कलंक बना तिलक – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

“आप ऐसा कैसे कर सकते हैं ” मेरे घर की इज्जत का सवाल है भाई साहब मैं अपने घर-परिवार नाते -रिश्तेदारों से क्या कहूंगी आप लोगों ने शादी क्यों तोड़ दी भाई साहब मेरी बेटी बदनाम हो जाएगी हम समाज में क्या मुंह दिखाएंगे?” गायत्री जी ने घबराई हुई आवाज में कहा 

” मैं मजबूर हूं बहन जी” गायत्री जी के होने वाले समधी ने जबाव दिया 

“अगर अब आपने शादी तोड़ दी तो मेरी बेटी का क्या होगा!? उसका जीवन बर्बाद हो जाएगा?, उससे कौन शादी करेगा? मेरी बेटी की सगाई आपके बेटे से हो गई है शादी की तारीख भी तय है ? अब ऐसा क्या हो गया जो आप शादी तोड़ रहें हैं?” गायत्री ने अपने होने वाले समधी से विनती करते हुए पूछा,

” बहन जी मैंने कहा तो मैं मजबूर हूं मेरे बेटे ने चोरी से अमेरिका में शादी कर ली है वो अपनी कम्पनी की तरफ़ से एक महीने के लिए अमेरिका गया था, रात में उसका फोन आया ,अब वह भारत नहीं आएगा उसने वहीं किसी एन आर आई लड़की से शादी कर ली है  हम सभी यहां उसकी शादी की तैयारियों में लगे हुए थे

उसने बिना हम लोगों को बताए अमेरिका में शादी कर ली अब आप ही बताइए मैं क्या कर सकता हूं अब मेरे बेटे की शादी आपकी बेटी से नहीं हो सकती  आप ही बताइए ऐसी स्थिति में मैं  कर भी क्या सकता हूं। यही वजह है मैं शादी तोड़ रहा हूं मैं बहुत शर्मिन्दा हूं हो सके तो मुझे माफ़ कर दीजिएगा ” गायत्री जी के समधी ने हाथ जोड़कर विनती करते हुए कहा और वो वहां से चले गए।

अपने समधी के जाने के बाद गायत्री जी निढाल होकर कुर्सी पर बैठ गई उनकी आंखों के आगे अंधेरा छाने लगा उनके सोचने समझने की शक्ति क्षीण हो गई थी। तभी उनकी बहू निशा वहां आ गई निशा गायत्री जी की हालत देखकर घबरा गई।

” मां जी क्या हुआ आप इतना परेशान क्यों हैं?  राखी के ससुर ने क्या कहा क्या उनकी कोई मांग है जिसे सुनकर आप इतना परेशान हो गई हैं?” निशा ने गायत्री जी से पूछा। 

गायत्री जी आंखों से गंगा जमुना बह रही थी, उनके चेहरे पर दर्द सिमट आया था। उन्होंने अपना चेहरा उठाकर निशा की ओर देखा, निशा को उनकी आंखों में बेबसी दिखाई दी उनकी आंखें और चेहरे के भाव से ऐसा लग रहा था जैसे वह अपने जीवन की सबसे बड़ी बाज़ी हार गई हों।

अपनी सास की ऐसी दशा निशा को बर्दाश्त नहीं हो रही थी उसने अपनी सास का हाथ पकड़कर पूछा ,” “मां जी मैं जानती हूं अभी मुझे इस घर में आए तीन महीने ही हुए हैं न अभी तक आप लोग मुझे समझ पाएं हैं और न मैं ही आप लोगों को पूरी तरह जान समझ सकीं हूं पर मां जी मैं इतना अच्छी तरह जानती हूं ,

ये घर मेरा भी है। अब इस घर का सुख दुःख और इसकी मान मर्यादा भी मेरी है, अगर आप मुझे अपना समझती हैं तो मुझे बताइए शाय़द मैं कोई मदद कर सकूं ,

राखी के ससुर जी ने ऐसा क्या कह दिया है जो आप इतना घबरा रहीं हैं?”निशा ने बहुत प्यार और अपनेपन से पूछा अपनी बहू का अपनापन देखकर गायत्री जी फूट-फूट कर रो पड़ी,

निशा ने उन्हें रोने दिया कुछ देर बाद जब वह संभली तो अपने आंसू पोंछे फिर दुखी लहज़े बोली  ” बहू राखी के मंगेतर ने अमेरिका में शादी कर ली है उसने हमारे साथ धोखा किया है उसने सगाई पैसे के लिए की थी, जिससे वो उस पैसे से अमेरिका जा सकें ” 

