भाभी – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral Stories in Hindi

*****

पूरा परिवार पति, सास, ससुर और ननद के साथ उसके मायके वाले भी क्रोध से आग बबूला हो रहे थे और उन सबके सामने अपराधी की तरह सिर झुकाये खड़ी थी तुलसी।

ननद राशि फूट फूटकर रोती हुई कह रही थी – ” भइया, पूॅछिये इस बेशर्म औरत से कि क्यों किया इसने ऐसा? भाभी तो मॉ समान होती है और इसने मेरे ही पति के साथ •••••• छि: मुझे तो कहते हुये भी शर्म आ रही है। अब रमन मुझे तलाक देकर इससे शादी करना चाहते हैं।”

” अरे ••••• मुॅह से कुछ तो बोल कि मेरी बेटी के साथ ही विश्वासघात करते जरा भी शर्म नहीं आई तुम्हें?”

तुलसी पत्थर की तरह चुपचाप खड़ी थी कि मॉ ने आगे बढ़कर दो थप्पड़ मारते हुये कहा – ” यही संस्कार दिये थे मैंने कि तुम यह सब करो? काश! यह दिन देखने के पहले या तो मैं मर जाती या तुम मर जाती।”

” यह ऐसे नहीं बोलेगी, इसे सुधारना मुझे आता है।” पति राज के उठते ही तुलसी चीख पड़ी – ” मुझे हाथ भी लगाने की कोशिश मत करना। सच सुनना चाहते हो ना तो सुनो कि मैं तुमसे तलाक लेकर रमन के साथ जीवन बिताना चाहती हूॅ।”

” तुमने जरा भी नहीं सोंचा कि मेरी बहन का क्या होगा? यह तुम्हारी ननद है छोटी बहन जैसी। भाभी तो मॉ के स्थान पर होती है।” राज की गरजती आवाज।

” क्यों सोचूॅ मैं? क्या इस घर के किसी व्यक्ति ने सोचा कि मैं इस घर की बहू हूॅ, मेरे भी कुछ अधिकार हैं? बहू का अर्थ क्या दिनभर काम करना और रात को अपनी देह पर तुम्हारा अत्याचार सहना ही होता है? क्या किसी के प्यार भरे दो शब्दों पर मेरा कोई अधिकार नहीं है?”

सब चुप थे। सच तो कह रही है तुलसी। विवाह के कुछ दिन बाद ही कम दहेज लाने के कारण सास और रमन ने ताने देने शुरू कर दिये थे। सबसे अधिक तो उसका जीना हराम कर दिया था ननद राशि ने। 

राशि की शादी में उसके दहेज का सारा सामान, कीमती साड़ियाॅ, और जेवर दे दिया गया। उसने जब विरोध किया तो सबके सामने रमन से उसे थप्पड़ मार दिया। साथ ही सास का जले पर नमक छिड़कता स्वर- ” भाभी की सामान पर तो ननद का हक होता ही है। औरत की अधिक जबान चलेगी तो मजबूरी में मर्द का हाथ उठेगा ही।”

मायके में उसने कहा तो सबने अपना पल्ला झाड़ लिया – ” अब वह तुम्हारा घर है, अपने घर के हिसाब से तो तुम्हें चलना पड़ेगा। दूसरे के घर के मामलों में हम क्या कर सकते हैं? “

बिटिया होने के बाद तो और भी समस्यायें बढ़ गईं – ” घर को वारिस तो दिया नहीं एक खर्चा और बढ़ा दिया। अब इसके साथ इस लड़की का बोझ और उठाओ। ” 

अब तक सब कुछ सहन करती तुलसी के अन्दर की मॉ अब तड़पने लगी। इस घर में वह अपने बच्चे को क्या दे पायेगी? कई बार मन किया कि घर को छोड़ दे लेकिन उससे क्या फायदा होगा? 

