अब कोई शिकायत नहीं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” अब चुप भी हो जा काजल बिटिया….कब तक अपने कीमती आँसू बहाती रहेगी।” नानी की बात सुनकर भी काजल रोती रही और अपने आँसुओं से उनका आँचल भिगोती रही।

         अपने माता-पिता की लाडली थी काजल।स्कूल से आकर सहेलियों के संग खेलकर उसका दिन बीत जाता था।एक दिन उसने अपनी माँ से पूछा कि मीना- कमला के पास उसका छोटा भाई है…मेरे पास क्यों नहीं है।सुनकर माँ हँसने लगी और बोली,” छोटा भाई तुम्हारे खिलौने तोड़ देगा तो तुम उसके साथ झगड़ा करोगी।”

  ” नहीं माँ…मैं तो उसे अपनी गोद में बैठाऊँगी…।” कहते हुए वह फ़र्श पर पालथी मारकर बैठ गई थी।जब उसके पिता ने बताया कि तुम्हारा भाई आने वाला है तब वह ‘सच माँ ‘ कहकर अपनी माँ से लिपट गयी थी।

      कुछ महीनों के बाद माँ दादी के साथ अस्पताल गईं और काजल के लिये भाई लेकर आ गई।उस दिन काजल बहुत खुश हुई थी।मनचाहा पाकर वह नन्हीं कली फूल की तरह खिल उठी थी।अपना होमवर्क जल्दी पूरा करके वह अपने नन्हें अंश के साथ खूब खेलती और उससे कहती कि मैं तेरी दीदी हूँ।अपनी सहेलियों से भी वो अंश की ही बातें करती।

      अंश तीन साल का हो गया था।एक दिन खिलौनों से खेलते हुए वह सीढ़ियों पर चढ़ने लगा कि अचानक वह लड़खड़ा कर चार सीढ़ियों से लुढ़ककर गिर पड़ा।उसके रोने की आवाज़ सुनकर माँ किचन से दौड़ी आई।अंश के माथे से खून बहता देख उसने तुरंत पति को फ़ोन किया।

         भाई के सिर पर पट्टी देखकर तो काजल ज़ोर-ज़ोर से रोने लगी थी।हरदम उसी के पास बैठी रहती थी।उसके स्कूल में गर्मी की छुट्टियाँ हुई तो गाँव से उसके दादाजी मिलने आये।तब उसके पिता बोले कि दादाजी के साथ  गाँव चली जाओ…दादी का मन लग जायेगा।चार दिनों के बाद हम भी वहाँ आ जायेंगे,तब वह गाँव आ गई।दादी को पास बिठाकर अंश के किस्से सुनाने में उसके तीन दिन बीत गये

और चौथे दिन वह दरवाज़े की चौखट पर बैठकर माँ के आने का बाट जोहने लगी लेकिन तभी खबर आई कि…..जिस गाड़ी से उसके माता-पिता आ रहें थे उसका एक्सीडेंट हो गया और माता-पिता के साथ अंश भी…।उसका हृदय चीत्कार उठा था।इतना बड़ा दुख!..उसके लिये असहनीय था।

बस दादी से लिपटकर रोती रही,” मेरे साथ ही यह सब क्यों हुआ…।”हरदम चहकने वाली काजल एकदम चुप-सी हो गई थी।दादी के पास रहकर ही उसने दसवीं बोर्ड की परीक्षा दी।फिर नानी उसे अपने पास ले आईं।

       काजल के मामा बैंक में काम करते थें।उनकी बेटी रिया उसकी हमउम्र थी तो दोनों ने साथ-साथ बारहवीं की परीक्षा दी और काॅलेज़ में दाखिला भी ले लिया।उम्र के साथ काजल के रूप में भी निखार आ गया था।

       एक दिन क्लास के नोट्स लेने काजल अपनी सहेली इशिता के घर गई।वहाँ उसकी मुलाकात इशिता के बुआ का लड़का प्रशांत जो कि दिल्ली में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था,से हुई।उसके आकर्षक व्यक्तित्व पर वो रीझ गई।किसी न किसी बहाने से वह इशिता के घर चली जाती थी।प्रशांत भी उसे पसंद करने लगा था।

