ये कहानी हैं रागिनी जी की ।रागिनी 4 भाई बहनों में सबसे छोटी थी।दो बहनों रोहिणी और पूर्णिमा की शादी हो गई और उनके पिताजी को बिजनेस में लॉस होने की वजह से हृदयाघात हुआ और उनका देहांत हो गया भाई अमन एक रेलवे में इंजीनियर था तो उसकी ट्रांसफर नासिक हो गई इसलिए रागिनी मां और भाई के साथ नासिक आ गई।रागिनी देखने में सुंदर थी।पर पिता की मौत के कारण वो अपनी पढ़ाई पूरी नहीं कर पाई। हर कोई जरूरत के लिए बुला लिया
करता कभी बड़ी बहन कभी छोटी पर जब भी मां का विषय निकलती तो दोनों बहने टाल जाती।कही शादी की बात होती तो मोटा दहेज और लड़के वालो की अजीब गरीब शर्ते सब परेशान थे। रागिनी को भी लगता अब मै सब पर बोझ हूं। हे ईश्वर कुछ मदद करो तभी उसकी छोटी बहन पूर्णिमा के पति की बदली दिल्ली हो गई तो घर लगवाने के लिए और हाथ बंटवाने के लिए पूर्णिमा रागिनी को अपने साथ दिल्ली ले आई ।वहां पर उन्हीं की बिरादरी के लोग आस पास मिल गए
जिससे पूर्णिमा को भी सहारा हो गया और उन्हीं एक की जान पहचान से रागिनी के लिए एक रिश्ता भी सुझाया गया।मां को पूर्णिमा ने बताया तो अमन और मां बोले पहले तुम और दामाद जी देख कर आ जाओ अगर समझ आए तो हम आते है अगले इतवार शरद और पूर्णिमा रिश्ता देखने गए।घर में मां शांति पिताजी दीनानाथ और 3 बहने आरती,रजनी और पूजा थे और तीनों का छोटा भाई सुनील जिसका रिश्ता रागिनी के लिए आया था लड़का एक कंपनी में अच्छी नौकरी करता था दो बहनों की शादी हो गई थी
जो लोकल ही थी तीसरी कॉलेज में प्राध्यापक थी कुल मिलाकर सब ठीक ही लगा इसलिए अपने घर आने का निमंत्रण दे कर पूर्णिमा आ गई घर आ कर उसने मां भाई को बताया वो दोनों भी आ गए रिश्ते के तय होने पर अमन ने पूछा आपकी कोई डिमांड हो तो बताइए तो मां शांति बोली नहीं हमारे पास सब कुछ है हमें कुछ नहीं चाहिए।फिर भी अपनी हैसियत से अमन ने काफी कुछ दिया और रागिनी की शादी हो गई मां भाई दूर नासिक में और रागिनी दिल्ली में बस एक पूर्णिमा ही थी उसके पास ससुराल में आई
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तो एक दो दिन तो अच्छे से गुजरे फिर सब मेहमानों के जाने के बाद सामान खोला गया और रागिनी को ताने सुनाने का सिलसिला भी क्या कपड़े दिए है ऐसे कपड़े तो हमारे नौकर भी ना पहने बड़ा भाई पूछ रहा था शादी में आपकी डिमांड हमने मना किया तो कंगाल की तरह अपनी बहन हमारे मथे मढ दी।रागिनी से ये सहन न हुआ वो बोल पड़ी क्यों आप ऐसा कह रहे हैं मेरे भैया ने आपसे दस बार पूछा आप ने मना किया इसलिए उन्होंने दहेज नहीं दिया पर अपनी हैसियत से बढ़कर कपड़े गहने उन्होंने दिए। पूजा वहां से उठकर आई और बोली
बड़ी जबान चलती है तेरी और रागिनी को एक थप्पड़ रसीद कर दिया रागिनी देखती रही और रोते हुए अन्दर चली गई उसके जाने पर शांति बोली ये तूने क्या किया पहली भी ऐसे ही चली गई थी अब ये भी चली गई तो पूजा बोली मां अब तुम सब संभल लेना।शाम को सुनील के आते ही शांति ने और पूजा ने उसके कान भर दिए।सुनील अंदर आया और रागिनी पर चिलाने लगा तुम कितनी ग्वार हो पूजा थक कर घर आई और तुम उसे उल्टा सीधा बोलने लगी रागिनी बोली मैने तो कुछ नहीं कहा
उसका चेहरा देख सुनील को कुछ समझ तो आया पर वो कुछ नहीं बोला तुम पूजा के मुंह मत लगा करो उसे भूख बर्दाश्त नहीं है।शांति ने भी यही बात बोली बात आई गई हो गई कुछ दिन सब ठीक था फिर वही जैसे ही तीनों बहने जमा होती मां के कान भरती और शांति का व्यवहार बदल जाता।एक दिन खाना बनाते समय रागिनी साथ साथ दूसरा काम भी कर रही थी और दाल जल गई तीन दिन सुबह शाम रागिनी को वही जली दाल खिलाई गई।रागिनी घुट घुट के जी रही थी भाई और मां को कुछ बता नहीं सकती थी
कि वो परेशान होंगे। एक दिन रागिनी से मिलने पूर्णिया आई तो उससे भी शांति बस रागिनी की बुराई करती रही सुनील तो पूर्णिमा को देख घर से बाहर चला गया।रागिनी को हर तरह की पाबंदी थी किसी से बात नहीं करना कही जाना नहीं कही आना नहीं ।एक बार उसकी सास और पूजा शादी में गए थे। घर में रागिनी थी उसके ससुर दिन का खाना खा सो रहे थे।बर्तन मांजने के लिए बाई आई तो वो बोली बेटी कैसे सहती हो ये लोग तो जानवर है पहली को भी इसी तरह परेशान किया पर वो रहीस घर की थी
