आँसू_बन_गए_मोती – नीलम शर्मा : Moral Stories in Hindi

अरी कलमुँही…फिर से तीसरी बेटी जन दी ….।पता नहीं कौन सी मनहूस घडी थी। जिस दिन तुझे इस घर में ब्याह कर लाई थी। मुझे क्या पता था मेरा वंश ही खत्म कर देगी ये मनहूस। मालती देवी बस जोर-जोर से चिल्लाये जा रही थी ।और उस मासूम बहू राधा को कोस रही थी। जिसने अभी तीसरी बेटी को जन्म देकर खुद भी नया जीवन पाया था।

क्योंकि डॉक्टर ने पहले ही मना कर दिया था कि राधा का शरीर बहुत कमजोर है।  आगे बच्चे के बारे में बिल्कुल ना सोचें। लेकिन उसके ससुराल वालों को उसकी जान से ज्यादा अपने वंश को आगे बढ़ाने की चिंता थी। आखिर वह हार गई सबके सामने। इसे ही अपनी  नियति समझकर तीसरे बच्चे के लिए तैयार हो गई।

उसने सोचा क्या पता भगवान को ही अबकी बार उसकी स्थिति पर रहम आ जाए। लेकिन नहीं ..।मालती देवी की आवाज राधा तक पहुँच रही थी। उनके द्वारा बोले गए शब्द उसके दिल में तीर की तरह चुभ रहे थे और आंखों के रास्ते आँसू बनकर बह रहे थे। 

अंदर जानकी जी जिन्होंने उसका प्रसव कराया था। उसे समझा रही थी। अबकी बार उसका प्रसव दाई से ही कराया गया था। बेटा ध्यान मत दे। कच्चा शरीर है। आँखें खराब हो जाएंगी ऐसे रो-रोकर तो। बाहर जाकर राधा की सास को भी डाँटा कि अपनी बहू की फिक्र करें। अगर उसे कुछ हो गया तो बिन मां के इन बच्चों का क्या होगा।

तीसरी बेटी को जन्म देकर तो राधा ने जैसे कोई बड़ा अपराध कर दिया था। दिन रात उठते-बैठते बस वे अपने बेटे से दूसरी शादी की बात करती रहती। अरे लल्ला इसे तलाक लेकर छुटकारा पा। मैं कोई दूसरी लड़की देखती हूंँ। जो हमें हमारा वारिस दे सके। नहीं मैं तलाक नहीं दूँगी, राधा कहती।

एक दिन राधा रात को बेटी का दूध गर्म करने के लिए उठी। तो उसने सुना कि उसके सास-ससुर और पति उसे जान से मारने की योजना बना रहे थे। राधा बहुत घबरा गई। उसे यकीन नहीं हो रहा था कि ये लोग उसके साथ ऐसा भी कर सकते हैं। फिर उसने सोचा अगर मुझे कुछ हो गया तो मेरी बच्चियों का क्या होगा।  उसने उसी पल एक कड़ा निर्णय लिया और जो थोड़े पैसे जोड़ रखे थे व कुछ जरूरी सामान के साथ बच्चों को चुपचाप लेकर घर से निकल पड़ी।

उसका तो मायका भी नहीं था।बस माता-पिता थे, जो कब का स्वर्ग सिधार चुके थे। वह एक ट्रेन में चढ़ गई। उसी डिब्बे में एक वृद्ध दंपति बैठे हुए थे। उनकी अनुभवी  आंखें पहचान गई की राधा परेशानी में है। जब उन्होंने प्यार से पूछा तो राधा ने रोते-रोते उन्हें सारी बात बता दी।

उन्होंने राधा से अपने साथ चलने के लिए कहा तो उसे लगा शायद भगवान की यही मर्जी हो। वैसे भी उसके पास तो कोई आसरा नहीं है। वे दोनों बुजुर्ग अकेले रहते थे। दोनों का स्वभाव बहुत अच्छा था । उन्होंने घर में ही उसको एक कमरा रहने के लिए दे दिया । राधा उनका सारा काम करने लगी। समय के साथ तीनों बेटियां बड़ी हो रही थी। तीनों ही पढ़ने में होशियार और सुंदर थी। 

उधर उसके घर से निकलते ही उसकी ससुराल से जैसे लक्ष्मी रूठ गई। दुर्भाग्य ने अपने पैर पर पसार लिए। उसकी सास को लकवा हो गया। सारी गृहस्थी बिखर चुकी थी । मां बेटा अब दोनों पछताते थे । 

राधा की तीनों बेटियाँ पढ़ लिख कर अच्छे पदों पर थी। आज छोटी बेटी को आईएएस ऑफिसर के पद पर चयन होने के कारण सम्मानित किया जा रहा था। बेटी ने अपना सम्मान मुख्य अतिथि से अपनी मां को देने के लिए कहा। जब राधा का नाम पुकारा गया तो राधा अपने अतीत से बाहर आई।

तालियों की गड़गड़ाहट के बीच जब उसे मुख्य अतिथि सम्मानित कर रहे थे । भीड़ में ताली बजाता एक चेहरा दिखाई दिया जो उसके पति का था । उसे देखकर भी राधा ने अनदेखा कर दिया राधा को उस रात लिए गए अपनी फैसले पर गर्व था। आज फिर से इस खुशी के पल में राधा की आंखों से आंसू मोती बनकर वह निकले। 

राधा ने अपनी बेटियों के सामने आज अपने अतीत के पन्ने खोलकर कहा, कि मेरी इच्छा है कि मेरे जैसी औरतें जो हिम्मत करके घर से बाहर कदम रखें। तो उन्हें अपने सामने एक आश्रय दिखाई दे। तीनों बेटियों ने मिलकर राधा का सपना पूरा किया। एक घर बनाया। जिसका नाम उन्होंने राधा के सपनों का घर रखा।

नाम: नीलम शर्मा 

मुजफ्फरनगर उत्तरप्रदेश,

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