वाकिंग के लिए गए हुए राजेश जी घर पहुँचे तो देखा पत्नी सीता कामवाली बाई से बात कर रही थी वह बता रही थी कि कल रात अचानक फर्स्ट फ्लोर में नए आए हुए प्रतीक जी की तबीयत खराब हो गई थी तो उन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।
सीता ने कहा अरे वे तो बहुत बड़े बुजुर्ग हैं । कामवाली बाई ने कहा हाँ अम्मा प्रतीक सर पचहत्तर के आसपास हैं और सावित्री जी सत्तर के क़रीब हैं । सावित्री अम्मा किसी को बता रही थीं तो मैंने भी सुना कि प्रतीक सर ने शाम को तली हुई चीजें खा लीं थी जिसकी वजह से उनकी तबीयत बिगड़ गई है ।
अभी मेरे सामने ही अस्पताल से डिस्चार्ज होकर घर आ गए हैं । मैंने सीता से कहा कि मैं एक बार उन्हें देख कर आ जाता हूँ । तुम अपना काम ख़त्म करके चले जाना।
सीता ने हाँ में सर हिला दिया और कहा कि वे दोनों बहुत ही अच्छे हैं जब से आए हैं कभी महसूस ही नहीं हुआ कि वे नए आए हैं । मैं भी कई बार आते जाते सावित्री से मिल चुकी हूँ कहते हुए राजेश के हाथ में चाय पकड़ा दी थी ।
राजेश चाय पीकर जब उनके घर पहुँचे देखा पूरा बैठक लोगों से खचाखच भरा हुआ था । वही आसपडोस के लोग उनके वाकिंग के दोस्त सभी थे मुझे देखते ही दीवान पर बैठने की जगह दे दी गई ।
सावित्री जी सबको बता रही थी कि कल शाम को इन्होंने जिद की और मुझसे पकौड़े बनवा लिए फिर रात को हमने हल्का सा खाना खाया और हर रोज की तरह हम समय पर सो गए थे । मेरी नींद अचानक खुली तो मैंने देखा कि ये अपनी छाती पकड़ कर तड़प रहे थे । मैं बहुत डर गई थी और सोचने लगी कि किसे बुलाऊँ बेटे को फोन करूँगी तो वह घबरा जाएगा
तभी मुझे लिफ्ट के रुकने की आवाज़ सुनाई दी बाहर आकर देखा तो यह किरण अपने घर में जा रहा था मेरी घबराहट देखकर बिचारे ने हमारी मदद की और प्रतीक को अस्पताल पहुंचाया । ( किरण पच्चीस छब्बीस साल का लड़का था जो किसी कंपनी में नौकरी करता था अक्सर रात को देर से आता था)
इस कहानी को भी पढ़ें:
उसकी तरफ मुड़कर सावित्री जी ने उसके दोनों हाथों को अपने हाथों में लिया और कहा बहुत बहुत धन्यवाद बेटा तुम ना होते तो आज हम बातें करने के लिए नहीं होते थे ।
उसी समय शर्मा जी ने कहा कि बड़े बुजुर्ग को जब बच्चों की जरूरत होती है तब वे हमारी तरफ देखते भी नहीं हैं। उन्हें अपने परिवार के अलावा कोई और दिखाई नहीं देता है ।
मालती ने कहा कि सही बात है आजकल माता-पिता की परवाह करने वाले बच्चे कहाँ हैं । उन्हें अपनी और अपने बच्चों की चिंता रहती है बस बूढ़े लोगों की तो किसी को जरूरत ही नहीं है ।
उन सबकी बातों से प्रतीक और सावित्री का चेहरा मुरझा गया था ।
उसी समय शीला ने कहा कि आज तो छोटी सी बात हुई है आंटी जी कल को कुछ बड़ा सा हादसा हुआ तो क्या करेंगी आप । वैसे भी यह हर घर की कहानी है । किसी को दोष क्या देना पूरी दुनिया में ऐसा ही चल रहा है ।
उन सबकी बातों को सुनकर मैं चुप नहीं बैठ सका और कहा कि अरे आप सब तो इन्हें डराने ही लगे हैं जब आप रिश्तों को बना नहीं सकते हैं तो बिगाड़ने का काम तो मत कीजिए । प्रतीक को किसी भी मदद की जरूरत होगी तो हम सब हैं ना । मेरी बात को सुनकर सबने हाँ में हाँ मिलाते हुए प्रतीक को बॉय कहा और चले गए ।
सावित्री ने प्रतीक से कहा कि मैं आपको बता रही थी कि यहाँ मैंने अपने छोटे भाई के जैसे दिखने वाले व्यक्ति को देखा है वह व्यक्ति और कोई नहीं यही राजेश जी है ।