  ” मां जी इसमें इतना परेशान होने वाली क्या बात है ये तो अच्छा हुआ शादी से पहले ही उस लड़के की धोखाधड़ी हमारे सामने आ गई अगर राखी की शादी उससे हो जाती तब वो अमेरिका जाकर शादी करता तो हमारी राखी का जीवन ही बर्बाद हो जाता आपको तो खुद होना चाहिए ईश्वर ने हमारी राखी को बर्बाद होने से बचा लिया ” निशा ने अपनी सास को समझाते हुए कहा 

” बहू मेरी समस्या सगाई का टूटना नहीं है सगाई होकर टूटना कोई बहुत बड़ी बात नहीं है। मेरी परेशानी का कारण कुछ और है जो मैं तुम्हें बता नहीं सकती ” निशा की सास ने परेशानी भरे स्वर में  कहा 

” मां जी मैं आपकी बहू हूं आप मुझे अपने मन की बात क्यों नहीं बताना चाहतीं मैं भी सदस्य हूं इस घर की हर परेशानी यहां का सुख-दुख अब मेरा है!?” निशा ने अपनी सास का हाथ पकड़कर बहुत प्यार से कहा 

अपनी बहू की बात सुनकर गायत्री जी की आंखों से आंसू बह निकले उन्होंने भर्राई आवाज में कहा,” बहू अब मैं तुम्हें क्या बताऊं पर बताना तो पड़ेगा ही राखी ने शादी से पहले ही अपनी मर्यादा लांघ दी है उसने मेरे विश्वास का खून किया है अब वो राकेश के बच्चे की मां बनने वाली है”

गायत्री जी की बात सुनकर निशा सकते में आ गई उसे कुछ समझ ही नहीं आ रहा था वो क्या जबाब दे फिर कुछ सोचकर उसने कहा,” मां जी अब तो एक ही रास्ता है हम कहीं दूर जाकर राखी का ऐबार्शन करवा दे” 

“नहीं बहू ऐसा हम नहीं कर सकते अगर एबार्शन हुआ तो राखी दोबारा मां नहीं बन सकती  इसीलिए उसे बच्चा पैदा करना ही होगा क्योंकि उसके यूट्रस में कुछ समस्या आ गई है जिसके कारण ऐसी स्थिति उत्पन्न हुई है” गायत्री जी ने दुखी होकर जवाब दिया।

कुछ दे कमरे में सन्नाटा पसरा रहा थोड़ी देर चुप रहने के बाद गायत्री जी ने गुस्से में कहा,”इस लड़की ने हमें कहीं का नहीं रखा ये बात मुझे उस समय पता चली जब राकेश अमेरिका जा रहा था जाने से पहले उसने मुझसे कहा था , उसे छः महीने के लिए जाना है ये बात राखी ने भी सुनी उस समय वो वहीं थी तभी मैंने देखा , छः महीने की बात सुनकर राखी परेशान हो गई थी। मैंने यह बात नोटिस की पर उस पर ध्यान नहीं दिया

फिर जब राखी राकेश से कहने लगी की तुमने तो कहा था , तुम्हें सिर्फ़ 20 दिनों के लिए जाना है वहां कम्पनी का कोई काम है। उसके बाद तुम लौट आओगे फिर शादी के बाद छः महीने के लिए जाओगे अब तुम शादी से पहले ही क्यों छः महीने के लिए जा रहे हो मैं तुम्हें इतने दिनों के लिए नहीं जाने दूंगी।

राखी ने रोते हुए गुस्से में राकेश से कहा तब राकेश ने जल्दी से बात टालते हुए कहा , ” अच्छा तुम दुखी न हो मैं 20 दिनों में ही लौट आऊंगा मैं तुम्हें परेशान नहीं देख सकता क्या तुम्हें मुझ पर भरोसा नहीं है इतना कहकर राकेश यहां से चला गया दूसरे दिन राकेश के पिता ने मुझे बताया  ,

राकेश छः महीने के लिए अमेरिका जा चुका है।तब राखी ने उस रात नींद की गोलियां खाकर आत्महत्या करने की कोशिश की, ये तो अच्छा हुआ ,उस रात मेरे कमरे का पानी खत्म हो गया था मैं पानी लेने जब रसोई में आई तो मुझे राखी के कमरे से उसके रोने की आवाज़ आ रही थी। मैं घबरा गई मैंने सोचा उससे पूंछ लेती हूं ,

