सावन की पहली बरसात – संगीता त्रिपाठी

आकाश में घने मेघ छाये थे, रह -रह कर बिजली कड़क रही थी। रंजना कॉलेज के गेट से बाहर निकली तभी जोर की गर्जना हुई बड़ी -बड़ी बूँदों के साथ बारिश शुरु हो गई। रंजना  ठिठक गई, ना पीछे जा सकती ना आगे जा सकती,दो राहे पर खड़ी थी सोच नहीं पा रही थी क्या करें। भीग तो गई हैं,

अब बचाव के लिये क्यों प्रयास करें। सावन की पहली बरसात थी, उमड़ -घूमड़ कर बादल बरस रहे, ठंडी हवा तन को ही नहीं मन को भी सुकून दे रही थी। उमड़ते बादलों ने उसकी पुरानी यादें, जिसे उसने दिल में गहराई से दफना दिया, आज फिर सर उठा ली।

ऐसी ही तो वो सावन की पहली बरसात थी। कॉलेज से निकलते ही मुसलधार बारिश होने लगी,बस स्टॉप पर खड़ी रंजना और उसकी सहेलियां भीग गई।सहेलियों संग बारिश का मजा ले रही थी तभी निगाहें सामने पड़ी, एक जोड़ी मन्त्रमुग्ध ऑंखें उसे चोरी से निहार रही थी, नजर मिलते ही सकपका कर उसने नजरें फेर ली।

बस आने का नाम नहीं ले रही थी और बारिश का वेग भी बढ़ता जा रहा था।लगातार भीगते रंजना को अब ठण्ड लगने से दाँत किटकिटाने लगे।सब की बस आती गई बस स्टॉप खाली हो गया, सिर्फ रंजना और वो अजनबी रह गये। आज जाने क्यों रंजना की बस नहीं आई, रोज तो सबसे पहले उसी की बस आती थी।

शाम गहराने लगी, रंजना भी चिंतित हो गई।”कहाँ जाना हैं आपको चलिये मै बाइक से छोड़ देता हूँ।”अजनबी ने ऑफर दिया। “ना, मेरी बस आती होगी “रंजना ने कहा।”नहीं आई तो, रात भर यहीं रहना हैं क्या “थोड़ा चिढ़ कर अजनबी बोला।”अरे नहीं, चलिये आप ही छोड़ दीजिये।”रंजना के कहते ही उसने बाइक से रेन कोट निकाल कर रंजना की तरफ बढ़ाया।

रंजना ने पता बताया तो अजनबी ने बोला मै उसी इलाके में रहता हूँ। रास्ते में बात -चीत से पता चला उसका नाम अभिलाष हैं। रंजना के कॉलेज में साइंस का स्टूडेंट हैं। बाइक धीमे चल रही थी क्योंकि हवा का वेग तेज था। दो युवा दिल की धड़कने भी तेज हो गई।एक अनजाने डोर से दो अजनबी बंध गये।रंजना को घर ड्राप कर अभिलाष अपने घर आ गया।

वो यहाँ अपनी बुआ  के घर में रहता हैं। अपने कमरे में आ भीगे कपड़े चेंज कर अपनी प्रिय गर्म मसाला चाय का एक कप हाथ में लिये, अपने कमरे में आ गया। रंजना से उसकी आज की मुलाकात ने उसका दिल चुरा लिया। पहली नजर में किसी से प्यार हो जाने की बात वो नहीं मानता था पर आज उसे मानना पड़ा कि प्यार पहली नजर में ही हो जाता।



                        उधर घर पहुँच रंजना भी बहुत खुश थी। ना जाने क्यों अभिलाष का चेहरा बार -बार सामने आ रहा था। दिल ने कहा “तुझे प्यार हो गया “दिमाग ने कहा “अपनी पढ़ाई पर ध्यान दे, ये समय कैरियर बनाने का हैं “। पर रंजना क्या करें दिल तो उसका फिसल ही गया। रंजना और अभिलाष का प्रेम अब परवान चढने लगा।

देखते -देखते फाइनल परीक्षा आ गई। रंजना और अभिलाष ने तय किया अब कुछ समय वे लोग अपनी पढ़ाई को देंगे अतः मिलना -जुलना बंद हो गया। अंतिम पेपर वाले दिन रंजना और अभिलाष कैंटीन में गये। जहाँ अभिलाष ने उसे शादी के लिये प्रपोज़ किया। बस जॉब लग जाये, तुम मेरा इंतजार करना, रंजना उदास थी

क्योंकि अभिलाष उसी दिन शाम को अपने घर वापस जा रहा था।रंजना के आँसू पोंछते अभिलाष की भी ऑंखें भर आई। दूर तक अभिलाष पीछे मुड़ कर देखता रहा।

