संयुक्त परिवार – खुशी : Moral Stories in Hindi

निशि एक 20 साल की लड़की थी जिसके लिए लड़के देखे जा रहे थे।परिवार में बड़ी बहन बबीता जिसकी शादी हो चुकी थी बड़ा भाई अमर जो पहले बहन की शादी कर अपनी शादी के बारे में सोचना चाह रहा था मां सीता देवी और पिता नारायण जी थे जो रेलवे में अकाउंटेंट थे।रिटायर हो कर उन्होंने अपना सारा पैसा  घर बनाने और बेटी के विवाह के लिए रख दिया इसी बीच उन्हें पक्षाघात हुआ और उन्होंने बिस्तर पकड़ लिया इसी कारण सीता देवी को चिंता थी कि निशि की शादी जल्दी हो जाए। निशि के लिए अविनाश का रिश्ता आया

जिसके परिवार में ससुर ,5 भाई दो जेठानियां और 2 नन्द थी जिनकी शादी हो चुकी थी और वो अपने घर में सुखी थी।ससुर रिटायर थे सासू माँ का देहांत हो गया था।2 बड़े भाई और अविनाश दुकान संभालते थे उनका मार्केट में बहुत बड़ा डिपार्टमेंटल स्टोर था। अविनाश से छोटा विवेक डॉक्टर था और सबसे छोटा जयंत बैंक में था।उन सबको निशि पसंद आई और च ट मंगनी और पट ब्याह हो गया शुरू शुरू में निशि को परेशानी हुई पर फिर वो धीरे धीरे उस घर रम गई जेठानी विमला और गीता दोनों खाना बहुत अच्छा बनाती तो उन्हें खाने के ऑर्डर भी आते

जिसमें निशि उनकी सहायता करती ।विमला के एक बेटा हेमंत और बेटी स्वाति थे।और गीता के दो बेटे राजन और श्याम थे।वो दोनों कई बार शाम को बच्चों को निशि के पास छोड़ घूमने चली जाती पर निशि बच्चो को बड़े प्यार से रखती।इसी बीच विवेक के लिए बड़े अच्छे घर से रिश्ता आया पर उसके ससुर राजी ना हुए उनका कहना था कि डॉक्टर लड़के के लिए बहु भी डॉक्टर होनी चाहिए फिर लड़की देखी जाने लगी अब जो लड़की आई

उसका नाम जयश्री  था जो  कि एक अस्पताल में बतौर नर्स  काम करती थी सबकी पसंद से वो घर में दुल्हन बन कर आ गई। शुरू से ही उसका स्वभाव अलग था वो घर में किसी से मिक्स नहीं होती जहां तीनों   देवरानी जेठानी मिल जुल कर रहती वो कटी कटी सी रहती ।फिर वो धीरे धीरे विवेक का दिमाग खराब करने लगी कि यहां से अलग चलो विवेक ने उसे समझाया कि अलग रहने के बहुत नुकसान है पर उसके सिर पर तो भूत सवार था अलग होने का इसी बीच वो प्रेगनेट हो गई 

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और निशि भीअल्ट्रासाउंड में पता चला कि  जयश्री के जुड़वा बच्चे है ।घर में सब उसका ध्यान रखते  पर उसे ये पसंद नहीं आता फिर नियत समय पर उसने जुड़वा बच्चों को और निशि ने एक बेटे को जन्म दिया।निशि के बेटे का नाम अक्षय और जयश्री के बच्चो के नाम निमिष और नचिकेत रखे गए।जयश्री अपने बच्चों को सबसे दूर रखतीं। दिसंबर का महीना था बहुत ठंड थी।निशि अपनी मां के घर गई हुई थी।रिश्तेदारी में शादी थी तो सब शादी में गए थे  घर में ससुर और जयश्री थे ठंड ज्यादा थी जयश्री ने 3 महीने के बच्चो को 2 रजाई उड़ा कर सुला दिया।

शाम को विमला और  गीता घर आई और गीता  चाय बना  कर जयश्री के कमरे में आई उससे पूछा  कि  बच्चे कहा  वो बोली सो रहे हैं गीता ने कहा कहा दिखाई तो नहीं दे रहे।जयश्री बोली  रजाई के अंदर गीता बोली इतने से बच्चों को इतनी भारी रजाई में सुला दिया उसकी आवाज सुन विमला भी आ गई दोनो ने रजाई हटाई देखा तो बच्चे पसीने से लथपथ पड़े थे एक बच्चे की सास रुक गई थीं दूसरे को जैसे तैसे बचाया गया। जयश्री ने अपने बच्चे को मारने का इल्जाम गीता और विमला पर लगाया

फिर सभी की सहमति से विवेक और जयश्री को अलग कर दिया गया।जहां एक घर में सब मिल कर रहते सारे काम हो जाते किसी को कुछ पता नहीं चलता था बच्चे पल रहे थे सभी जरूरतें बिना कहे पूरी हो जाती हर कोई एक दूसरे का साथ देता परिवार में बहुत प्रेम था ।पर  अब क्या हो सकता था।

विवेक और जयश्री अलग घर में आ गए।जयश्री ने बच्चे का बहाना कर हॉस्पिटल जाने से मना कर दिया।विवेक ने कहा ठीक है क्लीनिक पर मन करे तो आ जाना।जयश्री सारा दिन सोती रहती सुबह देर से उठती विवेक बिना नाश्ते खाने के घर से जाता बाहर का खाता कलिनिक घर के पास था तो पिताजी भाइयों से मिलने जाता वही खा पी लेता कई बार भाभिया जयश्री और निमिष के लिए भी खाना भेज देती उसमें भी जयश्री किचकिच करती कुछ मिला के दे दिया होगा।

