आज दुकान में कावेरी बैठी हुई थी, अपनी मां की जगह।वह लोगों को कपड़े सिल भी रही थी और कस्टमर के सिले कपड़े दे रही थी।
तभी वहां एक कार आकर रुकी और उसमें उसकी क्लासमेट रोहिणी उतरी।
“ मैंने चार दिन पहले यहां पर कपड़े दिए थे सिलने के लिए वह हो गए क्या?”
अपनी आंखों से काला चश्मा निकालते हुए उसने कहा।
कावेरी के आंखें झुकी हुई थी।
उसने कहा “मैडम अपना पर्चा निकाल कर दीजिए।”
तभी रोहिणी की नजर कावेरी पर पड़ी। वह व्यंग्य से मुस्कुराते हुए बोली “अरे कावेरी तुम यहां?”
यह सुनते ही कावेरी ने अपना चेहरा ऊपर किया
“रोहिणी तुम यहां ?”
“मां ने यहां साड़ी भिजवाए थे ।उन्होंने कहा था मैं यहां से लौटते समय ले चलूं ।मैं साड़ी लेनी आई थी।”
पर्ची देखकर कावेरी ने नंबर के हिसाब से उसके पैकेट निकाल कर उसके हाथ में दे दिया और कहा” 575 मुझे दे दो।”
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रोहिणी ने उसे 600 रुपये उसे देते हुए कहा” मुझे नहीं पता था कि तुम एक दर्जी की बेटी हो। मेरी मां को तुम्हारी मां के हाथों के ब्लाउज बहुत ज्यादा पसंद है।”
कावेरी बचे हुए पैसे वापस करने लगी तो रोहिणी ने उसका मजाक उड़ाते हुए कहा “रख ले छुट्टे। कल कॉलेज के बाहर चाट खा लेना।” यह बोलकर हंसती हुई वह वहां से चली गई।
कावेरी की आंखों में आंसू आ गए। उसे अब पता चल गया था कि अब कल इसका पूरा ग्रुप मेरा मजाक उड़ाएगा और पूरे कॉलेज में दर्जी की बेटी कहकर हल्ला कर देगा।
जैसा कावेरी ने सोचा था वैसा ही हुआ ।
दूसरे दिन जब वह कॉलेज पहुंची तो सब लोगों से मजाकिया नजरों से देख रहे थे। खास तौर पर रोहिणी की सहेलियां।
पीठ पीछे फिकरे कस रहे थे। उसका मजाक उड़ाते हुए वह लोग कह रहे थे
“हम भी आएंगे तुम्हारे यहां कपड़े देने ताकि तुम्हारी पढ़ाई पूरी हो जाए।
कावेरी और तुम हम जैसे लोगों के स्टेटस में आ जाओगी ।अभी तो अनुदान पर पढ़ रही हो।
सरकार भी ना गजब गजब की योजनाएं निकालती हैं। गरीबों को अमीरों की बराबरी करवा देती हैं।”
कावेरी सुनकर चुप रह जाती थी।
वह अपनी आंखों में आंसू भरकर अपनी पढ़ाई में लगी हुई थी।
जब से उसके पिता की मृत्यु हुई थी, कावेरी की मां शीतल के ऊपर बहुत बड़ी जिम्मेदारी आ गई थी।
घर में बीमार सास ससुर, कावेरी और उसका छोटा भाई मोहन रह गए थे।
शीतल ज्यादा पढ़ाई भी नहीं कर पाई थी, बस सिलाई अच्छी आती थी।
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आस पड़ोस के लोगों ने मिलकर उसके लिए एक टेलरिंग होम खुलवा दिया था जहां उसकी सिलाई कुल मिलाकर अच्छी चल रही थी ।
उसी की बदौलत घर का खर्च चल रहा था कावेरी और उसका छोटा भाई पढ़ने में बहुत अच्छे थे और सरकार की तरफ से उसे स्टाइपेंड भी मिल रहा था जिसके कारण उसकी पढ़ाई चल रही थी।
उसकी मां यह चाहती थी कि वह पढ़ लिख के कुछ कर ले ताकि इस गरीबी से छुटकारा मिल जाए।
यही सोचकर कावेरी मन लगाकर पढ़ाई कर रही थी। वह कॉलेज अच्छा था लेकिन हर जगह रोहिणी और उसकी दोस्तों जैसे लोग भरे पड़े होते हैं जो हीरे की चमक को नकार देते हैं।
अपने बाप के पैसे नहीं बल्कि अपनी बदौलत कावेरी उतने बड़े कॉलेज में पहुंच चुकी थी मगर ऐसे लोगों से मुंह लगाकर क्या फायदा।
उसने अपनी मां से भी नहीं बताया कि उसे कॉलेज में हर दिन कितने अपमान का सामना करना पड़ता है।
12वीं के बाद कावेरी कॉलेज में ड्रेस डिजाइनिंग का कोर्स करना चाहती थी मगर उसकी फीस बहुत ज्यादा थी।
“इतनी फीस मैं कहां से दे पाऊंगी?”
