आलू गोभी – अभिलाषा कक्कड़ : Moral Stories in Hindi

दिलचस्प क़िस्से कभी-कभी अपने जीवन में भी ऐसे होते हैं कि स्मृतियों में हमेशा के लिए विराजमान हो जाते हैं ।

अमेरिका रहते मुझे तक़रीबन तीस साल हो चले हैं । यही आकर घर गृहस्थी सब बसाया तो जीवन यहाँ के हिसाब से ही ढल गया । सभी काम हमें यहाँ ख़ुद ही करने पड़ते हैं । हिन्दुस्तान की तरह यहाँ घरों में बाई नहीं होती । सुबह नौकरी पर निकलो तो पीछे कुछ काम छूट जाये तो उसी में ध्यान ज़्यादा अटका रहता है । ख़ासकर जब बर्तन माँजने को रह जाये तो मुझे तो काम पर भी झूठे बर्तन ही दिखाई देते रहते हैं वैसे यहाँ पति लोग भी पत्नियों की घर के कामों में काफ़ी मदद करते हैं ।

मेरे पति भी घर के काफ़ी काम करते हैं । लेकिन रसोई के कामों में उनकी रत्ती भर दिलचस्पी नहीं । ख़ासकर इंडियन खाना बनाने में रोटी सब्ज़ी काटना बनाना  में उनका ज्ञान और ध्यान दोनों ज़ीरो !! और ना ही उन्होंने कभी मुझे मदद के लिए उँगली पकड़ाई ।

गुज़ारे लायक़ जब अकेले हो तो आमलेट ब्रेड या फिर थोड़ा मेक्सिकन खाना भी बना लेते हैं । लेकिन वो भी तब जब मैं घर से बाहर हूँ ।वैसे है बहुत हंसमुख प्रकृति के इन्सान, घर में काफ़ी ज़िन्दादिली का माहौल बना कर रखते हैं । बच्चों के तो पापा कम दोस्त ज़्यादा है । बच्चों के फ़्रेंड्स के भी ये ज़्यादा दोस्त है । सब हमारे बच्चों को कहते हैं कि तुम्हारे पापा जैसे सब पापा होने चाहिए ।

हम लोग मिशिगन की कैपिटल Lansing में रहते हैं । यहाँ बस नाममात्र की दो तीन महीने की ही गर्मी होती है । अलबत्ता मौसम ज़्यादातर ठंडा ही रहता है । नवम्बर दिसम्बर के महीने में तो जमकर बर्फ़बारी होती है । क़िस्सा दो साल पहले का है । दिसम्बर का महीना हमारे परम मित्र जो न्यूयार्क में रहते हैं ने हमें अपनी बेटी की शादी पर आमंत्रित किया । हम सब तो बहुत उत्साहित हुए क्योंकि क्रिसमस की छुट्टियाँ थी तो सबकी घूमने की जिज्ञासा भी जाग गई ।

मेरे पति ने कहा तुम लोगों ने जाना है तो जाओ मैं नहीं जाऊँगा । इतनी सर्दी में मैं घर पर ही रहूँगा और हमारे फ़ैमिली डोग को वो कड़ाके की ठंड में कहीं डे केयर में छोड़ने को भी तैयार नहीं थे । ख़ैर प्रोग्राम बना मैं मेरा बेटा और बेटी तीनों की जाने टिकटें बुक हो गई । हम तीनों ने Detroit से फ़्लाई करके Detroit में ही लेंड करना था । शादी अच्छी रही तीन दिन की शादी में हमने खूब इन्जॉय किया । लेकिन सारा जोश फुर्र हो गया जब एयरपोर्ट पर वापसी के लिए पहुँचे ।

बर्फ़ के तूफ़ान की वजह से सब फ़्लाइट रद्द कर दी गई थी । सब तरफ़ आपातकालीन स्तिथि घोषित कर दी गई थी ।उस रात हम वापिस नहीं जा पाये । अगले दिन शाम को एक पायलट ने हिम्मत दिखाई और हमारी जान में जान आई । चार बजे के आसपास हम detroit पहुँच गये । मेरे बेटे ने कहा सड़के बहुत ख़राब और फिसलन की  वजह से गाड़ी बहुत धीमी जायेगी । तक़रीबन तीन घंटे लग जायेंगे । जबकि रास्ता हमारे घर तक डेढ़ घंटे का ही है ।

अब मैं एयरपोर्ट पर खड़ी खड़ी खाने के बारे में सोचने लगी । मेरे बेटे ने कहा ममा बाहर से खाना लाने का हाल नहीं है । तुम घर जाकर जो भी बनाओगी हम खा लेंगे । अब मैं सोचने लगी कि जाकर क्या बनाऊँ क्योंकि ये दोनों भी तो सब कुछ नहीं खाते ।

फिर मुझे याद आया फ्रिज में गोभी पड़ी है और ये दोनों खा भी लेते हैं । थकावट और घबराहट तो मुझे भी बहुत थी । क्योंकि detroit आकर भी जहाज़ का गेट तक़रीबन चालीस मिनट तक नहीं खुला । बाहर तूफ़ान की वजह से जाम हो गया था ।

मैंने गाड़ी में बैठकर पति को फ़ोन किया कि क्या आप आलू गोभी काट दोगे?? उन्होंने कहा हाँ मैं काट दूँगा और कहा ध्यान से आना बाहर रोडस बहुत सलीपरी है ।

