एक हाथ से ताली नहीं बजती! – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

आज की घटना देखकर मुझे समझ में आ गया कि सचमुच एक हाथ से ताली नहीं बजती है!शरद की सुबह ठंड से मानो सबकुछ जमा हुआ प्रतीत होता है,उस पर से सूर्य देव का रुठना तो मानो रुधिर ही जमाने लगता है। जिस सूरज की तपन गर्मी में तन-बदन को झुलसा देती है,उसी सूर्य को जाड़े में लोग टकटकी लगाकर बेसब्री से इंतजार करते हैं।

रविवार की सुबह घने कोहरे के बाद दिन के बारह बजे भगवान अंशुमाली का सलोना रुप अपनी कोमल सुनहरी रश्मियों के साथ प्रकट हुआ।धूप को देखकर कोहरे की मार से संतप्त लोगों में ऊर्जा का संचार होने लगा। रजाइयों से निकलकर लोग अपने -अपने काम में लग गए। छोटे-बड़े बच्चे सोसायटी के पार्क में खेलने के लिए आ धमके।

मैं भी धूप का आनन्द लेने के लिए बालकनी में आकर बैठ गई।चाय के साथ-साथ मैं दो छोटे बच्चों के क्रिकेट खेल का आनन्द ले रही थी। दोनों बच्चे शोर करते हुए खेल रहे थे, उनके पिता आस-पास टहलते हुए उनपर नजर रखे हुए थे। अचानक से दोनों बच्चों में लड़ाई हो गई,

दोनों एक-दूसरे को पीटने लगें और जोर-जोर से रोने लगें। उनकी आवाज सुनकर दोनों के पिता दौड़ पड़े और बच्चों को समझाने के बजाय आपस में ही लड़ने लगें। सोसायटी के कुछ लोगों ने उन्हें समझाने की कोशिश भी की, परन्तु दोनों  की आंखों पर अहं की पट्टी बंधी हुई थी।

दोनों खुद को एक-दूसरे से बड़ा समझकर झुकने को तैयार नहीं थे।इस कारण उनका झगड़ा बढ़ता ही जा रहा था। आखिरकार पुलिस आकर दोनों को थाना ले गई।

थानेदार ने उन्हें समझाते हुए कहा -“दोनों अपनी ग़लती मानकर एक-दूसरे से माफी मांग लो,वरना मैं एफआईआर लिख लूंगा और दोनों नौकरी से हाथ धो बैठोगे।”

पहले व्यक्ति ने अपना पक्ष रखते हुए कहा -” सर! पहले इसने मुझे गाली दी है।”

जबाव में दूसरे व्यक्ति ने कहा -“सर! इसने मुझे धक्का दिया है।”

दोनों की बातें सुनकर थानेदार ने कहा -“ग़लती तुम दोनों की है! मुझे पता है कि कभी ताली एक हाथ से नहीं बजती है। दोनों होश में आ जाओ।”

अब नौकरी जाने के भय से दोनों को दिन में ही तारे नज़र आने लगें। दोनों ने बेमन से एक -दूसरे से माफी मांगी और थाना से बाहर निकल गए।

समाप्त।

लेखिका -डाॅ संजु झा । स्वरचित।

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