अब तुम्हारे चार भाई हैं-बीना शर्मा । Moral stories in hindi

सुजाता आरती का थाल सजाकर अपने बड़े भाई राहुल की प्रतीक्षा कर रही थी आज उसकी बड़ी बेटी वैशाली की शादी थी। जिसमें उसके भाई को भात भरने के लिए आना था। भात एक प्रकार की रस्म होती है जिसे भाई निभाता है जिसमें वह अपनी सामर्थ्य अनुसार अपनी बहन और उसके ससुराल वालों को पैसे वस्त्र और सोने की चीजें भेंट करता है।

सुजाता का एक ही भाई था। वह उससे बेहद प्यार करता था। जब सुजाता अपने भाई के यहां शादी का निमंत्रण देने के लिए गई तो वह बेहद खुश था। उसने सुजाता से वादा किया कि मैं उसकी बेटी वैशाली की शादी में जरूर आऊंगा और धूमधाम से भात  भरूंगा  परंतु, कुछ दिन पहले ही वह कोरोना की चपेट में आ गया था।

जब सुजाता ने फोन करके उसका हालचाल पूछा तो राहुल ने बताया कि मैं बिल्कुल ठीक-ठाक हूं। तुम चिंता मत करना मैं शादी में जरूर आऊंगा।

थोड़ी देर बाद सुजाता ने देखा कि उसके भाई राहुल का दोस्त विकास अपने तीन साथियों के साथ कई थैलो में सामान भरकर उसकी तरफ ला रहा था और आकर सुजाता से बोला”दीदी भाई की तबीयत थोड़ी खराब है इसलिए उसने मुझे भात भरने भेजा है।

यह सुनकर सुजाता बोली-कल रात तो मेरी राहुल भैया से बात हुई थी। वह मुझे हौसला दे रहे थे “तू चिंता मत करना वैशाली की शादी में मैं ऐसा भात करूंगा कि लोग वर्षों तक याद रखेंगे” फिर भैया क्यों नहीं आए?

सुजाता की बात सुनकर विकास बोला “दीदी आपको तो पता है कि भैया को कोरोना हो गया था।” तो डॉक्टर ने उन्हें घर से बाहर निकलने को बिल्कुल मना कर दिया था। इसलिए भैया ने आने से इंकार कर दिया और भात भरने के लिए हमें भेज दिया। विकास की बात सुनकर सुजाता का दिल भर आया और वह विकास से बोली मेरा दिल बहुत बेचैन हो रहा है और मुझे घबराहट हो रही है। भैया ठीक तो है ना!

इस कहानी को भी पढ़ें: 

वक्त का आईना  –  ऋतु गुप्ता 

“हां दीदी भैया बिल्कुल ठीक है आप जल्दी से भात ले लो मैं हूं ना तुमसे मेरा खून का रिश्ता ना सही परंतु, भाई का दोस्त होने के नाते तुमसे दिल का रिश्ता जरूर जुड़ गया है क्योंकि दोस्त की बहन मेरी भी बहन हुई ना “विकास ने कहा।”

तो सुजाता  भात लेने के लिए थाली में रखी ज्योत जलाने लगी तो वह बार-बार बुझ रही थी। उसने बार-बार ज्योत जलाने की कोशिश की परंतु, ज्योति जली ही नहीं।

यह देखकर उसका मन किसी अनहोनी की आशंका से कांप उठा परंतु, विकास ने उसे हौसला देते हुए कहा “दीदी कोई बात नहीं आप ऐसे ही तिलक कर दो।”

जब सुजाता भात लेने के लिए तिलक करने लगी तो उसके हाथ कांपने लगे थे और उसके हाथ से थाली छूटकर नीचे गिर गई थी। तब विकास में थाली उठाकर सुजाता के हाथ में दी फिर अपना व अपने दोस्तों का तिलक करवाया और भात की थाली में  रुपए, सोने-चांदी के गहने रखें और सुजाता के ससुराल की सभी औरतों को वस्त्र और दक्षिणा भेंट की।

यह देख कर वहां मौजूद लोग राहुल की प्रशंसा करने लगे और कहने लगे कि उसने इतना अच्छा भात भरा।