प्रतीक ने खुशी से कहा सही पहचाना है तुमने बिलकुल तुम्हारे छोटे भाई के जैसे ही दिखते हैं ।
राजेश ने आगे आकर कहा मेरा नाम प्रतीक है दो साल पहले ही मैं सरकारी नौकरी से रिटायर हुआ हूँ । मेरा एक बेटा है जो बैंगलोर में रहता है। बहू बेटा दोनों ही सॉफ़्टवेयर इंजीनियर हैं हम उनके साथ ही रहते हैं ।
यह फ्लैट मैंने और सीता ने अपने रिटायरमेंट के बाद आए पैसों से ख़रीदा था हम यहीं रहते थे पर बेटे की जिद के कारण वहाँ जाना पड़ा था । बेटे ने ही इस फ्लैट को अपने दोस्त को किराए पर दिया था ।
एक सप्ताह पहले ही उसके दोस्त का फ़ोन आया था कि उसका ट्रांसफ़र हो गया है तो घर खाली कर रहा हूँ । मैं सीता के साथ यहाँ अपने पुराने दिनों की यादों को ताज़ा करने के लिए आ गया हूँ और साथ ही घर के बारे में भी कुछ सोच सकूँ कि किराए पर दूँ या नहीं ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
उस दिन से वे चारों दोस्त बन गए थे वाकिंग पर जाते थे साथ मिलकर बैठते थे कभी कभी चाय नाश्ता भी कर लेते थे ।
प्रतीक जी ने एक दिन बातों बातों में बताया था कि वे बेटे के साथ रहना चाहते हैं बच्चों के साथ रहने से एक सुकून मिलता है परंतु उनके बेटे ने पिता के रिटायरमेंट के बाद यह फ्लैट ख़रीदा और उन दोनों को यहाँ शिफ़्ट कर दिया है यह कहकर कि तीन कमरों वाला घर लेते ही आप दोनों को ले जाऊँगा दोनों उसके इंतज़ार में हैं कि वह कब आएगा और कब उसके घर वापस जाएँगे ।
सावित्री की आँखों में चमक थी जब वह अपने बेटे के बारे में बता रही थी बहुत सारीमन्नतों के बाद पैदा हुआ है इसलिए कुछ ज़्यादा ही उसकी फ़िक्र होती है ।
राजेश टी वी में न्यूज़ देख रहे थे कि एक अननोन नंबर से फ़ोन आया उठाऊँ कि नहीं सोच रहे थे । दो तीन बार उसी नंबर से फ़ोन आया तो उन्होंने उठाया और हेलो कहा तो उस तरफ से अंकल मैं विश्वास हूँ प्रतीक जी का बेटा ।
माँ हमेशा आप दोनों के बारे में बताती है कि कैसे आप उनका ख़याल रखते हैं। मेरे मुँह से निकला ओह तो तुम ही हो प्रतीक के बेटे वे लोग भी यहाँ तुम्हें सुबह शाम बहुत याद करते हैं ।
उसने कहा कि अंकल आप बडे हैं जो बातें मैं अपने माता.पिता को नहीं बता सकता हूँ वह आपसे कहना चाहता हूँ । मैंने कहा बोलो बेटे मैं सुन रहा हूँ । उसने कहा कि सर मेरी पत्नी और मैं दोनों ही नौकरी करते हैं दोनों के ऑफिस के नज़दीक हमने फ्लैट लिया है वह मेरे माता-पिता को अपने घर में रहने नहीं देना चाहती है शादी के दो महीने बाद से ही उन्हें घर से निकाल देने की बात कह रही थी मेरे कहने पर बड़ी मुश्किल से एक महीने और रहने की इजाज़त दी थी उस बीच मैंने वहाँ उनके लिए एक फ्लैट ख़रीद कर दिया है और यह कहकर उन्हें वहाँ भेजा है कि यह घर छोटा है बड़ा घर लेने पर मैं उन्हें अपने पास ले आऊंगा।
मेरी पत्नी बात नहीं मान रही है मैं उसे नहीं समझा पा रहा हूँ । सब लोग मुझे अच्छा बेटा नहीं है कहते हैं क्या करूँ मेरे सास ससुर भी अपनी बेटी का साथ दे रहे हैं कहते हैं कि बच्चों को छोड़कर बड़ों को अपना रास्ता खुद चुनना चाहिए यह पहले वाला जमाना नहीं है कि बड़े बुजुर्ग अपने बच्चों के साथ उनके घर में रह जाएँ । हम भी हमारे बेटे की शादी होते ही चले जाएँगे । यह सब बताते हुए उसका गला भर आया था ।
