अब पछताए क्या होत जब चिड़िया चुग गई खेत – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

अरे सुहानी , आज स्कूल से आने में इतनी देर कैसे हो गई ?? राजू आज तो जिद पर ही अड़ गया था कह रहा था मम्मी जब तक नहीं आएगी तब तक खाना नहीं खाऊंगा , ना कपड़े बदलने तैयार था और ना खाना खाने ! बड़ी मुश्किल से मैंने और नैना से समझा बुझाकर राजू को स्कुल के कपड़े बदलवाए और खाना खिलाया , जिद पकड़कर बैठ गया था फिर नैना ने अपने कमरे में ले जाकर जैसे तैसे सुलाया , सास कमला जी एक रफ्तार में बोल पड़ी !!

मम्मी जी आज स्कूल में पेरेंटस – टीचर मीटिंग थी जिस वजह से मुझे ज्यादा देर रुकना पड़ा बोलकर सुहानी रसोई में गई खाना खाया और अपने कमरे में जाकर सो गई मगर सुहानी की आंखों से नींद कोसो दूर थी !!

सुहानी को सासू मां को हर बात का जवाब देना बिल्कुल भी पसंद नहीं था मगर क्या कर सकती थी !! संयुक्त परिवार की बड़ी बहू थी सुहानी और साथ में स्कुल की शिक्षिका भी !!

सुहानी के दो बच्चे थे राजू और आरिका !! आरिका लगभग आठ वर्ष की थी तो राजू अभी सिर्फ तीन वर्ष का था !!

सुहानी सुबह उठकर नाश्ता बना देती और अपना टिफिन लेकर स्कूल चली जाती !! पहले तो सब सही चल रहा था मगर जब से देवर अतुल की शादी नैना से हुई थी सुहानी का अपने ही घर में दम घूटने लगा था क्योंकि सास कमला जी देवरानी नैना के सामने ही सुहानी से कुछ भी कह देती थी और सुहानी को हर बात का जवाब देना बिल्कुल भी पसंद नहीं था !!

आज भी सासू मां ने फिर से देवरानी नैना के सामने सुहानी से प्रश्नों की झड़ी लगा दी थी !! स्कुल में सौ काम रहते हैं अब हर बात का जवाब देना पड़ेगा क्या सासू मां को और वह भी कल की आई हुई उस लड़की के सामने !! उपर से देवरानी नैना भी प्रेग्नेंट थी , अब थोडे समय में उसकी भी डिलीवरी होने वाली थी !!

सुहानी के पति राकेश ऑफिस के काम से अक्सर बाहर रहते थे !! सुहानी ने तुरंत राकेश को फोन किया और बोली – तुमको आने में ओर कितना समय हैं ??

राकेश वहां से बोला – अभी तीन दिन पहले ही तो आया हुं डार्लिंग !! तुमको अभी से मेरी याद आने लग गई क्या और हंसने लगा !!

सुहानी बोली मैं मजाक के मुड़ में बिल्कुल नहीं हुं राकेश !! तुमको ओर कितना समय लगेगा साफ साफ बताओ , मुझे तुमसे जरूरी बात करनी हैं !!

राकेश बोला – बस दो दिन ओर काम हैं लगभग तरसों तक आ जाऊंगा !!

फोन रखने के बाद राकेश समझ चुका था कि सुहानी को उससे कौन सी जरूरी बात करनी होगी !!

अतुल और नैना की शादी हुए लगभग एक वर्ष बीत चुका था तब से सुहानी तीन बार राकेश से संयुक्त परिवार से अलग होने की बात कर चुकी थी !!

राकेश घर का बड़ा बेटा था और वह अपने परिवार से बहुत प्यार भी करता था मगर सुहानी कुछ समझने तैयार ही नही थी !!

राकेश सुहानी से भी बहुत प्यार करता था और वह सुहानी का दिल भी बार बार नहीं दुखाना चाहता था !!