जब भात की सारी रस्में पूरी हो गई तो विकास और उसके दोस्तों ने विवाह में वे सारी रस्में पूरी करी जो एक भाई पूरी करता है। जब वैशाली विदा हो गई और विकास अपने दोस्तों के साथ घर जाने लगा ती सुजाता बोली”मैं भी आपके साथ चलूंगी और भैया को देख कर आऊंगी।

यह सुनकर विकास की आंखें भर आई और वह सुजाता से बोला”दीदी मुझे एक वचन दो आप रोएंगी नहीं।” राहुल भाई ने मुझसे वचन लिया था कि मेरी बहन की आंखों में कभी आंसू नहीं आने चाहिए।

विकास की बात सुनकर सुजाता बोली “नहीं मैं रोऊगी नहीं। मुझे सच सच बताओ क्या बात है?

तब विकास भरे हुए गले से बोला “दीदी अब भैया आपसे कभी नहीं मिलेंगे।”जब कल आपकी उनसे फोन पर बात हुई थी। उसके थोड़ी देर बाद ही उन्होंने अंतिम सांस ले ली थी।

उनकी हालत बिल्कुल भी ठीक नहीं थी लेकिन वैशाली की शादी मैं कोई रुकावट ना आए इसलिए उन्होंने आपसे झूठ बोला था कि वह ठीक है परंतु ,उनकी हालत बेहद खराब थी।

इस कहानी को भी पढ़ें

शून्य सी होती ज़िंदगी  –  गीतू महाजन

मैं उस वक्त वहीं पर था जब भैया ने अंतिम सांस लेने से पहले मुझसे वचन लिया था।जब तक वैशाली विदा ना हो जाए सुजाता को मेरी मृत्यु के बारे में पता नहीं चलना चाहिए और मेरी बहन की आंखों में एक भी आंसू नहीं आना चाहिए उन्होंने मुझसे भात भरने के लिए कहा था और यह भी कहा था कि मैं जीवन भर आपका साथ निभाऊ।

दीदी पहले आपके पहले एक ही भाई था। फिर उसने अपने 3 दोस्तों की तरफ इशारा करते हुए कहा अब तुम्हारे चार भाई हैं।

यह सुनकर सुजाता जोर जोर से रोने लगी और बोली “मुझे तो भगवान ने पहले ही इशारा कर दिया था”। जब ज्योत बुझ गई थी और आरती की थाली जमीन पर गिर गई थी।

तब ऐसे ही लग रहा था जैसे अंतिम बार मेरा भाई मुझसे मिलने आया था और मुझे हौसला दे रहा था कि तू चिंता मत करना। बेटी की शादी धूमधाम से होगी। मुझे क्या पता था कि मेरा भाई अब कभी भी मुझसे मिलने नहीं आएगा।

यह कहकर वह जमीन पर गिरने ही वाली थी कि तभी विकास और उसके दोस्तों ने उसे संभाल लिया और हौसला देते हुए कहा “दीदी अगर आप इस तरह से रोएंगी तो भैया की आत्मा बेहद दुखी होगी।”

उन्होंने जो वचन हम से लिया था वह सब निष्फल हो जाएगा। एक भाई का अपनी बहन के प्रति इतना प्यार और फर्ज के प्रति निष्ठा देखकर सुजाता के ससुराल वाले और गांव के लोग दंग रह गए थे सभी लोग सुजाता के साथ उसके भाई का अंतिम दर्शन करने गए थे और ऐसी पुण्यात्मा  को बार-बार प्रणाम कर रहे थे।

दोस्तों यह  एक सच्ची कहानी है। इस महामारी ने ना जाने कितने भाइयों को उनकी बहनों से छीन लिया और ना जाने कितनी औरतों से उनका सुहाग छीन लिया और अनेकों बच्चों से उनका बचपन छीन लिया। ऐसे में लोगों ने जरूरत पड़ने रक्तदान करके अन्नदान करके पैसों और वस्त्रों की जरूरत पड़ने पर लोगों की मदद करके दिल से रिश्ता निभाया था  ।

 #दिल का रिश्ता 

बीना शर्मा

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!