उसकी बातों को सुनकर मुझे मेरा बेटा याद आ गया था । आज के बच्चे पैसे देने के लिए तैयार हैं परंतु सेवा करना उनके बस की बात नहीं है ।
विश्वास ने कहा कि मुझे अपना समय देकर मेरी बातें सुनी बहुत अच्छा लगा आप मेरे माता-पिता के साथ बातचीत करते रहें कभी भी जरूरत पड़े मुझे फोन कीजिए मैं जरूर आ जाऊँगा ।
मैंने उसको सांत्वना दी और फोन रख दिया था ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
सीता को सारी बातें बताई तो वह भी पुरानी बातों को याद करने लगी थी कि उनका भी एक ही बेटा है अजय इंजीनियर की पढ़ाई होते ही उसकी नौकरी लग गई थी । वहीं उसके साथ नौकरी करने वाली लड़की मीरा से वह शादी करना चाहता था। जब उसने हमसे पूछा तो हमने हामी भर दी थी क्योंकि हमारा भी इकलौता बेटा था । उसकी शादी धूम-धाम से करा दी थी। कुछ दिन तक ठीक चला लेकिन दो साल पहले हम रिटायर होकर बेटे के घर पहुँच गए तब हमने महसूस किया कि मीरा को हमारा वहाँ रहना पसंद नहीं आ रहा है। उसके हाव-भाव और चाल चलन से हमारा दिल दुखने लगा था ।
उस दिन बेटा कंपनी के काम से बैंगलोर से बाहर गया हुआ था । उसी समय यहाँ हैदराबाद के फ्लैट के खाली होने की खबर मिली ।
हमने मीरा से कह दिया कि अजय के आते ही कह देना हम कुछ दिन वहाँ रहकर आ जाएंगे । हम दोनों यहाँ आ गए हैं । बेटे ने बैंगलूर से आते ही कॉल किया कि बिना बताए आप दोनों कैसे जा सकते हैं। बहू को तो बताया था शायद उसने बेटे को नहीं बताया था।
हम चारों बैठकर एक दिन चाय पी रहे थे तो प्रतीक ने कहा कि मैं तो बेसब्री से इंतजार कर रहा हूँ कि कब बेटे का कॉल आए और कब हम दोनों यहाँ से भागे।
मैंने कहा प्रतीक आजकल छोटे छोटे घर होते हैं साथ ही दोनों को नौकरी करना पड़ता है तब जाकर घर चलता हैं।
बहू घर का सारा काम करके ऑफिस जाएगी वहाँ फिर काम करके घर आएगी उसमें इतनी ताकत नहीं रहती है कि हम सबकी ज़रूरतों को पूरा कर सके । उसने ग़ुस्से में कुछ कह दिया तो हमें बुरा लग जाता है इसलिए मैंने तो सीता से कह दिया है कि हमारी तबियत जब तक ठीक रहेगी हम यहीं रहेंगे बाद की बाद में देखेंग़े।
मेरे पास एक दिन मेरा एक पुराना मित्र आकर कहने लगा कि राजेश चल तुझे मैं एक जगह लेकर चलता हूँ। मैंने सीता से कह दिया कि शाम तक आ जाऊँगा और उसके साथ चला गया। मैंने देखा कि वह एक आश्रम है जो मैसूर शहर से दूर पूरे पेडों से घिरा हुआ था। एक दूसरे से सटे हुए छोटे छोटे कॉटेजों से खूबसूरत दिखाई दे रहा था। एक बड़ा सा हॉल जहाँ सत्तर इंच की टीवी लगी हुई थी उससे सटकर डायनिंग हॉल और रसोई थी। जब हम वहाँ पहुँचे तो बीस पच्चीस स्त्रियाँ बैठकर टी वी देख रहीं थीं। बीस पच्चीस पुरुष आपस में बातें कर रहे थे। उस वातावरण को देख मैं तो फिदा हो गया था । मैंने दोस्त के साथ ऑफिस में जाकर दस हज़ार रुपये भर दिए और उनसे कहा कि आपका यह आश्रम बहुत ही सुंदर और अच्छे वातावरण में है मैं अपनी पत्नी और दोस्तों के साथ यहाँ घूमने जरूर आऊँगा ।
मैनेजर ने मुझे ऑफर दिया था कि आप यहाँ दो तीन दिन रह सकते हैं । हम सबको भी बहुत अच्छा लगेगा । मैंने उनसे फिर आने का वादा किया और शाम को घर पहुँच गया । प्रतीक,सावित्री और सीता को उस आश्रम के बारे में बताया और यह भी बताया कि हमें वहाँ रहने के लिए दो कमरे भी वे देने वाले हैं । आप लोग कब जाना चाहते हैं कहिए हम लोग चलते हैं ।
