मुस्की – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

   चाचू — चाचू……दरवाजा खोलो ना… देखो तो आपकी मुस्की आई है…. प्लीज चाचू….. रोते-रोते दरवाजे पर मुक्का मारती हुई मुस्की थक कर वहीं बैठ गई ….!

   आप जब तक बाहर नहीं आओगे मैं यहां से नहीं हटूंगी चाचू…. मुझे नहीं मालूम चाचू …..सही कौन है और गलत कौन है….? मम्मी पापा की बातों से लगता है  वो ही सही है …..पर मैं अपने चाचू और चाची को भी जानती हूं ….गलत तो वो भी नहीं हो सकते…..

 फिर कोई गलत हो , कोई सही हो…. इसमें मेरी क्या गलती है चाचू ….मेरा क्या कसूर है…?

अपने घुटनों पर सर रख मुस्की नीचे बैठ गई और सोचने लगी….कितना प्यार करते थे मेरे चाचू ….मेरा नाम मुस्कान था , मुझे प्यार से हमेशा मुस्की कहते थे ……स्कूल से घर लाना हो या घर से स्कूल पहुंचना हो सब कुछ तो चाचू ही करते थे ….और आज जब मेरी शादी है तो दरवाजा बंद कर अंदर बैठे हैं…. बाहर भी नहीं निकल रहे हैं…! 

तभी अंदर से आवाज आई….अरे मुस्की बिटिया आप व्यर्थ में ही आवाज दे रही हैं ……!

विकास भैया और भाभी नहीं है….

 क्या कहा काका ….?

चाचू नहीं है ….? कहां गए…?

 उन्हें मालूम था ना मेरी शादी है… फिर…? 

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     हां बिटिया मालूम था इसीलिए तो कुछ दिनों के लिए घर छोड़कर गए हैं… बहुत दुखी थे बिटिया , विकास भैया…. पुराने पारिवारिक सहायक रामदीन काका ने कहा…।

काका आप ही सच-सच  मुझे पूरी बात बताइए ना….मुस्की ने रोते-रोते हाथ जोड़कर रामदीन काका से कहा…!

मुस्की बिटिया…आप तो जानती ही हैं…..

    प्रतिष्ठित पंडित दीनदयाल शर्मा के दो बेटे व एक बेटी थी ….बड़ा बेटा आकाश और छोटा बेटा विकास और सबसे छोटी बिटिया दिव्या थी ….तीनों भाई बहनों की शादी हो चुकी थी … भरा – पूरा परिवार , खुशहाल परिवार… रीति रिवाज , परंपरा इस परिवार की धरोहर थी ……मध्यम वर्गीय संयुक्त परिवार की मिसाल के रूप में शर्मा जी का परिवार जाना जाता था ….

.जब बड़े बेटे आकाश की मुस्कान बिटिया… आप पैदा हुई थी ना तो घर खुशियों से झूम उठा था …मुस्कान नाम रखा गया था , सब की प्यारी , लाडली , खिलौना जो थीं आप…… प्यार से सभी आपको मुस्की कहा करते थे …..वैसे भी घर में सबसे बड़े और पहले बच्चे को सबसे ज्यादा प्यार व अहमियत मिलता भी तो है…।

  जब भी दिव्या  बहन  जी ससुराल से मायके आती तो भाई भाभियों द्वारा बहुत प्यार व सम्मान मिलता था…। पंडित दीनदयाल शर्मा का निधन 2 वर्ष पूर्व ही हुआ था.. जबकि पत्नी कौशल्या काफी समय पहले ही दिवंगत हो चुकी थी…!

  शर्मा जी के मृत्यु के बाद दोनों भाइयों में आपसी सामंजस्य से कुछ दिन तो अच्छी तरह चला …..पर धीरे-धीरे कहीं ना कहीं प्रॉपर्टी को लेकर आपसी मनमुटाव शुरू हो गए थे …..!

     घर का मुख्य द्वार तो एक ही था… परंतु अंदर से घर को आपसी सहमति से दो भागों में बांट लिया गया था….एक समय तो ऐसा भी आया कि मतभेद इतना बढ़ गया कि ….लड़ाई झगड़े की नौबत आ गई ….बातचीत बिल्कुल बंद ….आना जाना एक दूसरे को  देखना तक गवारा नहीं था…!

    आकाश भैया आर्थिक रूप से काफी सुदृढ़ थे…..उन्हें लगता , पैसा सब कुछ है …..एक न एक दिन विकास मेरे कदमों में गिरेगा ही …..बातों बातों में लड़ाई के दौरान एक बार आकाश ने यहां तक कह दिया ….यदि इधर पैर भी रखा तो खून की नदियां बह जाएगी…. आज के बाद इस घर में पैर  रखने से पहले सोच लेना …. ये बात विकास के दिल पर लग गई….।

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फिर क्या था… मुख्य द्वार एक होते हुए भी दोनों भाई कभी एक दूसरे का मुंह तक नहीं देखते थे….!

