बेटियां मुहावरा लघु -कथा प्रतियोगिता
इतिहास में महाभारत युद्ध को सबसे भयंकर माना जाता है।इस युद्ध में करोड़ों लोगों की जानें गईं,इसका सबसे बड़ा कारण हस्तिनापुर के राजा धृतराष्ट्र ही थे। धृतराष्ट्र की आंखों पर पुत्र -मोह की चर्बी चढ़ी हुई थी,जिसके कारण उन्होंने अपने ही वंश का समूल नाश करवा दिया।
धर्म और अधर्म के परिणामों की गहरी समझ होने के बावजूद धृतराष्ट्र पुत्र -मोह में पूरी तरह आसक्त थे। भावुकता उनकी कमजोरी थी।ज्ञानी होने के बावजूद अपनी भावुकता के कारण महाभारत युद्ध में खलनायक सिद्ध हुए। राजगद्दी पाते ही धृतराष्ट्र की आंखों पर सत्ता की ऐसी चर्बी चढ़ी कि अपने शुभचिंतकों की बातों को भी सुनना बंद कर दिया ।
अपने सलाहकार विदुर और संजय की न्यायोचित बातें भी उनके गले नहीं उतरतीं।कुलवधू द्रौपदी के अपमान और चीरहरण के बाद भी धृतराष्ट्र की आंखों पर से चर्बी नहीं उतरी और पुत्र दुर्योधन के बहकावे में आकर दुबारा उन्होंने पांडवों को द्युत क्रीड़ा के लिए आमंत्रित कर दिया। धृतराष्ट्र पुत्र -मोह में इस कदर अंधे हो चुके थे कि उन्होंने श्रीकृष्ण की सलाह भी नहीं मानी।
युद्ध रोकने की सलाह देते हुए श्रीकृष्ण उनसे जब कहते हैं -“हे राजन! विपदा की घड़ी आ चुकी है,अब तो पुत्र -मोह छोड़िए और अपने पुत्रों को नियंत्रण में रखिए।इस समय शांति स्थापित करने का आपके ऊपर बहुत बड़ा दायित्व है।पांडव तो आपके पुत्रवत् ही हैं, उन्हें उनका हक देकर आर्यावर्त पर आनेवाली विपत्ति को टालें। अंत में कहते हैं कि पांडवों को केवल पांच गांव ही दे दें, मैं उन्हें समझा लूंगा।”
श्रीकृष्ण की बातें सुनकर धृतराष्ट्र तो खामोश हो जाते हैं, परन्तु दुर्योधन चिल्लाते हुए कहता है “हे केशव !सुन लीजिए, पांच गांव तो क्या, मैं बिना युद्ध के पांडवों को सुई की नोंक के बराबर भी जमीन नहीं दूंगा।”
उस समय भी अगर धृतराष्ट्र की आंखों की चर्बी हट जाती तो महाभारत का भयंकर युद्ध न होता और न ही धृतराष्ट्र इस युद्ध के खलनायक कहलाते।
समाप्त।
लेखिका -डाॅ संजु झा (स्वरचित)