दूसरे दिन जब सुहानी स्कुल में भी उदास दिखाई दी तो उसकी सहेली मानसी बोली क्या हुआ सुहानी ?? तू इतनी उदास क्यों हैं ??

सुहानी बोली – मानसी तू तो जानती ही हैं संयुक्त परिवार के जमेले !! बस वहां से आजाद होना चाहती हुं !!

मानसी बोली सुहानी मैं तेरे घर पर लगभग चार पांच बार आ चुकी हुं !! बुरा मत मानना मगर तेरी सास और देवरानी बहुत अच्छे हैं !! तेरी सास के राज में तेरे दोनों बच्चे इतने बड़े हो गए !! तु तो स्कुल चली आती हैं पीछे से कपड़े सुखाना , खाना बनाना , तेरे दोनों बच्चों को नहलाना , स्कूल भेजना और यहां तक कि स्कुल से आने के बाद भी उनका ध्यान रखना यह सब काम तेरी सास और देवरानी मिलकर करते हैं !! यहां तक कि तेरी देवरानी तुझे बड़ी बहन की तरह इज्जत देती हैं !! 

तुझे मेरी सास जैसी सास मिलती तो अक्ल ठिकाने आती तेरी , एक ग्लास भी उठाकर यहां से वहां नहीं करती मेरी सास और उपर से उनके नखरे सहो वह अलग !!

सुहानी बोली मानसी अगर वे लोग दो काम करती हैं तो मैं भी चार काम करती हु समझी !! उन दोनों को तो सिर्फ घर ही संभालना हैं , मुझे तो नौकरी और घर दोनों देखना हैं !!

मेरे कमाए पैसे घर के सामान में भी खर्च करती हुं मैं इसलिए वे लोग मेरे बच्चे संभालके देती हैं !! यहां वैसे भी कौन किसका मुफ्त में थोड़ी काम करता हैं !! एक हाथ ले और एक दे बस इसी का नाम जिंदगी हैं मानसी !!

वे लोग भी मेरा कोई काम मुफ्त में नहीं करती समझी !! मेरे घर में मैं और मेरे पति दोनों कमाते हैं और देवर देवरानी में देवर अकेला !! देवरानी तो पुरा दिन घर में ही रहती हैं अब इतना तो मेरे लिए कर ही सकती हैं !!

मानसी मन ही मन सोचने लगी सुहानी को समझाकर वैसे भी कोई फायदा नहीं क्योंकि वह कहां किसी की सुनती हैं !!

थोड़ी देर में सुहानी पर उसकी सास कमला जी का फोन आया कि नैना को पेट में दर्द होने लगा तो हम सब हॉस्पिटल आ गए हैं !! डिलीवरी किसी भी वक्त हो सकती हैं !!

तु भी स्कुल से सीधे हॉस्पिटल में ही आ जाना !!

सुहानी बोली मम्मी जी !! मुझे आज स्कुल में देर होगी !! बच्चो के टेस्ट सीरीस चल रहे हैं तो वहां ड्यूटी लगी हैं !!

सुहानी हॉस्पिटल नहीं जाना चाहती थी इसलिए उसने अपनी सास से झूठ बोला था !!

थोड़ी देर बाद कमला जी का फिर फोन आया और वे बोली – बधाई हो सुहानी !! नैना ने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया हैं !! तुम बड़ी मम्मी बन गई !!

सुहानी बोली आपको भी बधाई हो !!

सुहानी को देवरानी के लिए कोई खास खुशी नहीं हुई क्योंकि अब घर का काम ओर बढ़ जाएगा यही सोचकर उसे मन ही मन गुस्सा आ रहा था !!

थोड़ी देर बाद सुहानी बिना मन के हॉस्पिटल पहुंची और झूठे मुंह देवर – देवरानी को बधाईयां दी !!

तीन – चार दिन बाद देवरानी नैना घर आ गई और सुहानी का पति राकेश भी घर आ चुका था !! घर में चारो ओर खुशी का माहौल था इसलिए अभी सुहानी ने चुप रहना ही मुनासिब समझा !!