बेटा मेरा गाड़ी चला रहा था । ये दोनों आगे बैठे घर जाकर क्या करना है बातें कर रहे थे । बेटी कह रही थी मैं तो जाकर अपना शो देखूँगी तीन दिन हो गए मुझे बहुत excited हूँ next episode के लिए और लड़का कह रहा था मैं तो जाकर गेम खेलूँगा ।

और मैं पीछे बैठी सोच रही थी जाते ही पहले आटा गूँध लूँगी और सब्ज़ी बना लूँगी । फिर नहाने जाऊँगी । फिर दिमाग़ में चल रहा था दही भी ज़माने वाला हो रहा है । दूध तो रोटी बनाते बनाते उबाल लूँगी । कल दोपहर के लिए राजमा भीगो दूँगी । अपने अन्दर ये सारी प्लानिंग की सेटिंग कर रही थी ।

तीन घंटे बाद हम घर पहुँच गए । घर में घुसते ही पकी हुई आलू गोभी की महक ने हमारा ध्यान चूल्हे पर रखी कड़ाही की ओर खींचा । मैंने जैसे ही कड़ाही से ढक्कन हटाया हम तीनों के हैरानी से मुँह खुले रह गये । कड़ाही के ऊपरी सतह पर कटे हरे धनिए की चादर बिछी हुई थी

और नीचे पीली पीली गोभी झांक रही। मेरा बेटा बोला.. वाह ममा तेरी तो लाटरी लग गई । मैं भी हैरान थी कि वाह !! ये तो वाक़ई चमत्कार था । मैंने कहा क्या बात है आपने तो सब्ज़ी ही बना दी ,थैंक्यू  !! मेरे पति मूँछों को ताव देकर मंद मंद मुसकरा रहे थे जैसे कोई बहुत बड़ा क़िला फ़तह कर लिया हो ।

मैंने जल्दी से हाथ धोये आटा गूँथा और नहाने चली गई । फिर रोटी बनानी शुरू की बिटिया रानी ने टेबल सजाने में मेरी मदद की और हम सब खाने के लिए मेज़ पर बैठ गए । मेरे पति देव हम सबके चेहरे देख रहे थे । उन्हें बहुत इन्तज़ार कि कैसा रिएक्शन आता है ।

पहले बेटे ने कहा पापा सब्ज़ी अच्छी बनी है फिर बिटिया ने भी कहा हाँ पापा बहुत बढ़िया बनी है ।अब सबसे ज़्यादा तो इन्हें मेरी प्रतिक्रिया का इन्तज़ार था । मैंने खाई मुझे ठीक ठीक लगी । आलू गोभी हलवाई स्टाइल की बड़ी बड़ी काट रखी थी और शायद सब्ज़ी में कुछ डाला भी नहीं था। बस नमक मिर्च ठीक था इसलिए खाई जा सकती थी ।

मुझे तो अपने आने वाला समय के लिए रनवे बनाना था क्या पता फिर से ऐसी ज़रूरत आन पड़े । इसलिए जितने भी तारीफ़ के कौशल थे सब मैंने इकट्ठे कर लिए हैं । मैंने खाते ही कहा हाय !!इतनी स्वाद सब्ज़ी मुझे तो पता ही नहीं था आपके पास ऐसी कला भी है । मज़ा आ गया खाके , वैसे कैसे बनाई ?? यूट्यूब से देखी क्या ??

जनाब अपनी तारीफ़ सुनकर बड़े चौड़े हो रहे थे और थोड़े हेकड़ी में भी आ गये और कहने लगे । यूट्यूब को तो मैं ही सीखा दूँ.. है क्या इसमें मुझे दस मिनट मुश्किल से लगे इधर कड़ाही रखी उधर सब्ज़ी काटना शुरू की तेल में मसाले डाले अदरक हरी मिर्च डाली और दस मिनट में सब्ज़ी तैयार.. कोई मुश्किल नहीं बेटा बच्चों की तरफ़ देखकर बोले असली गोभी ऐसे ही बनती है । पता नहीं तुम्हारी माँ सारा दिन करती क्या रहती है रसोई में काम तो कुछ है ही नहीं,

पाँच मिनट के काम को वो लम्बा खींच देंगी । लगी रहती है बिना मतलब से .. बिना मेरी ओर देखें बोले जा रहे थे । बच्चे मेरा चेहरे के बदलते हाव भाव को देख कर हंसे जा रहें थे । हंसी मुझे भी आ रही थी और वो कहावत याद आ रही थी कि बन्दर के हाथ में अदरक की गाँठ लगी तो ख़ुद को पंसारी समझने लगा । आज मेरे पति भी ख़ुद को किसी मास्टर शेफ़ से कम नहीं समझ रहे थे ।

मैंने इनकी ओर देखते हुए कहा बताऊँ आपको सारा दिन क्या करती हूँ तो हंसते हुए कहने लगे तू यार गोभी खा और कोहनी मार के बोले सच बताईयो स्वाद बनी के नहीं !! मैंने कहा हाँ अगली बार से आप ही बनाना लेकिन प्याज़ ज़रूर डालना । वर्ना ऐसी गोभी के तो अगले दिन पराँठे ही बनेंगे । सब कि हंसी मुझसे रज़ामंद थी एक बार के लिए ऐसी गोभी ठीक है पर हर बार नहीं खाई जा सकती

स्वरचित रचना

अभिलाषा कक्कड़

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