आँचल की छाँव – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  चौंसठ वर्षीय कमला जी के शरीर में आज गजब की फ़ुर्ती थी।सुबह से ही वो कभी चंदा को कहतीं कि दीपक के कमरे में फूल वाली प्रिंटेड चादर बिछा देना तो कभी माली को कहती कि गुलदस्ता बढ़िया बनाना।आज उनका दीपक आ रहा है, फ़ोन पर उसने चार बजे तक आने को कहा था..उनकी तो भूख ही मिट गई थी..चंदा के बहुत कहने पर उन्होंने एक रोटी खाई और कमरे में आकर दीवार पर लगी अपने पति की तस्वीर को प्रणाम करके बोलीं,”आज हमारा दीपक आ रहा है..।आपका विश्वास जीत गया…कहते हुए वो मेज़ पर रखी अपने लाडले की तस्वीर को निहारने लगीं..

        विवाह के बाद पहली रात को जब कमला जी के पति श्रीकांत जी ने उनका घूँघट उठाया तब उन्होंने पूछा,” तुम हमें माँ से अलग तो नहीं कर दोगी।” सुनकर वो चौंक गई।उन्होंने आश्चर्य-से पूछा,” आपने ऐसा क्यों कहा? ” तब श्रीकांत जी बोले,” पिताजी के देहांत के बाद माँ ने हम दोनों भाईयों को बड़े कष्टों से पाला था।

बड़े भईया पर तो वो जान देती थीं।वो नौकरी करने मुंबई चले गये..उन्होंने वहीं की लड़की से शादी कर ली।एक दिन माँ से मिलने आये और कहने लगे कि उनकी पत्नी हमलोगों को पसंद नहीं करतीं, इसलिए वो अब यहाँ कभी नहीं आयेंगे।पैसे भेज दिया करेंगे..।माँ रोने लगीं,”#बेटा, इतने जतनों से पाला-पोसा और इस कल की आई के लिये हम सब को छोड़कर जा रहा है..तेरे बिना मैं कैसे..।” माँ ने भाई का हाथ पकड़ लिया लेकिन उनको रोता हुआ छोड़कर भईया चले गये।कहीं तुम..।” 

    ” आप मुझ पर विश्वास कीजिये..अम्मा जी को मैं विश्वास दिला दूँगी।” अपने पति का चरण-स्पर्श करके उन्होंने अपनी गृहस्थी शुरु कर ली।उनके पति शहर में नौकरी करते थें।तीन-चार महीने बाद रहने की व्यवस्था हो गई तो गाँव का काम दो ज़िम्मेदार हाथों में सौंप कर सबको अपने साथ ले आये।फिर दीपक उनकी गोद में आ गया।बेटे का मुख देखकर ही उनकी सुबह होती थी।माँ-बेटे का प्यार देखकर उनकी सास मन ही मन कहतीं,” भगवान इन्हें बुरी नज़र से बचाना..।

       दीपक ने दसवीं कक्षा में अच्छे अंक प्राप्त किये..उसकी दादी बहुत खुश थीं।कुछ दिनों के बाद वो पोते को आशीर्वाद देकर संसार को अलविदा कह गईं।बारहवीं के बाद वो जब इंजीनियरिंग करने मुंबई जाने लगा तो कमला जी का दिल धड़का, पति से बोलीं,” दीपक वापस आयेगा ना..कहीं भाई साहब की तरह…।” श्रीकांत हँसते हुए बोले,” अपनी ममता पर विश्वास रख..और उसे खुशी-खुशी विदा कर..।”

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       एक दिन श्रीकांत अपने गाँव गये।दो दिन वापस आये तो पता नहीं कैसे उनकी तबीयत खराब हो गई और चार दिनों के भीतर ही…।कमला जी पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा।बेटे की पढ़ाई अधूरी न रह जाये..उन्होंने खुद को संभाला।

      डिग्री मिलने के बाद दीपक ने कमला जी को बताया कि उसे मुंबई में नौकरी मिल गई है और..बाकी आकर बताता हूँ।घर आने पर उसने बताया कि वो रीमा नाम की लड़की से शादी करना चाहता था।कमला जी ने तनिक भी देरी नहीं की, रीमा के माता-पिता से मिलकर दोनों का विवाह करा दिया।दोनों वापस जाने लगे तब कमला जी की आँखें भर आईं।दीपक बोला,” माँ..बस कुछ दिनों की बात है..हम वहाँ का समेटकर आते हैं, फिर तुम्हारे ही आँचल की छाँव तले रहेंगे।” दीपक के आने की खुशी में आज वो अपनी उम्र भूलकर एक कमरे से दूसरे कमरे में दौड़े जा रहीं थीं।

      गाड़ी का हार्न सुनते ही कमला जी ने तस्वीर मेज़ पर रखी और दरवाज़े की ओर लपकी।दीपक ने जैसे ही उनके चरण-स्पर्श करने चाहे, उन्होंने उसे अपने सीने-से लगा लिया और उनकी आँखों से अश्रुधार बह निकली।