तुलसी के अन्दर एक आग सी जलने लगी। एक बार राशि मायके आई हुई थी, ससुर घर में नहीं थे। राज, राशि और सास कमरे में बात कर रहे थे। 

सब्जी के लिये जब वह सास से पूॅछने गई तब अपना नाम सुनकर बाहर ही रुक गई – ” अम्मा, तुलसी मुझे शुरू से पसंद नहीं थी, तुमने ही कहा था कि घर के लिये एक नौकरानी और दहेज दोनों मिल जायेगा। अब तो उसने एक लड़की भी पैदा कर दी। अब मैं और नहीं झेल सकता। मैं इसे तलाक दे दूॅगा।”

” अगर यही था तो बच्चा पैदा करने की क्या जरूरत थी?”

” तुम चुप रहो, राशि।” सास ने राशि को डॉटा, फिर राज से कहा – ” जानते भी हो कि तलाक आसान नहीं है। सालों लग जाते हैं, फिर तलाक के बाद काफी पैसा देना पड़ता है।”

” तो तुम्हीं बताओ इससे छुटकारा पाने का क्या उपाय है?”

” उपाय तो है लेकिन क्या आप कर पायेंगे?” यह राशि का स्वर था।

” क्या?” सास और राज के मुॅह से एक साथ निकला।

” घर या बाहर एक्सीडेंट तो कहीं भी हो सकता है।” कहकर राशि हॅसने लगी – ” एक साथ दोनों से छुटकारा मिल जायेगा। सॉप भी मर जायेगा और लाठी भी नहीं टूटेगी।”

” यह सही उपाय है। थोड़े दिन रोना-धोना मचाकर हम राज की शादी करेंगे तो दुबारा दहेज मिलेगा।” सास का प्रसन्नता भरा स्वर।

” तब ठीक है, हम यही करेंगे लेकिन कोई भी एक्सीडेंट घर के अन्दर ही होगा। बाहर का खतरा उठाने की जरूरत नहीं है। बच्चे को लिये हुये छत से कोई भी गिर सकता है, रसोई में आग लगना तो साधारण सी घटना है।” कहकर राज भी हॅसने लगी।

” ठीक है, आज तो शाम को मैं रमन के साथ चली जाऊॅगी लेकिन दुबारा जब कुछ दिनों के लिये आऊॅगी। तभी यह शुभ काम कर लेंगे।”

कहकर तीनों हॅस पड़े। तुलसी का दिल जैसे बैठ सा गया। इतने गिरे और नीच लोग हैं ये सब? किससे कहे, किससे सहायता ले – समझ में नहीं आ रहा था। उसके पास मोबाइल भी नहीं है , कोई प्रमाण भी नहीं है। उसके मन में प्रतिहिंसा की आग जल उठी। वह इन लोगों को ऐसे नहीं छोड़ेगी। 

उसे इस बात की तसल्ली भी हुई कि जब तक राशि दुबारा मायके नहीं आयेगी तब तक वह सुरक्षित है। दो दिन बाद ही उसे बिटिया को वेक्सीन लगवाने के लिये सरकारी अस्पताल जाना था। उसने निश्चय कर लिया कि उसे क्या करना है?

अस्पताल से उसने अपने ननदोई रमन को फोन किया। उसे पता था कि इस समय यदि उसकी कोई सहायता कर सकता है तो वह रमन है। रमन ने कई बार सबके सामने उसका पक्ष‌ लिया था। 

रमन ऑफिस में था। उसे समझ में नहीं आया कि तुलसी उसे फोन क्यों कर रही है – ” क्या बात है भाभी, मैं ऑफिस में हूॅ। शाम को राशि के साथ आ जाऊॅगा।”

” मेरा आपसे अभी मिलना बहुत जरूरी है। समझ लीजिये कि मेरे जीवन मरण का प्रश्न है। इसलिये किसी को इस बारे में पता नहीं चलना चाहिये। मैं इस समय सरकारी अस्पताल में हूॅ, आप यहीं आ जाइये।”