इस कहानी को भी पढ़ें:
एक हफ़्ते के बाद का ही हमारा प्रोग्राम बन गया था । हम चारों उस आश्रम में पहुँच गए । हमें वहाँ के लोग भी बहुत अच्छे लगे । वहाँ के लोगों ने हमें महसूस ही नहीं होने दिया कि हम बाहर से आए हैं । आश्रम में साफ सफ़ाई का ध्यान रखा जाता था इसलिए मच्छर नहीं थे रात को ठंडी हवा में कॉटेज के सामने बेंचों पर बैठकर बातें करते रहें तो ऐसा लग रहा था जैसे हम किसी शादी में शामिल होने आए हैं ।
उन सबके बीच दो दिन रहने के बाद हम खुशी खुशी अपने घर लौट आए ।
हम लोग वहाँ से आकर भी वहीं के बारे में बातें कर रहे थे और हँस रहे थे कि कैसे घंटी बजते ही सब लोग चाय कॉफी नाश्ता खाना सबके लिए चले जाते थे । साथ ही वहाँ की कमियों को और अच्छाइयों को भी गिना रहे थे । कमरे के साथ एटाच्ड बाथरूम नहीं था साथ ही हमारी कोई इच्छा नहीं है जो भी खाने में बनेगा वही खाना पड़ेगा । हम पुराने जमाने को याद कर रहे थे जब राजा महाराजा अपना राजपाठ बच्चों को सौंप कर खुद सन्यासाश्रम चले जाते थे वहीं रह कर कंदमूल खाकर पेट भरते थे दीन दुनिया से दूर अपने में मस्त रहते थे ।
सावित्री जी ने कहा सही तो है पंडितों के प्रवचन सुनते हैं सांसारिक सुखों को त्यागकर अपना जीवन यापन करना चाहिए ।यह सब सुनना ही नहीं अब आचरण में लाने का समय आ गया है।
बच्चों के ऊपर बोझ बनकर जीना अगर वे हमारी तरफ ध्यान न दे सकें तो उन्हें भला बुरा कहना इन सबकी क्या जरूरत है ? जब तक शरीर में ताक़त है काम कर लेंगे नहीं है तब खाना बनाने के लिए काम के लिए हेल्पर को रख लेंगे । वह भी नहीं हो सकता है तो कल जाकर आए है वह आश्रम तो है ही । सबकी तरफ नज़र घुमाते हुए उन्होंने ने कहा कि आप लोगों की क्या राय है ।
सावित्री और प्रतीक को आश्रम बहुत पसंद आया उन्होंने राजेश से कहा कि हम दोनों सोच रहे थे कि हम भी वहीं जाकर रहेंगे तो कैसा रहेगा । हम सबने भी हँसते हुए सर हिलाया । दूसरे दिन सावित्री जी ने कहा कि राजेश जी कल हमारे बेटे ने फोन करके हमें बुलाया है। हमने कह दिया है कि एक महीने रहकर फिर वापस आ जाएँगे । उनकी बातें सुनकर मुझे बहुत ख़ुशी हुई ।
मैंने उनके बेटे को फोन करके यहाँ की बातें बताई और कहा कि विश्वास टूटते रिश्ते जुड़ने लगे हैं । अपनी पत्नी को भी समझाओ और बीच बीच में फोन करना यहाँ आकर उन्हें देखते रहना साथ ही जरूरत पड़ने पर उनकी देखभाल करोगे यह हामी उन्हें देना । विश्वास ने कहा कि अंकल कल पिताजी का फोन आया था वे लोग बहुत खुश थे यह सब आपकी वजह से हुआ है आप मेरे गुरु हैं मैं आपकी बातों को जरूर सुनूँगा आप बेफिक्र रहिए । मैं आपको देखना चाहता हूँ जल्द ही आऊँगा कहते हुए फोन रख देता है ।
सच कहूँ तो हम दोनों को भी आश्रम अच्छा लगा था । बेटे का फोन था कि केरला घूमने जा रहे हैं आप भी साथ चलिए । प्रतीक को दूसरे दिन बताया कि बेटा घूमने ले जा रहा है दस दिन में हम वापस आ जाएँगे ।
प्रतीक और सावित्री दोनों ने एक साथ कहा कि हम आपका इंतज़ार करेंगे जल्दी आ जाइए हमने आपसे बहुत कुछ सीखा है । मैं मन ही मन सोच रहा था कि आपके साथ रहकर ही मैंने भी अपने आने वाले जीवन के बारे में एक प्लान बनाया है । अब उसे अमल में लाने का समय आ गया है ।
के कामेश्वरी