उस समय रोहिणी भी वहां मौजूद थी।
उसने उसे कटाक्ष करते हुए कहा
“कावेरी यह सब तुम्हारे बस का नहीं है। तुम अपनी मां की तरह एक टेलरिंग होम खोल लो और लोगों के कपड़े सिलो।
ड्रेस डिजाइन करना हमारा काम है। हम जैसे बड़े बाप की बेटियों का। इतने ऊंचे सपने देखने के लिए दम होना चाहिए कुछ भी नहीं सोचना चाहिए।”
कावेरी मन मसोस कर घर चली आई उसकी आंखों में आंसू आ गए
“ मैं अपनी मां के सपनों को ही आगे बढ़ाना चाहती हूं। मैं क्या करूं?”
कुछ दिनों बाद कॉलेज में एक मेला लगने जा रहा था जिसमें अपने हुनर दिखाने का मौका मिल रहा था।
जीतने वाले को 25000 रुपए का पुरस्कार भी मिलने वाला था।
कावेरी ने अब ठान लिया कि वह इस प्रदर्शनी में भाग लेगी और प्रथम आने की कोशिश करेगी।
सिलाई कढ़ाई का गुण उसके भीतर अपनी मां से आया था।
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वह दिन रात जुट गई। वह नए-नए डिजाइन के कपड़े बनाया करती उसमें बेल बूटे काढ़ती।
उसने तरह-तरह की चीज बना लिया ।
अपने कॉलेज के मेले में उसने अपना स्टॉल लगाया।
उस मेले में कई लोग आमंत्रित थे। कावेरी का हुनर देखकर वहां के निर्णायक मंडल बहुत ही इंप्रेस थे।
कावेरी के बने हुए सामान बहुत ही यूनिक और सुंदर थे।
उसे प्रथम पुरस्कार मिल गया था।उसे 25000 रुपए मिल गए थे।
वह बहुत खुश थी कि वह अब अपने सपने को पूरा कर सकती है।
वहां आए मेहमानों में एक विधायक की पत्नी बहुत ही ज्यादा इंप्रेस थी।
उसने कावेरी की पीठ थपथपाते हुए उसे बहुत बधाई दिया।
जब उन्हें यह पता चला कि वह एक गरीब लड़की है और इतनी मेहनत से उसने यहां तक पहुंच पाई है।
उन्होंने कावेरी के पूरे 4 साल की फीस खुद ही दे दिया।
लगभग 5 साल बीतने जा रहे थे कावेरी ने फैशन डिजाइनिंग में प्रथम स्थान प्राप्त किया था।
मंच पर उसे सम्मानित किया जा रहा था।
नीचे खड़े लोगों के साथ रोहिणी और उसके दोस्त भी थे जो तालियां बजा रहे थे।
कावेरी की सफलता से रोहिणी खुद भी अपमानित महसूस कर रही थी।
कभी उसने उसकी गरीबी का मजाक उड़ाया था। आज कावेरी की सफलता ने उसका मजाक उड़ा दिया था।
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प्रेषिका -सीमा प्रियदर्शिनी सहाय
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साप्ताहिक विषय #अपमान के लिए मेरी रचना
पूर्णतः मौलिक और अप्रकाशित।