        प्रशांत की नौकरी लगते ही एक दिन वह अपने माता-पिता के साथ काजल के घर आ गया।काजल की नानी सब जानती थी।वो उनका खातिर करने लगीं।उस वक्त शांत दिखने वाली काजल की मामी ने अपना रंग दिखाया और उन्होंने चाय लेकर रिया को भेज दिया।सुंदरता में रिया भी कम नहीं थी।फिर मामी ने दहेज़ का दाँव खेला तो माता-पिता के साथ प्रशांत का मन भी डोल गया और वह रिया के साथ विवाह के लिये तैयार हो गया।अगले दिन सगाई की रस्म भी हो गई और काजल एक बार फिर से टूट गई।एक बार फिर से उसका मनचाहा उससे छिन गया।

उसमें इतनी भी हिम्मत नहीं थी कि जाकर प्रशांत से पूछ सके कि उसने ऐसा क्यों किया।शाम के अंधेरे में वह नानी की गोद में सिर रखकर फ़फक पड़ी,” नानी…आखिर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है…मैं जिससे भी प्यार करती हूँ वो मुझसे क्यों छिन जाता है..।” नानी क्या कहती…बस उसे दिलासा देती रही कि इसे विधि का विधान मान ले बिटिया।

        रिया के विवाह बाद काजल बीएड करके स्कूल में पढ़ाने लगी।लोगों से मिलना-जुलना उसने बंद कर दिया…..नानी-मामा ब्याह की बात करते तो वो चिढ़ जाती थी।

     रिश्ते के एक विवाह समारोह में नानी ने काजल को शशांक से मिलाया जो उनके एक परिचित का पोता था और आर्मी में डाॅक्टर था।शशांक की बातों ने काजल का मन मोह लिया था।

      घर आकर काजल के ज़हन में शशांक का चेहरा घूमता रहा लेकिन वह डरती भी थी कि कहीं फिर से…।नानी ने काजल के भावों को पढ़ लिया। वो कुछ सोच पाती कि एक शाम शशांक अपनी दादी और माता-पिता के साथ आ गया।शशांक के पिता ने कहा कि हम अपने बेटे के लिये आपकी काजल का हाथ माँगने आये हैं।तब नानी ने उन्हें काजल के बारे में सारी बातें बताई।सुनकर शशांक बोला,” नानी जी..आप निश्चिंत रहिये…काजल की रज़ामंदी के बाद ही हमारी शादी होगी।

        शशांक काजल से बातें करके उसके मन के भय को दूर करने लगा।उसे पुरानी बातों को भूलकर नये सिरे से जीवन जीने के लिये प्रेरित करने लगा।धीरे-धीरे काजल के मन पर छाये नकारात्मक के बादल छँटने लगे और उसे शशांक पर विश्वास होने लगा।एक दिन उसने स्वयं शशांक को फ़ोन करके कहा कि आप मुझसे विवाह करेंगे।

     नानी अपनी काजल को दुल्हन बने देख फूली नहीं समा रही थी।उसे आशीर्वाद देने दादाजी भी आये थें।छलछलाते आँखों-से आशीर्वाद देते हुए बोले,” आज तेरी दादी होती तो कितनी खुश होती।”

        अचानक हुई माता-पिता की मौत और अपना प्यार छिन जाने के कारण काजल जिंदगी से शिकायत करने लगी थी कि आखिर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है।फिर उसकी लाइफ़ में डाॅक्टर शशांक आये जिन्होंने अपने प्यार से उसका दामन खुशियों से भर दिया।आज वह अपने पति के साथ बहुत खुश है और कहती है,” अब कोई शिकायत नहीं…।”

                              विभा गुप्ता 

                          स्वरचित, बैंगलुरु 

# आखिर मेरे साथ ही यह सब क्यों होता है 

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