       बहू नहीं आई ‘ पूछने पर दीपक की आवाज़ लड़खड़ा गई, बोला,” ऐसा है माँ कि रीमा का दिल यहाँ लगेगा नहीं..और फिर…।” कमला जी ने बड़ी मुश्किल से अपने आँसू रोके.. फिर हौले-से मुस्कुरा कर बोलीं,” बेटा..तुम जहाँ रहो- खुश रहो..।” कमरे में जाकर वो फूट-फूटकर रोने लगी।

      दो दिन बाद दीपक जाने लगा..उसने माँ के चरण-स्पर्श किये।कमला जी ने मुस्कुराते हुए उसे ढ़ेर सारी दुआएँ दीं और नम आँखों से बेटे को विदा कर दिया।

      रेलवे-स्टेशन पहुँचकर उसने रीमा को मैसेज़ किया और माँ को फ़ोन करके फ़र्स्ट क्लास वेटिंग रूम में बैठकर ट्रेन के आने की प्रतीक्षा करने लगा।वह काॅफ़ी लेने स्टाॅल तक जाने लगा कि उसे किसी ने आवाज़ लगाई।मुड़कर देखा तो उसके मुँह से निकला,” सिन्हा अंकल आप!” उन्हें नमस्ते कहकर पूछा,” किस ट्रेन की प्रतीक्षा कर रहें हैं?” 

   सिन्हा अंकल उसके कंधे पर हाथ रखते हुए बोले,” मेरी छोड़..पर तू अपनी माँ को अकेला करके अच्छा नहीं कर रहा है।उन्होंने तुम्हारे लिये..।”

  ” अंकल..वो तो हर माँ करती है..इसमें नया क्या..।” 

” नया ये है कि वो तुम्हारी सगी माँ नहीं है।” 

 ” सगी माँ नहीं…।” दीपक चकित रह गया।

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   सिन्हा अंकल कहने लगे,” कुछ कारणों से कमला भाभी माँ नहीं बन सकतीं थीं, उनके मायके और ससुराल तरफ़ के सभी लोग दौलत के लिये उन्हें अपना बच्चा देने लगे।इंकार करने पर वो नाराज़ हो गये।एक दिन श्रीकांत भाई और भाभी मंदिर से लौट रहें थें तो उन्हें सीढ़ियों पर तुम मिले।मुश्किल से एक बरस के थे..तन पर कपड़े का एक टुकड़ा और आँख में आँसू।भाभी भगवान का प्रसाद समझकर तुम्हें गोद में उठाकर घर ले आईं।श्रीकांत भाई के समझाने पर वो तुम्हें लेकर थाने गईं।तीन दिनों बाद इंस्पेक्टर ने उन्हें बताया

कि बच्चे को कोई लेने नहीं आया..आप उसे कानूनन गोद ले सकते हैं।रिश्तेदारों ने उनके निर्णय का बहुत विरोध किया..जात-धर्म का मुद्दा उठाया।तुम्हारे पिता को तरह-तरह से परेशान करते…भाभी से कहते कि एक दिन वो सब लेकर चंपत हो जायेगा लेकिन वो अटल रहीं।श्रीकांत भाई के जाने के बाद रिश्तेदारों ने ज़ायदाद पर कब्जा करना चाहा ताकि भाभी डर जायें और तुम्हें त्याग दें लेकिन दीपक..तुम तो उनके कलेज़े के टुकड़े हो..तुम्हें कैसे..फिर वो गाँव चली गईं।तुम्हारे जाने के बारे में जब पता चला तो मैंने उनसे कहा कि आपने क्यों नहीं कहा

कि बेटा इतने जतनों से पाला-पोसा और इस कल की आई के लिये हम सब को छोड़ कर जा रहा है..।तब वो बोलीं,” भाई साहब..ये कहकर मैं अपनी ममता का अपमान नहीं कर सकती थी।” तुम्हारे आने की खुशी में वो…।” सिन्हा अंकल बोलते जा रहें थे, इधर दीपक की आँखों से जलधारा बह रही थी।अचानक वो उठा और क्षण भर में रेलवे-स्टेशन से बाहर निकल गया।

        घर पहुँचकर दीपक ने कमला जी को भगवान से कहते सुना,” प्रभु…मेरा दीपक सयाना हो गया है..अब मुझे अपनी शरण में बुला लो..।” तभी दीपक उनके गले में अपनी बाँहें डालते हुआ बोला,” तुम्हारे आँचल की छाँव को छोड़ कर मैं कहीं नहीं जाने वाला माँ…।” 

     बेटे को देखकर कमला जी आँखें खुशी-से छलक पड़ीं।दीपक ने रीमा को फ़ोन करके सारी बात बताई और कहा कि सब पैक कर के तुम आ जाओ..।रीमा को बहुत गुस्सा आया।उसने अपनी मम्मी को फ़ोन किया, तब वो बोलीं,” मैं सब जानती हूँ बेटी..दीपक ने सही फ़ैसला किया।उम्मीद करती हूँ कि तुम उसके फ़ैसले का सम्मान करोगी।”

       कुछ दिनों बाद रीमा भी आ गई।कमला जी का घर चहकने लगा।समय के साथ वो दो बच्चों की दादी बन गईं और उनके साथ बतियाने और खेलने में उनके दिन बीतने लगे।

                                  विभा गुप्ता 

                            स्वरचित, बैंगलुरु 

# बेटा इतने जतनों से पाला-पोसा और इस कल की आई के लिये हम सब को छोड़ कर जा रहा है

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