“आखिरी राखी” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
Post View 7,939 तूझे मना किया था न कि मुझे दूकान पर घसीट कर मत ले आना,मुझे कुछ लेना नहीं है। अरी मेरी माँ…मत लेना साथ तो चलो। चलती है या नहीं? तनु की बांहें खींचते हुए प्रिया बोली-” तुम्हें पता है शिवम के दोस्त ने जेनरल-स्टोर खोला है। शिवम कल कह रहा था कि … Continue reading “आखिरी राखी” – डॉ. अनुपमा श्रीवास्तवा
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