अब धीरे धीरे घर के खर्च बढ़ने लगे !! सुहानी को लगने लगा कि हम दोनों कमाते हैं जबकि देवर अकेला कमाता हैं , हम लोगों को जल्दी अलग घर ले लेना चाहिए वर्ना हमारी पुरी कमाई इस संयुक्त परिवार पर ही लुट जाएगी !!

सुहानी जानती थी कि राकेश जल्दी से परिवार से अलग होने वालों में नहीं हैं इसलिए सुहानी ने एक तरकीब खोजी !!

सुहानी आज रात पति राकेश से बोली – सुनिए मुझे बच्चों के लिए एक अच्छा स्कुल चाहिए जहां एजुकेशन अच्छा हो और दूसरा संयुक्त परिवार में बच्चे बिगड़ जाएंगे , हमें यहां से दूर एक अलग मकान ले लेना चाहिए !!

राकेश सुहानी को समझाते हुए बोला – सुहानी संयुक्त परिवार में कभी बच्चे बिगड़ते नहीं बल्कि संयुक्त परिवार में रहने से उनमें संस्कार जागृत होते हैं , वे एक दूसरे से सांमज्यस बैठाना सीखते हैं और हम भी तो यहीं आसपास की स्कुलों से पढ़े हैं फिर भी आज मेरी इतनी अच्छी नौकरी हैं फिर तुम बच्चों की स्कुल बदलने की बात क्यूं कर रही हो ?? तुम तो जानती हो मैं ज्यादातर ऑफिस के काम की वजह से बाहर रहता हुं !! तुम अकेली दो दो बच्चों को कैसे संभालोगी और दोनों बच्चे अभी छोटे भी बहुत हैं , कम से कम पांच साल ओर रुक जाओ फिर हम अलग रहने चलेंगे बस !!

सुहानी चिढ़ते हुए बोली आपसे तो बात करना ही बेकार हैं , आपकी आंखों पर तो आपके परिवार की पट्टी बंधी हुई हैं , आप यह नहीं सोच रहे कि मैं कितनी दूर की सोच रही हुं !!

अभी बच्चे छोटे हैं तभी तो हम नया घर ले सकते हैं , एक बार बच्चे बड़े हो गए तो खर्च भी बढ़ जाएंगे और तब घर लेना ओर मुश्किल हो जाएगा !!

वैसे भी इस घर में दो भाईयों का गुजारा कितने दिन ओर चलेगा ?? कभी ना कभी तो अलग होना ही पड़ेगा तो अभी सही !!

मुझे भी तुम्हारी मां को रोज रोज जवाब देना पसंद नहीं और अब तो नैना को भी बच्चा हो गया हैं !! तुम तो जानते हो मुझे पहले से ज्यादा काम करने की आदत नहीं !! अपने घर में कम से कम अपने हिसाब से तो जिएंगे , कोई पाबंदी नहीं होगी , कोई टोका टोकी नहीं !!

राकेश भी सुहानी को समझा समझाकर थक चुका था मगर सुहानी के कान पर तो जूं तक ना रेंगी और आखिरकार इस बार राकेश ने भी सुहानी के सामने हथियार डाल दिए थे !!

उन लोगों ने नया घर देखना शुरू कर दिया !!

जब से ससुराल में सब को यह बात पता चली थी कि राकेश और सुहानी अपने लिए नया घर देख रहे हैं , सभी के चेहरे उतर से गए थे !!

घरवाले बहुत प्यार करते थे राकेश , सुहानी और उसके बच्चो को इसलिए उन्हें उनके घर छोड़कर चले जाने का बहुत दुःख हो रहा था !!

सुहानी अपनी जिद में कामयाब हुई और वे लोग थोड़े ही समय में अपने नए घर में आ गए !!

