बेवकूफ औरत.. मन में तो आता है अभी तेरे गालों पर दो थप्पड़ लगा दूं किंतु मेरी मां ने मुझे किसी औरत पर हाथ उठाने के संस्कार भी तो नहीं दिए किंतु तेरी जैसी घटिया औरत अगर घर में हो तो एक बार तो भगवान भी शर्मा जाए, तू एक बेटे से अपनी मां को मारने के लिएकह रही है कुछ तो शर्म कर ले! धीरज की बात सुनकर पत्नी सुधा बोली…
हां हां बस तुम्हें तो मेरे ऊपर ही गुस्सा दिखाने आता है जो मैं कह रही हूं क्या वह गलत है, मां जी अब कितने दिनों की मेहमान है 75 साल की हो गई है अब उनकी उम्र भगवान का ध्यान करने की है और भगवान भी जल्दी ही उन्हें अपने पास बुला भी लेंगे किंतु तुम्हारा बस चले तो तुम्हारी मां की आयु में 100 वर्ष और जोड़ दो
, सब कुछ अपनी मां पर कुर्बान करने का इरादा कर लिया है हमको तो सड़क पर छोड़ दो, हम इतने रईस नहीं है कि तुम्हारी मां का ऑपरेशन करवा ले और बाकी जिंदगी भी आराम से कट जाए हमारे पास है ही क्या खर्च करने को, तुम्हारी एक मामूली सी क्लर्क की नौकरी उसमें से पूरे घर का गुजारा चलता है मां की दवाइयां घर खर्च बच्चों की पढ़ाई लिखाई
यह तो तुम्हें नजर ही नहीं आ रहा, इस उम्र में शरीर जवाब दे ही जाता है और मां जी की किडनी खराब हुई है उसके लिए तुम 15 से 20 लाख तक खर्च करने को तैयार हो, क्या बात है तुम्हारी.. ले देके तुम्हारे पिताजी दो छोटी-छोटी दुकान छोड़ गए थे जिनका किराया आता था उनसे हम जैसे तैसे घर का गुजर बसर कर रहे थे अब तुमने तो उन दोनों दुकानों को भी बेच दिया,
देख ना आने वाले समय में हमारी भूखे मरने की नौबत आ जाएगी! चुप रहो मेरे सामने ज्यादा बहस करने की जरूरत नहीं है अरे मेरा बस चलता तो मैं अपनी मां के लिए खुद को भी बेच देता तुमने सुना था ना डॉक्टर ने क्या कहा था कि.. मेरा खून मां के खून से मैच नहीं होता इसलिए हमें किसी और की किडनी का इंतजाम करना होगा और उसी के लिए मैं दिन-रात एक कर रहा था
अब जाकर उसकी व्यवस्था हो पाई है, अरे हां पर तुम्हारा तो खून मिल गया था तो तुम अपनी एक किडनी मां को दे दो वैसे भी इंसान एक किडनी पर भी जिंदा रह सकता है और उसे कोई तकलीफ भी नहीं होती और मैं वह 20 लाख रुपए तुम्हें दे दूंगा, फिर तुम्हारी जिंदगी भी आराम से कट जाएगी, मुझे नहीं पता मेरी मां की कितनी उम्र है
किंतु अगर मेरी मां की जिंदगी दो दिन की भी होती तब भी मैं अपनी तरफ से पूरी कोशिश करता कि मैं अपना फर्ज निभाने में पीछे नहीं रहूं, चाहे उसके लिए मुझे जमीन आसमान एक करने पड़ जाएं, मेरी मां की कीमत इन पैसों से बहुत ज्यादा है! वक्त से डरो सुधा कहीं ऐसा ना हो तुम्हारी ऐसी घटिया सोच को देखकर तुम्हारे बच्चे किसी दिन तुमको बेच दें,
उनके लिए हमसे जरूरी पैसा मायने रखने लग जाए, मेरी मां ने इतनी तकलीफों के बाद भी मुझे किसी तरह की कोई कमी नहीं रहने दी तो मैं अब उनके लिए कोई भी कमी कैसे छोड़ दूं, मेरी मां ने क्या मुझे इसीलिए पाल कर बड़ा किया था कि बुढ़ापे में मैं उन्हें इस तरह मरते हुए देखूं, नहीं सुधा मुझ से तो यह नहीं होगा! तुम भी तुम्हारे भाइयों से जाकर क्यों नहीं कहती
कि तुम्हारी मां को किसी वृद्ध आश्रम में या सड़क पर छोड़ दे क्यों उनका ध्यान रखते हैं? वाह.. तब तो तुम्हारे भाई बड़े अच्छे लगते हैं जब वह तुम्हारी मां की देखभाल करते हैं, अभी हमारे बच्चे बहुत छोटे हैं और अभी मैं इतना कमाता हूं कि आने वाले समय में भी हम भूखे नहीं मरेंगे किंतु अगर मेरी मां मेरी वजह से मर गई तो मैं कभी खुद को माफ नहीं कर पाऊंगा
और न ही कभी चैन से जी पाऊंगा! और ऐसा कहते कहते धीरज जोर-जोर से रोने लगा! हां शायद तुम सही कह रहे हो मुझे तो अभी से अपना भविष्य नजर आ रहा है आजकल हम कितना बेटों के बारे में सुनते है कि उन्होंने जीते जी अपने मां-बाप को मरने के लिए मजबूर कर दिया या उन्हें किसी वृद्ध आश्रम में छोड़ जाए यह सब उनके संस्कारों की वजह से ही होता है, मैं अपने बच्चों को उनके पापा
के जैसे संस्कार दूंगी ताकि वह कभी हमारे साथ ऐसा ना करें, मुझे माफ कर दो मैं शायद अपने स्वार्थ में अंधी हो गई थी मुझे अपना भविष्य नजर आ रहा है अगर मेरे बच्चों ने भी हमारे साथ ऐसा किया तो…? नहीं नहीं हम अपने बच्चों को तुम्हारे जैसे ही संस्कार देंगे! अच्छा सुधा मैं डॉक्टर साहब से मिलकर आता हूं तब तक तुम मां का ध्यान रखना और हां बच्चों को मां के पास बैठने दो खेलने दो यह
कोई छुआछूत की बीमारी नहीं है जो बच्चों को लग जाएगी बल्कि मां तो बच्चों को देखकर खुश होती है और मां के सामने किसी भी तरह की पैसे वाली बात मत करना नहीं तो कोई भी मां यह नहीं जाएगी कि उनकी वजह से उनके बच्चों को तकलीफ हो, अगर हम वक्त से डरेंगे वक्त की कदर करेंगे तो वक्त भी हमारी कदर करेगा!
हेमलता गुप्ता स्वरचित
कहानी प्रतियोगिता (वक्त से डरो) .
# मां की कीमत