तीज त्यौहार पर भी नहीं जाती विवेक और निमिष ही चले जाते।विवेक ने जानबूझ कर निमिष का एडमिशन भी अक्षय के स्कूल में करवाया वहां पता चलता की आज निमिष आया ही नहीं आज उसके पास लंच नहीं है निशि अक्षय के साथ निमिष का भी लंच भेजती।इधर एक दिन अक्षय को निमिष की क्लास टीचर ने बुलाया की निमिष 10 दिन से स्कूल नहीं आ रहा। अक्षय बोला मुझे नहीं पता घर जाकर निमिष ने निशि को बताया

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उसी दिन शाम को विवेक घर आया तो निशि ने पूछा भैया निमिष की तबीयत ठीक है विवेक बोला हा क्यों निशि बोली वो दस दिन से स्कूल नहीं जा रहा इसीलिए विवेक बोला मै रोज जब घर से निकलता हूँ तभी वो भी निकलता है घर जाकर पता करता हूं।घर आकर विवेक ने जयश्री से पूछा निमिष स्कूल नहीं जा रहा जयश्री बोली रोज जाता है विवेक बोला झूठ मत बोलो ये 10 दिन से स्कूल नहीं गया।जयश्री घर वालों को उल्टा सीधा बोलने लगी उन्होंने ही झूठी लगाई बुझाई कि होगी।

विवेक ने निमिष को एक चाटा लगाया और पूछा तो वो बोला मै स्कूल ना जाकर लड़कों के साथ जुआ खेलता था।विवेक ने निमिष को बहुत मारा विवेक के डर से निमिष स्कूल जाता पर 10 में फेल हो गया और पढ़ाई छोड़ दी।इधर विवेक बहुत कमजोर होता जा रहा था उसकी तबियत खराब थी उसके पेट में दर्द था डॉक्टर को दिखाया तो पता चला पेट का कैंसर है लास्ट स्टेज डॉक्टर दवा सब का खर्चा भाइयों ने उठाया अस्पताल से डिस्चार्ज करवा उसे घर छोड़ कर आए

दो दिन बाद खबर आई सड़क पर एक लाश पड़ी है पड़ोसियों ने बताया चक्कर खा कर गिर पड़े थे और उनकी मौत हो गई भाई भतीजे दौड़ते हुए गए और उसका सब संस्कार किया।सब भाइयों में सबसे हैंडसम पर उसकी क्या गत हुई। अभी भी जयश्री को अकल नहीं आई फिर भी भाई महीने का खर्चा और राशन भेजते एक दिन पता चला कि क्लीनिक और मकान रातों रात बेच कर मा बेटा शहर छोड़ चले गए।सब जगह ढूंढा कुछ पता ना चला।5 साल बाद एक दिन हेमंत ऑफिस से लौट रहा था

उसे निमिष दिखाई दिया उसने गाड़ी रोक पूछा बोला हा हम दो साल पहले ही आ गए मेरी शादी हो गई गार्ड की लड़की से अब हम एक कॉलोनी में रहते हैं।फिर एक दिन जयश्री सुबह उनके घर पहुंची की पुलिस स्टेशन चलो।पुलिस स्टेशन पहुंच कर पता चला निमिष की पत्नी ने केस किया है कि वो लोगों के घरों में झाड़ू पोछा कर अपना अपने बेटे का पेट पालती है ये दिन भर सोया पड़ा रहता है कुछ काम नहीं करता इसकी मां मुझे मारती हैं इन दोनों को जेल में बंद करो।वकील थाना सबको समझा बुझा कर लड़की को पैसे देकर मामला

रफा दफा करवाया और उनका तलाक़ करवाया।भाई तो चाहते थे कि इन्हें फिर घर ले आए पर घर की औरतों ने मना कर दिया कि अब घर बहुओं वाला है उनका खर्चा उठाओ पर यहां मत लाओ।निमिष को एक जगह बात कर अक्षय ने नौकरी लगवा दी पर उसके हाल अभी भी ना बदले जयश्री पागल जैसी हो गई थी।

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फिर एक दिन खबर आई जयश्री गुजर गई निमिष पागल सा उसकी लाश के पास चिल्ला रहा था अच्छा हुआ मर गई इतना अच्छा घर था मेरे पापा,भाई मुझे सबको तबाह कर दिया इस औरत ने मै भी अपने घर रहता अच्छा पढ़ता पापा कितना चाहते थे कि मैं डॉक्टर बनू।इस औरत ने सब बर्बाद कर दिया ।सबने मिलकर जयश्री का क्रिया करम किया।13 दिन बीते सब घर आए निमिष को भी कहा अब तू हमारे साथ चल यहां अकेले मत रहना निमिष बोला मै कल आऊंगा।सब घर आ गए अगले दिन मकान मालिक का फोन आया कि निमिष ने खुदकुशी कर अपनी जीवन लीला समाप्त कर ली।

एक औरत के अहंकार और बेवकूफी ने एक भरे पूरे परिवार के बेटे को सड़क पर ला दिया।अकेले रहने में वो सुख कहा जो एक साथ रहने में है बच्चे बड़े एक दूसरे की कड़ी होते है प्यार की भाषा समझते है मनमुटाव हो तो भी एक दूसरे को संभाल लेते हैं।

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स्वरचित कहानी 

आपकी सखी 

खुशी

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