इस घर से विदा लेते समय सास , देवर – देवरानी सभी फूट फूटकर रोए थे जबकि सुहानी बहुत खुश थी कि अब उसे खुब आजादी मिलेगी , कोई टोकटोक नहीं करेगा !!

अब सुहानी अपनी मर्जी की मालकिन थी , उसके मन में जो आता वह खाना बनता या कभी कभी तो खाना ही नहीं बनता और वे लोग बाहर खाना खाने चले जाते !!

शुरुवाती महिनों में राकेश भी यहीं था इसलिए वह सुहानी की घर के कामों में मदद कर देता था !! अब उसके भी वापस जाने के दिन आ गए !!

राकेश एक बार ऑफिस के काम से जाता तो उसका कोई ठिकाना नहीं रहता !! कभी पांच – छः दिन तो कभी दस या पंद्रह दिन भी लग जाते उसे वापस लौटने में !!

अब धीरे धीरे सुहानी का सामना हकीकत से होने लगा !!

 सुहानी के घर पहुंचने से पहले ही बच्चे रोज स्कुल से आ जाते !! थोड़े दिन तो सुहानी ने पड़ेसियों से मदद ली मगर पड़ोसियों के मुंह देखकर अब सुहानी का उनसे मदद लेने का मन नहीं करता था !!

अब वह स्कूल से हमेशा जल्दी आने का प्रयास करती !!

आज आसमान में बादल घिर आए थे , बारिश किसी भी वक्त हो सकती थी !! सुहानी ने अपना पर्स उठाया और घर के लिए निकलने लगी तभी उसकी साथी मानसी बोली अरे सुहानी थोड़ी देर रुक जाओ !! तेज बारिश होने वाली हैं भीग जाओगी और तुम सुबह ही तो कह रही थी तुम्हे फीवर हैं , यदि भीग गई तो ज्यादा बीमार हो जाओगी !!

सुहानी बोली , मानसी बिल्कुल नहीं रुक सकती !! कपड़े बालकनी में सुख रहे हैं , समय पर नहीं पहुंची तो कपड़े भीग जाएंगे और बच्चे भी स्कुल से आ गए होंगे , अब रोज रोज पड़ोसियों को बोलना भी अच्छा नहीं लगता !!

सुहानी ने बाहर निकलकर जल्दी से अपनी स्कूटी स्टार्ट की मगर थोड़ी ही दूर पहुंची थी कि जोरो से बारिश शुरू हो गई और सुहानी पूरी तरह से भीग गई !! बारिश की वजह से स्कूटी की रफतार भी कम हो चली थी !!

एक पल सुहानी को लगा कि कहीं साईड में स्कूटी रोककर थोड़ी देर खड़ी हो जाए मगर उसे याद आया कि आजकल बच्चे रोज बाहर गेट पर बैठे रहते हैं , आज फिर बच्चे आ जाएंगे इसी वजह से सुहानी जल्दी जल्दी स्कूटी चलाकर घर पहुंची !!

घर आकर देखा तो बच्चे रोज की तरह गेट पर आकर बैठे हुए हैं !!

सुहानी को भीगा देख उसका तीन साल का बेटा राजू बोला मम्मा आप तो बारिश में नहाकर आई हो , हमें भी ले चलोना बाहर बारिश में भीगने !!

सुहानी बोली मैं स्कूटी पर थी इसलिए भीग गई हुं , बाहर बारिश बहुत ज्यादा हैं , चलो जल्दी अंदर चलो और स्कुल युनिर्फाम चेंज करो !!

सुहानी ने जल्दी से उन्हें घर के कपड़े पहनने दिए और खुद भी कपड़े बदलने चली गई , कपडे बदलकर बालकनी मे गई तो देखा सारे कपड़े गीले हो चुके थे !!

आज सुबह जैसे तैसे समय निकालकर कपड़े धोकर गई थी और सोचा था घर आकर आराम करेगी मगर आज भी उसके नसीब में आराम नहीं था !!

