मम्मी मम्मी दरवाजा खोलो शिवानी लगातार दरवाजा पीटती जा रही थी। अंदर गहरी नींद में सोई कुमुद जी उठी इतनी रात में कौन दरवाजा पीट रहा है। बिस्तर से उठी बत्ती जलाई,। और दरवाजा खोल के देखा तो सामने शिवानी खड़ी थी ।
रोती-रोती कुमुद जी के गले लग गई। क्या हुआ शिवानी बताओ मुझे बचा लो मम्मी कुछ लोग मेरे घर में घुस आए हैं और मेरी इज्जत… ।अच्छा चुप हो जाओ आओ बैठकर पानी पियो फिर बताओ क्या हुआ। वह मम्मी, मम्मी हां हां बताओ क्या हुआ
किसी ने दरवाजे की घंटी बजाई जब मैं दरवाजा खोलकर देखने गई तो चार लड़के थे उन्होंने मुझे धक्का देकर घर के अंदर घुस आए और दरवाजा बंद कर लिया फिर रोने लगी शिवानी।
कुमुद जी उनके दो बेटे और पति अशोक का
परिवार था। जिनमें दोनों बेटों की शादी हो चुकी थी । कुमुद जी इस समय 75 साल की और अशोक जी 78 के हो रहे थे। अशोक जी के छोटे बेटे ने लव मैरिज की थी सो माता पिता नाराज़ थे तो कुछ दिन तो साथ-साथ रहे फिर बहू बेटों ने अलग मकान ले लिया था रहने को। कुछ दिन की नाराजगी रही लेकिन फिर सब ठीक हो गया था ।
और बेटे बहू का माता-पिता के घर आना जाना हो गया था। और अब बेटे की शादी को भी 27 साल हो गए थे और उसके दो बेटियां हैं। बड़ी बेटे की शादी नहीं हो पाई थी और छोटे ने पहले कर ली थी ।फिर जल्दी-जल्दी बड़े बेटे की शादी के लिए लड़की ढूंढने जाने लगी ।असल में घर में बिजनेस चलता
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था पैसा भी ठीक-ठाक था ।तो बड़े बेटे मनीष का पढ़ने लिखने में मन नहीं मन नहीं लगता था। इंटर करने के बाद ग्रेजुएशन करने को एडमिशन लिया था लेकिन वह पूरा नहीं कर पाया। 1 साल ही करके छोड़ दिया कहीं शादी नहीं हो रही थी कि किसी के द्वारा पता लगा
कि शहर से दूर किसी रिश्तेदार की बेटी है एम ए कर रही है ।देखने सुनने में अच्छी है लेकिन गरीब है तो मजबूरी में शादी की बात चलाई तो लड़की के पिता मान गए और शादी हो गई।
राधिका नाम था बड़ी बहू का और शादी होकर घर आ गई आई तो गरीब परिवार से थी लेकिन यहां पैसा देखकर वह फिर तरह-तरह के डिमांड करने लगी। दिनभर कमरे में पड़ी रहती घर का कोई काम धाम ना करती। इसी तरह से तू तू मै मैं होने लगी। वह मनीष पति से भी झगड़ा करने लगे घर का माहौल बिगाड़ दिया था।
मनीष घर की बिजनेस में हाथ बटाता था। जरूरत का पैसा वह राधिका को देता था लेकिन फिर भी उसको पूरा नहीं होता था ।साल भर र बाद राधिका एक बच्चे की मां बन गई ।राधिका को शादी के वक्त बताया की मनीष ने ग्रेजुएशन किया हुआ है। परिवार में गरीबी के कारण अच्छा घर मिल रहा था
तो राधिका के पिता ने शादी कर दी। अब जब राधिका को पता लगा कि मनीष ने ग्रेजुएशन भी पूरा नहीं किया है तो वह इस बात को ताना मारने लगी कि झूठ बोलकर शादी कर दी। मैंने एम ए किया हुआ है और तुमने ग्रेजुएट भी नहीं किया है। कुल मिलाकर घर का माहौल काफी तनावपूर्ण रहने लगा।
लड़ाई झगड़ा करके राधिका ने सास ससुर से अपना खाना पीना भी अलग कर लिया था ।खुद अपना और बेटी का खाना बना लेती थी और मनीष का नहीं बनती थी। मनीष नीचे की हिस्से में मां के साथ खाना खाता था।
और राधिका के भी गलत व्यवहार की वजह से दोनों पति-पत्नी में तनातनी रहती थी ।मनीष ज्यादा समय मां के पास ही रहता था सारा खर्चा राधिका का कुमुद जी ही उठाती थी फिर वह कहती कि मुझे खर्चे के पैसे नहीं मिलते हैं। पति-पत्नी के बीच में एक तनाव सा पैदा हो गया था।
अब राधिका की बेटी 3 साल की हो गई तो स्कूल में एडमिशन कराने गई वहां पर कुछ लड़कियां टीचर के लिए इंटरव्यू देने आई थी ।राधिका के मन में आया कि मैं भी यही नौकरी कर लूं यही बेटी पढ़ेंगी और मैं भी यही पढ़ाऊंगी दोनों साथ-साथ रहेंगे।
किसी के पास छोड़कर आने की जरूरत नहीं पड़ेगी। पढ़ी-लिखी थी राधिका तो वही स्कूल में उसे टीचिंग की जाब मिल गई ।अब राधिका सबसे कहने लगी मुझे घर से कुछ पैसा नहीं मिलता मैं तो अपना खर्चा अपनी नौकरी से निकलती हूं । जबकि बेटी की फीस और बाकी का खर्चा कुमुद जी ही करती थी।
