आखिरकार – डॉ उर्मिला सिन्हा

Post View 729 गोपू निढाल होकर बिस्तर पर जा गिरा।बुरी तरह थक गया था। अन्दर से वार्तालाप , ठहाकों का मिला-जुला शोर मानों उसे चिढा रही थी। आधुनिक कोठी के पिछवाड़े सेवकों के लिए बने हुए छोटे-छोटे कमरे। जिसमें गोपू अपनी मां के साथ रहता है। मां के आंचल का सुख उसे यहीं मिलती है। … Continue reading आखिरकार – डॉ उर्मिला सिन्हा