उतने में आरिका बोली मम्मी आपको याद हैं जब भी बारिश होती थी दादी भजिया और हलवा बनाती थी , आप भी कुछ ऐसा ही बना दो ना !!

बारिश भी भीगने के कारण सुहानी का शरीर कुछ ज्यादा ही टूट रहा था , सुबह उसे थोड़ा बुखार भी था जिस वजह से उसका मन कर रहा था कि बस अब सो जाए मगर बच्चों के लिए खाना भी तो बनाना था और खुद भी बिना कुछ खाए दवाई कहां ले सकती थी !!

ना चाहते हुए भी उसने बच्चों के लिए भजिया बनाए और अपने लिए रोटी !! उसे रोटी खाने की बिल्कुल इच्छा नहीं हो रही थी !! जैसे तैसे उसने एक रोटी खाई और दवाई लेकर बेड पर सोने चली गई लेकिन नींद उसकी आंखों से कोसो दूर थी !!

बालकनी में भीगते कपड़े और फैला हुआ घर उसे सोने कहां दे रहा था मगर अब कर भी क्या सकती थी , यह जिंदगी तो उसने खुद ही चुनी थी अपने लिए !!

रोज सुबह टिफिन , नाश्ता बनाकर जाना और घर लौटकर फिर से खाना बनाना , कपड़े धोने से लेकर सुखाना और यह फैला हुआ घर रोज रोज समेटना यह सब कर करके सुहानी थक चुकी थी !!

उसे याद आने लगे वह दिन जब स्कुल से आकर उसे हमेशा खाना तैयार मिलता !!  बच्चों को सासू मां कपड़े बदलवाकर खाना खिलाकर सुला चुकी होती थी और जब सुहानी सोकर उठती तो उसे पहले सास के हाथ की गर्म गर्म चाय मिलती और बाद में देवरानी की शादी के बाद देवरानी जी के हाथ की गर्म गर्म चाय मिलती !! घर को तो उसे कभी समेटना ही नहीं पडा था !! हमेशा उसकी सास और देवरानी घर चकाचक रखती थी !!

इतना सब कुछ करते हुए भी उसने कभी अपनी सास और देवरानी को प्यार और सम्मान नहीं दिया बल्कि उसे हमेशा लगता रहा कि मैं और मेरे पति दोनों कमाते हैं , जबकि सच तो यह था कि उसका देवर अतुल अकेले ही इन दोनों के बराबर क माता था फिर भी सुहानी को यही लगता रहा कि हमारे खर्चे बढ़ गए हैं !!

सुहानी सबसे अलग तो हो गई थी मगर अलग होना उसे अब भारी लग रहा था !!

अपनो की कीमत उसे अब समझ आ चुकी थी , उसकी आंखो से लगातार आंसू बहे जा रहे थे मगर अब उसके पास कोई चारा भी नहीं था क्योंकि अब वह फिर से किस मुंह से साथ रहने जाए और पति राकेश तो पहले उसे यही चीज बार बार समझा चुके थे !! सुहानी की जिद पर ही तो वे अलग होने राजी हुए थे !!

सुहानी के पास अब पछताने के अलावा कोई रास्ता नहीं था !! उसकी आंखों में पश्च्चाताप के आंसू साफ झलक रहे थे !!.

दोस्तों , बहुत बार बहुत से घरों की बहुए अपने घमंड के चलते संयुक्त परिवार से अलग हो जाती हैं मगर अलग होकर उन्हें असलियत समझ आ जाती हैं कि संयुक्त परिवार में रहने में जितना फायदा हैं उतना अकेले रहने में नहीं !!

दोस्तों इस कहानी को लेकर आपकी क्या राय है कमेंट बॉक्स में जरूर बताइएगा तथा ऐसी ही अन्य रचनाएं पढ़ने के लिए हमारे पेज को फॉलो अवश्य करिएगा !!

धन्यवाद !!

लेखिका स्वाती जैन

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