सास ससुर से रिश्ते खराब होते गए और पति मनीष से भी रिश्ते कड़वे होते गए ।खूब लड़ाई झगड़ा होने लगे। इसी टेंशन में मनीष शराब पीने लगा। तब तो और भी स्थिति खराब हो गई पति-पत्नी की ऐसे मनीष और राधिका में बहस में हो रही थी कि मनीष ने धक्का दे दिया राधिका को ,फिर किया था राधिका थाने में जाकर रिपोर्ट लिखवा दिया पति मारता है
और सास ससुर जी और भी खर्च को पैसे नहीं देते ।और मैं अकेले नौकरी करके बेटी अपना और बेटी का खर्चा उठती हूं ।और पुलिस आ गई घर में पूछताछ हुई इसी तरह मामला रफा-दफा हुआ। अब तो जरा सी बात होती राधिका झट
से थाने पहुंच जाती और घर के सब लोग डरने लगे सबने राधिका से बातचीत बंद कर दी।
इसी तरह मनीष और राधिका की शादी के 25 साल बीत गए बेटी भी अब 24 साल की हो गई थी। बेटी की पढ़ाई लिखाई का सारा खर्चा कुमुद जी उठा रही थी। तब भी राधिका कहती रहती कि परिवार वाले कुछ नहीं करते।
अब राधिका को भी इतने सालों की नौकरी से ₹8000 मिलते हैं अब बताइए इतने पैसे से घर का खर्चा और बेटी के पढ़ाई का खर्चा पूरा हो सकता है क्या। अभी स्थिति है की सास बहू में कोई बातचीत नहीं है बहू मकान के ऊपर की हिस्से में रहती है और कुमुद जी नीचे के हिस्से में ।
5 साल पहले कुमुद जी को ब्रेस्ट कैंसर हुआ था उसका ऑपरेशन कराया गया। लेकिन राधिका एक बार भी पूछने नहीं आई सास को ।मनीष ही सेवा करता रहा। हर वक्त मां के पास बेटे के रहने से कुमुद जी बहुत कुछ आश्रित हो गई थी मनीष पर ।
और बेटे को बहुत चाहती भी थी। अब राधिका घर में हिस्सा मांग रही थी। कुमुद जी ने कहा अभी नहीं हो रहा है तुम्हें एक अलग घर दिला दे रहे हैं वहां रहो जाकर बस थोड़ा सा कुछ काम बाकी था और अगले महीने जाने की तैयारी थी। कि अचानक से मनीष का एक्सीडेंट हुआ
और उसका देहांत हो गया ।अब तो कुमुद जी जैसे वज्रपात हो गया जो हर वक्त मां का ध्यान रखता था। 55 साल का लड़का चला गया राधिका की अपेक्षा के कारण वह हर समय मां के पास में ही रहता था। बहुत मुश्किल घड़ी थी । जाने वाले तो चला गया आप कितना ही सिर पीट लो वो वापस नहीं आता।
13वीं के बाद कुमुद जी ने सोचा कि राधिका अब यहीं रह जाएगी क्योंकि वह भी अकेले हैं और मैं भी अकेले हूं ।फिर कुमुद जी ने पूछा कि राधिका तुम यहीं रहोगी मेरे पास क्योंकि अब मनीष तो है नहीं अकेले रहना बहुत मुश्किल होगा यही रहो।
जैसे चाहो वैसे रहो अब मेरा भी कोई सहारा नहीं है दूसरा बेटा तो पहले ही से अलग घर में रहता है मैं भी कैसे अकेले रहूंगी मनीष के बिना। तुम लोग यहीं रह जाओ। लेकिन राधिका ने कहा कि मैं अलग घर में रहूंगी आजादी से ।तो तुम्हें यहां कौन सा बंधन है
राधिका नहीं मानी ।कुमुद जी सोचने लगी कितनी पत्थर दिल होते हैं इंसान, उसका तो सुहाग था लेकिन मेरा तो बेटा था कैसे रहूंगी उसके बिना। लेकिन राधिका नहीं मानी और अपने मकान में चली गई।
वहां कुछ दिन ही रही थी कि राधिका की बेटी किसी एंट्रेंस एग्जाम देने शहर से बाहर गई।और राधिका घर में अकेली रह गई मौका देखकर तीन-चार लड़के घुस गए वह तो पता नहीं कैसे राधिका बच निकली और घर आ गई।
कुमुद जी ने उसका ढांढस बंधाया इतने दिनों की कड़वाहट आज सास के गले लगा कर उतर गई। और अब राधिका कहने लगी मम्मी जी मैं यहीं रहूंगी आपके पास ,हां ठीक है रहो मैं तो पहले ही कह रही थी मनीष होते तो कोई बात ना थी
लेकिन अब अकेली बेटी को लेकर रहना वहां ठीक नहीं है। और पत्थर दिल दिल दोनों के पिघल रहे थे और रिश्तो में जैसे मिठास घोल रहे थे। बेटे के जाने के बाद कुमुद जी भी चाह रही थी कि सब कुछ सुधर जाए जो कुछ पहले हुआ ।उसको राधिका भी भूल जाए
और मैं भी ।एक नए सिरे से जिंदगी शुरू करूं । लेकिन राधिका नहीं मान रही थी तो एक हादसे ने सबक सीखा ही दिया ।।और आगे की भविष्य में शायद रिश्ते सुधर जाएं क्योंकि अब अच्छा बुरा कुछ भी होता है तो उसकी जिम्मेदारी सास ससुर की ही वही ठहराया जाएगा इस घटना से शायद रिश्ते में धीरे-धीरे की सुधार आ जाए।
दोस्तों कभी कभी हम बेमतलब जिद पर अडे रहते हैं लेकिन जिंदगी के कुछ हादसे नई राह दिखा जाते हैं ।
मंजू ओमर
झांसी उत्तर प्रदेश
11 जुलाई