Post View 4,712 ” कमली.., कल से तुम खाना-नाश्ता भी बना दिया करना, उसके लिये तुम्हें पाँच हज़ार और दे दिया करूँगा।ठीक है ना?” ” हाँ भाइया!” मनीष के पूछने पर कमली तपाक-से बोली।उसके चेहरे पर खुशी के भाव थें।सिंक में रखे बरतनों को साफ़ करते हुए वह मन ही मन कुछ हिसाब लगाने लगी। … Continue reading आत्मसम्मान – विभा गुप्ता
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