रंजना इंतजार करती रही, कुछ दिन  अभिलाष से फोन पर बात होती रही। एक दिन अभिलाष ने बताया, उसे दो साल के लिये अमेरिका जाना पड़ेगा।वहाँ से लौटते ही वो दोनों शादी कर लेंगे।रंजना डर गई, घर में शादी करने के लिये जोर दिया जा रहा और अभिलाष दो साल का समय और चाहता हैं।

अभिलाष उसके घर आया और रंजना के मम्मी -पापा से उसका हाथ माँगा। रंजना ने उन्हें पहले ही बता दिया था। मम्मी -पापा ने भी अपनी सहमति दे दी,क्योंकि अभिलाष एक अच्छे परिवार से ताल्लुक रखता था। अमेरिका जाने के बाद, रंजना को हर हफ्ते कॉल करता था,फिर फोन आना बंद हो गया।धीरे -धीरे हफ्ता,महीना और महीना साल में बदल गया।फोन बंद ही रहा।रंजना को अभिलाष पर विश्वास था इसलिये इंतजार करती रही।

रंजना ने समय काटने के लिये अपने ही कॉलेज में जॉब पकड़ ली। कुछ समय बाद न्यूयार्क के एक कॉलेज में रंजना को सेमीनार अटैंड करने दो साथी प्रोफ़ेसर के साथ न्यूयार्क भेजा गया। सेमिनार अटैंड करने का एक कारण ये भी था क्या पता कहीं अभिलाष से मुलाकात हो जाये।  टी ब्रेक पर रंजना चाय के लिये हॉल से बाहर निकली तभी देखा वहाँ मसाला चाय भी थी।

एक मधुर स्मित उसके होठों पर फैल गई। मसाला चाय की लत अभिलाष ने ही लगवाई थी। “अरे रंजू तू यहाँ “एक चहकती आवाज सुन रंजना पलटी तो कॉलेज की सहपाठी मधुरा को पास देखा। दोनों एक समय अच्छी दोस्त थी।



फिर मधुरा विदेश चली गई, रंजना के साथ उसका संपर्क खत्म हो गया।”तू किस लिये आई “अरे यार मै यही पढ़ाती हूँ साइंस की टीचर हूँ और मेरे पति भी मेरे साथ यही प्रोफ़ेसर हैं। दूर खड़े व्यक्ति को दिखाते मधुरा बोली। मधुरा के पति को देख, रंजना सन्न रह गई। कब सेमिनार पूरा हुआ, कब रंजना ने फ्लाइट पकड़ी कुछ याद नहीं।

प्लेन जब इंडिया में लैंड किया, रंजना के बरसों के रुके आँसू बह निकले।  पक्की सहेली रति की खबर सत्य निकली, अपने कैरियर के लिये अभिलाष ने प्रेम की आहुति दे दी। विभाग के हेड, मधुरा के पिता ने बेटी से विवाह कर वहीं बस जाने का ख्वाब अभिलाष को दिखा दिया था, जिसकी चमक से अभिलाष बच ना सका।

प्लेन से निकलने वाली रंजना बदले स्वरुप में बाहर से निकली। फिर रंजना ने बीते अध्याय को बंद कर दिया। उसके माता -पिता उसकी शादी का अरमान लिये चले गये थे। रंजना कॉलेज के कैंपस में शिफ्ट हो गई थी।

 

            “मैडम इतना भीगेगी तो बीमार पड़ जायेगी” ये सुनते ही रंजना झटके से वर्तमान में आ गई जिस विगत की परछाई से भागती थी आज इतनी देर यादों की उन्ही गलियों में घुम रही थी ।देखा प्रोफ़ेसर रजत छतरी ले कर खड़े थे। आगे बढ़ कर उन्होंने रंजना का हाथ थाम लिया।

आज रंजना ने भी मजबूती के साथ उनका हाथ पकड़ अपनी सहमति दे दी , कभी साथ ना छोड़ने के लिये। एक बार फिर बादलों की जोरदार गर्जना सुनाई दी और थमी हुई बारिश फिर अपने पूरे वेग से शुरु हो गई। रंजना को लगा ऊपर से मम्मी -पापा भी उसके इस निर्णय का समर्थन कर रहे।

बरसात से शुरु और बरसात पर खत्म ये जिंदगी की कहानी, आखिर मुकाम पा ही गई। प्रोफ़ेसर रजत भी आखिर में अपनी मोहब्बत पाने में कामयाब हो गये। बस फर्क ये था, अब बालों में सफेदी और चेहरे पर उम्र की हल्की छाप पड़ गई थी,।

 

                                              #संगीता त्रिपाठी

     #बरसात                                          गाजियाबाद

 

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!