अपनी मां की जिंदगी के सारे दुख समेट लेना। 

चहक ने भी मुस्कुराते हुए कहा, हां हां मम्मी क्यों नहीं अब मैं मां के सारे दुख दर्द दूर कर दूंगी क्योंकि मैं एक डॉक्टर जो बनने जा रही हूं, और डॉक्टर का काम तो दुख दर्द दूर करना ही होता है। बस फिर क्या था इस बात पर तीनो खुलकर हंसने लगी।

#ऋतु गुप्ता 

  खुर्जा बुलन्दशहर 

  उत्तर प्रदेश

#अभागन

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