   धीरे-धीरे मुस्कान बिटिया …आप बड़ी होती गई…. चूंकि आप पढ़ने के लिए बाहर चली गई थी… इसलिए ये सब बातें और भी बहुत कुछ…आपको पता नहीं है….।

आपकी शादी की भी बात चलने लगी… चूंकि घर तो एक ही था कुछ बातें इधर होती तो उधर भी सुनाई पड़ ही जाती थी…और कुछ बातें मोहल्ले वाले , रिश्तेदारों से एक दूसरे भाइयों को पता चल जाता था…..!

     हालांकि दिव्या बहन जी ने दोनों भाई भाभियों को बहुत समझाने और मेल मिलाप से रहने की समझाइस दी ….पर सब बेकार ….दोनों पक्षों के अहम की ही हर बार विजय होती गई…!

    मुस्कान बिटिया …आपकी शादी लग गई और आपकी शादी को लेकर विकास भैया और उनका परिवार भी काफी उत्सुक थे….घर की पहली शादी थी … उत्सुक हो भी क्यों नहीं …. यही तो एक मौका था… दोनों परिवारों के बीच आए मनमुटाव मिटा कर फिर से मेल जोड़ बढ़ाने की….!

  शादी के कार्यक्रम शुरू होने लगे रिश्तेदार मेहमानों के आने की शुरुआत भी हो गई…।

सारे मेहमान हंस कर कहते भी… हम  सब तो पहुंच गए पर जिसकी शादी हो रही है वही अभी तक नहीं पहुंची…. रामदीन काका ने हंसते हुए कहा…

हां काका …..क्या करूं …नोटिस पीरियड में थी …छुट्टी का प्रॉब्लम… देखिए ना अपनी  ही शादी में शगुन वाले दिन ही पहुंची हूं….कहकर मुस्की ने भी सफाई दी…!

  मायके आते ही दिव्या ने बड़े भाई आकाश भैया से कहा… भैया , विकास भैया को भी शादी में आने को बोल दीजिए …..पर आकाश में स्पष्ट रूप से कहा…..मैं सिर्फ विकास को बोल दूंगा…. पर उसके परिवार को बिल्कुल नहीं बोलूंगा और एक दिन आते-जाते रास्ते में आकाश ने विकास को बोल दिया ……. मुस्की की शादी 14 फरवरी को है आ जाना …… बोलकर आगे निकल गए …..!

विकास भैया ने सोचा…भैया ने शादी में सिर्फ मुझे आने के लिए कहा है वैशाली (पत्नी) का नाम तक नहीं लिया.. वह भी नाना ढंग से सिर्फ एक जानकारी दी या औपचारिकता ही पूरी की ….मैं शादी में अकेले जाऊं … ये वैशाली लिए बहुत अपमान होगा…!

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       तब दिव्या ने बड़ी भाभी से कहा भाभी पुरुष वर्ग रिश्तों के मायने नहीं समझ पाते …..पर हम महिलाएं तो रिश्तों को बखूबी समझती है और फिर रिश्ते निभाती भी तो हम औरतें  ही हैं…. सारे लोग क्या कहेंगे भाभी…. प्लीज छोटे भैया भाभी को भी बुला लीजिए ……शादी में कुछ अधूरा सा लग रहा है ….

   ” शायद एक बहन की भाइयों के लिए तड़प दिव्या की बातों से स्पष्ट झलक रहा था ” …!

    पर बड़ी भाभी ने स्पष्ट रूप से रुखे स्वर में कहा….. नहीं रखती है हमें उनसे कोई संबंध ….और मैं ….मैं तो कभी ना बुलाऊं….. उन लोगों की बदतमीजियां मैं भूली थोड़ी ना हूं ….

    हां , यदि इन्हें अपने भाई को बुलाना हो तो वो बुला सकते हैं … मै मना नहीं करूंगी….और प्लीज दिव्या आप दोबारा इस विषय पर बात ना ही करें तो अच्छा होगा …..!

    बड़ी भाभी के इस जवाब से दिव्या समझ चुकी थी कि उसकी दोनों भाइयों को मिलाने की कोशिश सफल नहीं होने वाली है…।

   दिव्या और बड़ी भाभी के इस वार्तालाप को उनके घर काम करने वाली सहायिका ने सुन लिया था… और उसने विकास  भैया के घर आकर सारी बातें बता भी दी थी…. हालांकि दिव्या ने छोटी भाभी से ये सब कुछ भी नहीं बताया कि बड़ी भाभी के साथ उसकी क्या बात हुई है..!