तो उसके मां बाप उसे तलक दिलवा ले गए।रागिनी बोली ये आप क्या कह रही हैं है बोली मै सच कह रही हूं तुम लोगो को इन्होंने नहीं बताया क्या? रागिनी बुत बनी खड़ी थी उसे समझ ही नहीं आ रहा था वो क्या करे ।सुनील के आने पर उसने सुनील से पूछा सुनील उस दिन पी कर आया था बोला हा साली हमारी कोई बात नहीं मानती थी इसलिए उसे छोड़ दिया और तुझे अपनाया तेरा तो कोई नहीं है तू कहा जाएगी ।सारी रात रागिनी रोती रही ।
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अगले दिन सुबह घर के काम कर अपने ससुर को बता पूर्णिमा के घर चली गई उसे सब बताया वो बोली अब क्या कर सकते है बहन जो है उसे निभाना तो पड़ेगा। इसी बीच रागिनी गर्भवती हों गई घर का काम ताने ढंग से खाना नहीं रागिनी हड्डियों का
ढांचा हो गई थी।उसने एक बेटी को जन्म दिया वो भी सरकारी अस्पताल में लड़की हुई है सुन कोई नहीं आया बिचारी पूर्णिमा उस गंदे से हस्पताल में तीन दिन रागिनी के साथ रही फिर उसे घर छोड़ गई कोई पूछने वाला नहीं।मां और अमन मिलने आएं रागिनी को देख मां का कलेजा फट गया
इतनी सुंदर बेटी की क्या हालत कर दी ।पूरे नाम करण में उपहार ले कर अमन पूर्णिमा और मां शांति के पीछे घूमते रहे मजाल है जो वो उन्हें कोई मान दे ये देख रागिनी बोली मां आप यह सब यहां रख दो और जाओ अपनी इज्ज़त मत उतरवाओ।फिर भी मां रुकी और शांति से बड़ी देर मनुहार करती रही मै कुछ दिन रागिनी को अपने घर ले जाऊ बड़े एहसान से उन लोगों ने रागिनी को भेजा।
अमन की भी शादी तय हो गई लड़की 4 बहने थी मां बाप का देहांत हो चुका था तो बड़ी बहन ने ही पाला था लड़की सीधी थी नाम था श्रेया उसकी शादी पर सब आए रागिनी को देख सुनील और शांति बोले यहां आकर तो महारानी सांड हो गई है।शादी से वापस आ फिर वही सब शुरू बच्ची अभी 11 महीने की थी रागिनी फिर गर्भवती हो गई ननद ने इतना मजाक बनाया जैसे वो अपनी मर्जी से ही यह सब कर रही हैं।इस बार डिलीवरी से पहले ही रागिनी को अमन और पूर्णिमा ले गए मायके में उसका ध्यान रखा जाता।
तय समय पर उसने इस बार फिर बेटी को जन्म दिया शांति बोली अब ये हमारे घर नहीं आएगी या तो बेटी को अनाथ आश्रम छोड़ दें या सुनील इसे छोड़ देगा।8 महीने ये तमाशा चला रागिनी के मन से अपनी सास और ननद के लिए यही बदुआ निकलती की मेरी आत्मा को तकलीफ देकर तू भी कभी सुखी नहीं रह सकती। 10 महीने बाद सुनील आया और रागिनी को ले गया पर इस बार वो रागिनी को लेकर उस घर में नहीं गया बल्कि उसने एक किराए का घर ले लिया था वो बोला रागिनी मुझे माफ कर दो मैने तुम्हारा दुख नहीं समझा तुम्हारे साथ अत्याचार किया पर जब मेरी मां मेरी ही नहीं तो तुम्हारी क्या होगी।
अपने मामा को वो बता रही थी कि रागिनी के साथ रह कर सुनील भी इतना निकम्मा हो गया है बच्चे पैदा कर रहा है दूध का खर्च हम उठाते है खुद नवाब बन घूमता है।बस इसीलिए मैने अपने परिवार के लिए वो घर छोड़ दिया मुझे माफ करदो अपने बच्चों की कसम में तुम्हे खुश रखने की कोशिश करूंगा। अलग होकर रागिनी की दशा में कुछ सुधार हुआ अब वो घर में टयूशन पढ़।ती बच्चो को देखती सुनील के स्वभाव में भी फरक पड़ रहा था उसके और बच्चों के बारे में सोचता।समय के साथ सास ससुर स्वर्गवासी हो गए पूजा अकेली रह गई क्योंकि उसका वाले विवाह नहीं हुआ था।
रागिनी कहती सुनील उसे हम अपने पास रख लेते हैं सुनील कहता जिसके कारण तुम्हारा घर खराब हुआ तुम उसे फिर अपने पास लाना चाहती हो। तीज़ त्योहार पर सुनील ही बहनों से मिल आता वो रागिनी को तो कुछ समझती नहीं थीं पर आज रागिनी खुश थी कि चलो समय से ही सुनील में अकल आ गई और वो उसे और बच्चों को ले आया नहीं तो सारी उमर वो मायके की।दहलीज पर पड़ी रहती।
स्वरचित कहानी
आपकी सखी
खुशी