अब तो अनर्थ नहीं होगा-हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मम्मी जी… मैं मेरी सहेलियों के साथ किटी पार्टी में जा रही हूं, आप अंदर से दरवाजे बंद कर लीजिए, मुझे आने में तीन-चार घंटे लग जाएंगे आप तब तक आराम कीजिए! मैं आने के बाद सारा काम कर लूंगी! ठीक है बहु…. 1 मिनट… हे राम… “यह क्या अनर्थ कर दिया तुमने”! क्या हुआ मम्मी जी… मैंने ऐसा क्या कर दिया जो आप इतनी बेचैन हो गई?

बहू… तू तेरी सहेलियों के साथ पार्टी में जा रही है और तूने यह सफेद रंग का सूट पहन लिया, सुहागनों को सफेद कपड़े नहीं पहने चाहिए, तुझे पता है ना.. फिर तूने यह सफेद कपड़े क्यों पहने,

अरे हम तो किसी भी शुभ अवसर पर, शादी ब्याह में, किसी भी सामाजिक समारोह में या पार्टी में कहीं पर भी इस तरह के हल्के रंग के कपड़े नहीं पहनते और तूने तो यह सफेद रंग के कपड़े पहनकर बिल्कुल अनर्थ ही कर दिया, चल जल्दी कर… दूसरा सूट पहन और फिर जाना अपनी सहेलियों के यहां पर! क्या मम्मी जी…

आप भी किस जमाने की बातें कर रही है? मम्मी जी.. मैंने यह सूट गर्मियों की वजह से पहना है, आपको पता है इस समय कितनी गर्मी पड़ रही है, गर्मियों में मुझे हल्के रंग के सूट ही  पसंद है और गर्मियां ही क्या मुझे तो हर मौसम में ही हल्का रंग पसंद आता है, तन और मन को कितना सुकून देता है हल्का रंग और आज हमारी किटी पार्टी की थीम भी सफेद रंग है, सफेद रंग यानी शांति का प्रतीक और  आपने सफेद रंग को न जाने किस किस चीज से जोड़ दिया,

हर चीज को शुभ अशुभ से जोड़ना भी गलत है ना मम्मी जी! बहु.. हर चीज का एक नियम होता है कायदा होता है, मैं तुमसे यह नहीं कह रही कि तुम हल्के रंग के सूट मत पहनो बल्कि तुम्हारे पास तो इतने सारे गुलाबी आसमानी घिया कलर के सूट पड़े हुए हैं तुम उनमे से कोई सा भी पहन लो

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, पर कृपया करके यह सफेद सूट तो मत ही पहनो, चाहे मेरी खुशी के लिए ही सही!  ब्याहता स्त्रियां हमेशा अच्छे रंग पहने तभी शोभा देती है, बेटा मैं भी कोई पुराने जमाने की नहीं हूं न हीं मेरे  विचार पुराने जमाने के हैं, मैं मानती हूं आजकल सभी लड़कियां हर तरह के कपड़े पहनती है सफेद रंगको भी वह अन्य रंगों की तरह ही मानती है

और चलो ठीक है अगर तुमने यह सफेद रंग का कुर्ता पजामा पहन भी लिया तो इस पर कम से कम दुपट्टा तो रंगीन डाल लो, चाहे तुम मुझे पुरानी सोच वाली महिला समझो किंतु मेरे लिए तुम इतना तो कर ही सकती हो और हम जिस समाज में रहते हैं वहां आज भी सफेद रंग को सुहागनों के लिए अशुभ माना जाता है! ठीक है मम्मी जी..

मैं इस पर रंगीन दुपट्टा डाल लेती हूं किंतु मैं यह सब इस समाज की खोखली रिवाज की वजह से नहीं मान रही बल्कि मैं अपनी मां जैसी सास के लिए डाल रही हूं, इसको डालने से शायद आपके मन को तसल्ली मिल जाएगी और आपको खुश देखकर मेरे मन को तसल्ली मिल जाएगी

और फिर आप यह तो नहीं कहेंगी… बहु.. यह क्या अनर्थ कर दिया तुमने और ऐसा कहकर दोनों सास बहू हंसने लगी और फिर रीता अपने सूट के ऊपर रंगीन दुपट्टा डालकर अपनी सास से बोली… देखो मां… मैंने रंगीन दुपट्टा डाल  लिया, अब तो अनर्थ नहीं होगा!

रीता चाहती तो अपने मन का पहन कर जा सकती थी किंतु उसने हमेशा बड़ों की इज्जत करना सीखा था और एक छोटे से बदलाव से अगर उसकी सास खुश हो जाती है और उसे भी कोई परेशानी नहीं होती तो थोड़ा सा बदलाव करने में क्या हर्ज है!

हेमलता गुप्ता स्वरचित 

“यह क्या अनर्थ कर दिया तुमने

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