इन सब बातों को सोचकर विकास भैया और भाभी बहुत दुखी थे…एक दिन भैया की लाल आंखें देख भाभी ने पूछा …आप रो रहे हैं विकास ….भैया ने कहा …नहीं …पर उन्हें आंसू पूछते हुए भाभी के साथ मैंने भी देख लिया था मुस्की बिटिया…!

   शादी में सारे मेहमान आ गए हैं …इसी घर में बारात आएगी और हम घर के अंदर रहेंगे…. नहीं ….नहीं … लोग क्या कहेंगे…हमें कुछ दिनों के लिए बाहर चले जाना चाहिए…!

बस यही कारण था विकास भैया , भाभी कुछ दिनों के लिए बाहर चले गए हैं…!

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  ओह काका…..पर चाचू ने मेरे बारे में भी नहीं सोचा ….अरे मुझे स्कूल तक तो अकेले जाने नहीं देते थे ….और अब ससुराल अपने बिना मुझे कैसे अकेले जाने देंगे ….? ये तक नहीं सोचा चाचू ने…..

       ऐसा कह कर मुस्की उठी और चल पड़ी शादी के रसों को निभाने….

सारी रस्में विधिवत हो रही थी ….द्वार पूजा होने वाला था….आकाश के होने वाले समधी जी ने आकाश से पूछा आप लोग दो भाई है ना ….फिर आपके छोटे भाई दिख नहीं रहे ….आकाश इधर-उधर बगले झांकने लगा ….कुछ बोलना चाह ही रहे थे …..तभी पीछे से आवाज आई …. समधी जी मैं यहां हूं…

विकास को देखकर समधी जी ने मुस्कुराते हुए हाथ मिलाया… वही आकाश सर नीचा कर आंखें चुराने लगे विकास ने भाई को नज़रे चुराते देख धीरे से बोले ….भैया मेरी नज़रें इस मौके पर हमारे घर पर ही टिकी हुई थी… आखिर हमारी मुस्की  की शादी जो है…..।

   और फिर इज्जत… आपकी …मेरी …नहीं ….हमारे घर की  इज्जत का सवाल है..।

   फिर विकास ने कहा भैया एक मिनट सुनिए ना ….आपने जो बारातियों को देने के लिए चांदी के सिक्के और दामाद के लिए अंगूठी , चेन बनवाए थे ना…..उस दुकान में चोरी के सामान खरीदने के जुर्म में छापा पड़ गया है… और दुकान को सील कर दिया गया है… उनका लड़का आपको फोन कर बताना चाह रहा था …पर आपने फोन उठाया ही नहीं …..फिर उसने मुझे फोन किया तब हम लोग भागे भागे यहां आए…!

अरे , अब क्या होगा विकास…?

 आप चिंता ना करें….वैशाली (विकास की पत्नी ) सामान खरीद कर आ रही है …. मैने  सोचा जल्दी पहुंच कर आपको बता दूं …..वरना आप खामख्वाह परेशान होंगे…।

  पीछे से मुस्की ने खुश होते हुए कहा… चाचू – चाची आप…!

शायद अनुपमा (आकाश की पत्नी) भी अपने ना बुलाने के निर्णय पर पछता रही थी…!

  बारातियों के स्वागत और मेहमानों के खाने-पीने के बाद विकास और वैशाली धीरे से अपने घर चले गए…..सारे बारातियों और मेहमानों के खाने के बाद घर वालों के खाने की बारी आई तो अनुपमा देवर और देवरानी को बुलाने बगल में उनके घर गई और कृतज्ञता भरी नजरों से देखते हुए बोली….. सारे घर वालों के साथ आप लोग खाना नहीं खाएंगे क्या देवर और देवरानी जी…?

  नहीं भाभी लड़की के मां-बाप कन्यादान हेतु व्रत रहते हैं ना तो हम भी …..तो क्या तुम लोग भी उपवास हो ….?

     हां भाभी… कहते हुए वैशाली ने अपनी जेठानी जी का हाथ पकड़ते हुए कहा…. 

 ”  दीदी हमें कृतज्ञता भरा आमंत्रण नहीं स्नेह भरा आमंत्रण चाहिए..! “…आखिर हमारी मुस्की बिटिया की शादी जो है…।

(स्वरचित सर्वाधिकार सुरक्षित और अप्रकाशित रचना )

साप्ताहिक विषय :  # घर की इज्जत 

संध्या त्रिपाठी

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