वो क्यों रो रही है? जब मैं उसके कमरे के पास पहुंची तो मैंने दरवाज़ा खटखटाने के लिए हाथ बढ़ाया तो दरवाजा खुल गया शाय़द अंदर से बंद नहीं था।जब मैं कमरे में पहुंची तो मैंने देखा कि,वह नींद की गोलियां खाने जा रही थी मैंने उसे ऐसा नहीं करने दिया। मेरे पूछने पर उसने बताया , वो राकेश के बच्चे की मां बनने वाली हैं दो महीने बीत गए हैं।

मैं बहुत नाराज़ हुई पर अब क्या हो सकता था इसलिए सुबह उसे डाक्टर के पास गई जिससे उसका बच्चा गिरवा दूं,तब डाक्टर ने चेकअप किया और बताया , अगर एबार्शन किया गया तो राखी कभी मां नहीं बन सकती वो दवा देकर बच्चा गिराने की कोशिश करेंगी पर दवा कितना काम करेगी कहा नहीं जा सकता।

अब आज राकेश की शादी की बात सुनकर एक और समस्या सामने आ गई। मैंने सोचा था , राकेश के पिता से मिन्नत करके राकेश को बुला लूंगी वो लोग जितना दहेज़ मांगेंगे दे दूंगी

चाहे मुझे अपना घर ही क्यों न बेचना पड़े बिन बाप की बच्ची है आज इसके पापा होते तो वो भी यही करते, अब समझ नहीं आ रहा है , मैं क्या करूं कहां जाऊं हमारी बहुत बदनामी होगी ” गायत्री जी ने दर्द भरी आवाज में कहा।

अपनी सास की बात सुनकर निशा गम्भीर हो गई उसने कुछ सोचते हुए कहा ,” मां जी देहरादून में मेरी बुआ रहतीं हैं मैं राखी के साथ वहां चलीं जाऊंगी जब बच्चा पैदा हो जाएगा तो हम लोगों से कहेंगे , ये बच्चा मेरा है क्योंकि मैं भी राखी के साथ वहीं रहूंगी।आप लोग यहां सबसे कह दीजिएगा की मैं मां बनने वाली हूं।

मुझे डाक्टर ने बेड रेस्ट बताया है और मैं अपनी बुआ के घर चलीं गईं हूं क्योंकि मेरी बुआ एक डॉक्टर हैं मैं बच्चा होने तक वहीं रहूंगी मेरी देखभाल के लिए राखी मेरे साथ गई है। इससे हम लोगों की समाज में बदनामी नहीं होगी और लोगों को शक भी नहीं होगा मेरी भी शादी को सिर्फ़ तीन महीने हुए हैं “

अपनी बहू की बात सुनकर गायत्री जी के चेहरे पर खुशी की चमक दिखाई दी उन्होंने निशा को अपने सीने से लगा लिया फिर फूट-फूटकर रो पड़ी आज गायत्री जी की आंखों में  निशा के लिए श्रद्धा और सम्मान  के साथ साथ  प्यार का सागर हिलोरे ले रहा था वो निशा पर वारी जा रहीं थीं। ऐसा हो भी क्यों न आज निशा की सोच, महानता और त्याग ने उनके खानदान को समाज में बदनाम होने से बचाने की राह जो दिखाई थी । 

दरवाजे पर खड़े निशा का पति रवि ने सभी बातें सुन लीं थीं उसकी आंखों में अपनी पत्नी के लिए प्यार ही प्यार था रवि ने कमरे में आते हुए बहुत प्यार से निशा को देखते हुए कहा,” निशा मैं तुम जैसी पत्नी को पाकर धन्य हो गया जिसने मेरी बहन और मेरे खानदान की इज्जत को बचाने के लिए इतना बड़ा  फैसला लिया हम तुम्हारे त्याग को हमेशा याद रखेंगे

जहां ज्यादातर बहूएं ससुराल वालों को बदनाम करने की साज़िश रचतीं हैं वहीं तुमने हमें बदनाम होने से बचा लिया यही त्याग की भावना भारतीय नारी की महानता को दर्शाती है “। 

डॉ कंचन शुक्ला

स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित अयोध्या उत्तर प्रदेश

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