देवरानी जेठानी का संबंध कितना गहरा होता है सब जानते हैं सीता और गीता देवरानी जेठानी सीता के दो बेटे और गीता की दो बेटियां सीता हमेशा ताने मारती रहती गीता को कि तुम्हारी बेटियां है तो मैं ज्यादा पढ़ा लिखा कर क्या करना है गीता को यह सब बातें बहुत बुरी लगती थी सीता जब भी मौका देखती और हमेशा ताने कसती गीता ……
अब दोनों के बच्चे बड़े हो चले थे…. सीता के दोनों बेटे राम और श्याम पढ़ने में बहुत होशियार नहीं थे ….इसलिए सीता ने पहले से ही सोच कर रखा था कि उन्हें बिजनेस करा देंगे दोनों एक साथ दुकान पर बैठकर अच्छे से बिजनेस कर लेंगे लेकिन राम और श्याम का हमेशा दोस्तों के साथ मस्ती करने का मन रहता था…..
रात में 2:00 बजे घर वापस आते थे …जब सब सो जाते थे वही गीता की दोनों बेटियां रूही और जूही दोनों पढ़ने में बहुत होशियार… और क्लास में अब्बल आने वाली लड़कियां कभी भी मां-बाप को पलट का जवाब नहीं देती थी ….
घर के कामों में हाथ बटाती थी वहीं दूसरी तरफ अपनी पढ़ाई पर भी पूरा ध्यान देती थी गीता ने अपनी दोनों बेटियों को पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी एक बेटी एमबीबीएस नेट में सेलेक्ट हो गई और दूसरी बेटी वही आर्किटेक्ट इंजीनियर बन गई… सीता को यह देखकर बहुत जलन होती थी.. लेकिन उसकी आंखों में चढ़ी चर्बी उतारने का नाम ही नहीं ले रही थी
अहंकार इतना था कि मेरे दोनों बेटे और दोनों मेरे पास रहेंगे मुझे कमा कर लाकर देंगे …और मेरी सेवा करेंगे… लेकिन कब जीवन में पलटवार हो जाए पता ही नहीं रहता है गीता की दोनों बेटियां दोनों का विवाह बहुत अच्छे घरों में संपन्न हुआ… उसी शहर में गीता ने दोनों का विवाह किया था दोनों जब फुर्सत मिलती थी मम्मी और पापा से मिलने आ जाया करती थी …
दूसरी ओर सीता के दोनों बच्चे इतनी बिगड़ चुकी थे कि उन्हें अपना तो ध्यान रहता नहीं था मां बाप का भी ध्यान नहीं करते थे…. एक दिन ऐसा हुआ की बड़ी मां सीता की बहुत तबीयत खराब हो गई और अस्पताल में एडमिट थी वहीं पर सीता की बेटी रूही डॉक्टर थी …
रूही ने अपनी बड़ी मम्मी की देखभाल इस तरह से की जैसे वह अपनी मम्मी की कर रही हो… किसी चीज की कोई कमी नहीं होने दी.. एक नर्स भी उसने लगा रखी थी की बड़ी मम्मी को कोई भी तकलीफ ना हो उसने अपनी मां की जैसे देखरेख करके बड़ी मम्मी को स्वस्थ कर दिया …सीता की आंखें आज खुल गई
की बेटे ही हमेशा काम नहीं आते हैं बेटियां भी बेटों से काम नहीं होती है उन्हें यदि पढ़ा लिखा दिया जाए तो बेटियां भी मां-बाप के बुढ़ापे का सहारा बन जाती है सीता ने अब दोनों बेटियों को अपनी बेटी मान लिया जहां पहले वह दोनों बेटियों से चिढ़ती थी आज उनकी आंखों में चढ़ी चर्बी अहंकार मिट गया
सीता ने दोनों बेटियों को सच्ची कहा है किसी ने देवी का रूप देवों का मन है बेटियां घर को जो रोशन करें चिराग होती है बेटियां मां-बाप की जान होती है बेटियां
लेखिका : विधि जैन