“ मदद उसी की करनी चाहिए जो वाकई में इसका हकदार हो” – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

भाभी.. दो दिनों के लिए मुझे अति आवश्यक काम से ससुराल जाना पड़ रहा है क्या आप दो दिन मेरी पूर्वी का ध्यान रख लेंगे? वैसे तो मैं उसे साथ में ले जाती किंतु उसकी कोचिंग और स्कूल दोनों हैं हम परसों शाम तक आ जाएंगे, सामने वाले फ्लैट में रहने वाली निशा ने अदिति से कहा! अदिति कुछ कहती इससे पहले ही अदिति के पति राजन बोल पड़े.. क्यों नहीं, पूर्वी जैसी आपकी बेटी है वैसे हमारी बेटी है आप बिल्कुल बेफिक्र होकर जाइए

हम इसका अच्छे से ध्यान रख लेंगे! अदिति को कल अपने दोस्त के यहां उसके बेटे की जन्मदिन की पार्टी में जाना था किंतु अब कैसे जाएगी क्योंकि पूर्वी तो कोचिंग से ही 9:00 बजे आती है अंतः उसने वहां जाना कैंसिल कर दिया और अपनी दोस्त से क्षमा भी मांग ली! सामने वाली निशा भाभी 2 दिन  का कह कर गईकिंतु 6 दिन हो गए और अभी तक वापस नहीं आई अब अदिति का गुस्सा चरम पर पहुंच गया और वह राजन से बोली

देख लिया किसी की भलाई करने का नतीजा, 2 दिन का कह कर गई थी और 6 दिन तक नहीं आई हम क्या उनके नौकर लग रहे हैं सुबह-शाम उनके बच्चे को खाना, नाश्ता सबके लिए आवाज देते रहो, मैं तो बंध गई बिल्कुल, अब मैं इसकी वजह से कहीं नहीं जा सकती, तभी राजन बोले.. अदिति हो सकता है उनको वाकई में कुछ जरूरी काम हो और क्या पता वहां जाने के बाद में उनका निकलना ना हो पाया हो

तुम किसी की मजबूरी भी तो समझो ऐसे समय में पड़ोसी ही तो पड़ोसी के काम आते हैं! हां यह भी हो सकता है अदिति ने राजन के जवाब में कहा किंतु अदिति को मन ही मन बहुत गुस्सा भी आ रहा था, सातवें दिन निशा अपने पति के साथ वापस लौटी और बोली भाभी सास की तबीयत ज्यादा खराब हो गई थी अंतः मुझे रुकना पड़ा! कोई बात नहीं कई बार ऐसा हो जाता है और बात आई गई हो गई, कुछ दिनों बाद अदिति को पता चला

निशा अपने ससुराल तो मात्र 1 दिन के लिए गई थी किंतु वहां से वह घूमने चली गई क्योंकि उसे पता था कि  अदिति पूर्वी का तो ध्यान रख हि रही है इसलिए चिंता वाली कोई बात ही नहीं है! अगले महीने अदिति को अपने भाई के यहां पर जाना था किंतु उसकी भी समस्या थी कि उसके बेटे की भी कोचिंग चल रही थी और वह उसे साथ ले जाना नहीं चाहती थी उसने भी सामने वाली निशा से कहा

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निशा भाभी मैं 2 दिन के लिए मायके जा रही हूं आप मनु का ध्यान रखना! हां हां क्यों नहीं मनु भी तो हमारा बेटा है आप निश्चिंत होकर जाइए और अदिति चली गई! अदिति ने उसी दिन शाम को मनु से पूछा बेटा आंटी ने आज खाने में क्या खिलाया तब मनु बोला.. ममा.. आंटी ने तो खाने के लिए पूछा ही नहीं अगले दिन भी ऐसा ही हुआ, निशा ने मनु से खाने के लिए नहीं पूछा मनु ने दोनों दिन खाना ऑनलाइन ही मंगवाया

और इस बार तो राजन को भी गुस्सा आ गया वह बोले  कितना स्वार्थी संसार है जहां लोग सिर्फ अपने बारे में सोचते हैं कभी-कभी तो ऐसा लगता है या तो हम बेवकूफ है या लोग हमारी शराफत का ज्यादा ही फायदा उठाते हैं, खैर वह उस दिन शाम को घर वापस आ गए, उनका अब निशा से बोलने का बिल्कुल भी मन नहीं कर रहा था, अगले दिन पार्क में निशा से मुलाकात हुई

अदिति को तो गुस्सा भरा बैठा था किंतु निशा बोली अरे भाभी वह मुझे भी दो दिन के लिए कहीं और जाना पड़ गया अतः मैं मनु का ध्यान नहीं रख पाई आई एम वेरी वेरी सॉरी, तब अदिति बोली कोई बात नहीं वैसे भी मनु कोई बच्चा तो है नहीं उसने तो बाहर से खाना मंगा कर खा लिया! कुछ दिनों बाद निशाने अदिति से बोला…. भाभी आपके यहां अगर कोई कूलर हो एक्स्ट्रा तो दे देना कुछ मेहमान आने वाले हैं

अतः उनके लिए चाहिए! निशा नहीं चाहते हुए भी मना नहीं कर पाई और अपना एक  कूलर उन्हें दे दिया, निशा के मेहमान तो तीन दिन बाद चले गए फिर भी महीने भर तक  निशा ने कूलर को वापस करने का नाम नहीं लिया अदिति को भी कूलर की जरूरत थी अतः उसने निशा से अपना कूलर वापस देने के लिए कहा, निशा ने बेमन से कूलर वापस कर दिया, हे भगवान निशाने  उनके कूलर का क्या हाल कर दिया

 कूलर के अंदर की पंखे की पंखुड़ी टूटी हुई थी और उसकी मोटर भी काम नहीं कर रही थी, पूछने पर निशाने बताया क्या पता जब हमने लिया तब भी ऐसा ही था, अब तो अदिति को निशा के ऊपर बहुत गुस्सा आने लगा और उसने निशा को बोल दिया निशा.. तुम लोग कितनी स्वार्थी हो तुम जैसे लोगों की वजह से ही हम किसी जरूरतमंद की मदद भी नहीं कर पाते,

आज तुम्हारी छोटी-छोटी बेवकूफी की वजह से हमारे रिश्तों में दरार आ गई है क्या पड़ोसी ऐसे होते हैं जो खुद तो मदद मांग लेते हैं किंतु जब दूसरों की मदद करने का नंबर आता है तब कोई ना कोई बहाना बना देते हैं, और तुम्हें इन बातों का कोई अफसोस भी नहीं है! इस बात का निशा के  पास कोई जवाब नहीं था किंतु इन दोनों अच्छे पड़ोसियों के बीच में दरार जरूर आ गई थी ! आगे से  अदिति ने भी यह  प्रण किया की “मदद उसी की करनी चाहिए जो वाकई में इसका हकदार हो”

    हेमलता गुप्ता स्वरचित

   कहानी प्रतियोगिता (स्वार्थी संसार)

  मदद उसी की करनी चाहिए जो वाकई में इसका हकदार हो”

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