रमन ने आने में देर नहीं की क्योंकि अपने ससुराल वालों की फितरत से अब तक वह परिचित हो चुका था। एक साल में राशि की हरकतों के कारण उसका पूरा परिवार उससे दूर हो चुका था।

तुलसी ने रोते हुये जब रमन को पूरी बात बताई तो वह अवाक रह गया। काफी देर तक सोचने के बाद उसने तुलसी और नन्हीं बच्ची के सिर पर हाथ रख दिया – ” कोई नहीं देगा तो मैं तुम्हारा साथ दूॅगा। मुझे अपना बड़ा भाई समझो।”

फिर उसने तुलसी को कुछ समझा कर घर भेज दिया। राशि देख रही थी कि रमन ने उसकी उपेक्षा शुरू कर दी। उसने दूसरे कमरे में सोना शुरू कर दिया। ऑफिस न जाकर चुपचाप अपने कमरे में बन्द रहता है।

जब कुछ खाना पीना होता तो कमरे से निकल कर खुद बनाकर खा लेता। पहले तो राशि ने सोंचा कि रमन किसी बात से नाराज है लेकिन वह जानती थी कि जब वह उससे बात नहीं करेगी तो रमन खुद ही उसके सामने आकर झुकेगा।

एक सप्ताह में राशि का धैर्य जवाब दे गया। उसने रमन से स्पष्ट पूॅछा – ” रमन, तुम्हारा यह नाटक कब तक चलेगा?”

” यह नाटक नहीं है। मैं किसी को प्यार करने लगा हूॅ और जीवन उसी के साथ बिताना चाहता हूॅ। मुझसे अब तुम्हारा साथ सहन नहीं हो रहा है। मैं तुमसे तलाक चाहता हूॅ।”

” तलाक•••••” राशि चौंक गई – ” क्या मैं उस कुलटा का नाम जान सकती हूॅ?”

” क्यों नहीं, तुम्हें उसका नाम जानने का पूरा हक है। उस लड़की नाम तुलसी है जो तुम्हारी भाभी है।”

” तुम पागल हो गये हो क्या? वह मेरी भाभी है, मेरे भाई की पत्नी।”

” क्या फर्क पड़ता है? तुम लोगों के लिये तो वह वैसे ही बेकार है। तुम्हें तलाक देकर मैं उससे शादी कर लूॅगा। पत्नी के साथ मुझे एक बेटी भी मिल जायेगी।”

इसी का परिणाम था कि इस समय राशि मायके आई थी। राज ने तुलसी के मायके वालों को भी बुला लिया था। कुछ देर बाद रमन भी आ गये। उन्होंने सबके सामने पूरी बात बताई साथ ही सबको यह भी बताया कि वह तुलसी को सदैव से अपनी छोटी बहन मानते आये हैं। इसीलिये आज से राशि अपने मायके में रहेगी, शीघ्र ही वह तलाक के कागजात भिजवा देंगे। वह तुलसी और गुड़िया को लेकर अपने घर जा रहे हैं क्योंकि इस घर में उनकी बहन और भानजी सुरक्षित नहीं है।

सबके सिर शर्म से झुके हुये थे। पासा पलट चुका था। सबने रमन को आश्वासन दिया कि अब इस घर में तुलसी या बच्ची को कोई तकलीफ नहीं होगी। रमन ने स्पष्ट कह दिया कि अब तुलसी के प्रति किये गये हर दुर्व्यवहार का बदला वह राशि से लेगा। इसलिये यदि वे लोग चाहते हैं कि राशि खुश रहे तो उन्हें तुलसी को खुश रखना होगा।

तुलसी के मायके वाले तो कुछ बोल ही नहीं पाये। रमन ने उन्हें हिकारत से देखते हुये कहा – ” क्या सचमुच तुलसी आपकी ही बेटी है? 

बीना शुक्ला अवस्थी, कानपुर

Leave a Comment

error: Content is Copyright protected !!