सरेआम बेइज्जती – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

संगीता मध्यम वर्गीय परिवार में पली बड़ी, खूबसूरती में बेजोड़। समय रहते ही उसके पिता ने अपने जैसा ही एक घर देखकर उसके हाथ पीले कर दिए। लोग हमेशा से ही उसकी खूबसूरती की तारीफ करते इसलिए थोड़ा इतराती भी थी। अपने परिवार में अपनी सब जिम्मेदारियां निभा रही थी। उसकी एक सहेली की शादी ज्यादा बड़े घर में हो जाती है। इत्तेफाक से दोनों एक ही शहर में। उसकी सहेली कामिनी थोड़ी सांवली पर दौलत के नशे में रहती। 

कामिनी संगीता के कपड़ों पर भी तंज कस देती। फिर बातों में लपेटकर माहौल हल्का कर देती। संगीता भी धीरे-धीरे कामिनी से प्रभावित होने लगी। अब संगीता को किसी पार्टी में जाना होता तो कामिनी से कपड़े मांग लेती। लोग उसकी खूबसूरती की और तारीफ करते तो उसको अब आदत ही पड़ गई कपड़े मांगने की। उसका पति मयंक उसे बहुत समझाता। लेकिन वह सुनती ही कहां थी। 

एक दिन इत्तेफाक यह हुआ कि पार्टी में दोनों ही सहेलियां पहुंची। हर कोई संगीता के कपड़ों की और उसकी सुंदरता की तारीफ करें जा रहा था। वही कामिनी अपने कपड़ों का बखान खूब बड़ा चढ़ा कर कीमत बता कर रही थी तब भी कोई उसको भाव नहीं दे रहा था। 

थोड़ी देर तक तो कामिनी ने बर्दाश्त किया लेकिन ईर्ष्या और जलन ज्यादा देर तक अपने खोल में नहीं रहती है। कामिनी भी भरी महफिल में सभी के सामने संगीता को नीचा दिखाते हुए कहा,”मेरी ही तो उतरी हुई साड़ी है यह। मैंने तो पहनाना भी छोड़ दिया है इसे। आउट फैशन जो हो गई।”

कामिनी की बातें सुनकर सभी लोग संगीता को घूरने लगते हैं। संगीता को ऐसा महसूस होता है जैसे किसी ने उसको निर्वस्त्र कर दिया हो। उसके लिए एक पल भी रुकना मुश्किल हो जाता है। आंसू रोकने की कोशिश तो बहुत करती है लेकिन छलकने ही लगते हैं। मुश्किल से हिम्मत करके अपने घर का रास्ता पकड़ती है। आज उसकी सारी इज्जत तार-तार जो हो गई थी। उसे कितना पछतावा होता है कि उसके पति ने कितना समझाया लेकिन उस पर तो दिखावे का ही भूत था। जो आज उसकी सरेआम बेइज्जती कर गया। 

कम हो या ज्यादा इंसान को अपने आप में ही खुश रहना चाहिए। दिखावे के लिए अपने स्वाभिमान को कभी भी गिरवी नहींं रखना चाहिए।

 

प्राची अग्रवाल 

खुर्जा बुलंदशहर उत्तर प्रदेश

#बड़ा चढ़कर मुहावरा आधारित लघु कथा

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