बहुरानी – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

पूजा इधर आओ बेटा काम छोड़ दो सब बाद में हो जाएगा । मेरे पास ज्यादा समय नहीं है, ऐसा न कहें मम्मी आपके बिना तो ये घर , घर नहीं है और आपके बिना मेरा भी कोई वजूद नहीं है इस घर में ।

                  श्यामा बिस्तर पर लेटी हुई थी बीमार चल रही थी कुछ दिनों से बुखार आ रहा था ।दवा देने पर भी बुखार उतर नहीं रहा था प्लेटलेट्स निरंतर कम हो रही थी। डेंगू का अंदेशा था डेंगू का इलाज चलने लगा । कुछ दिन तक तो बुखार ठीक रहा लेकिन थोड़े दिनों बाद फिर से आने लगा । ब्लड टेस्ट कराया गया तो रिपोर्ट कुछ ठीक नहीं थी । डाक्टर ने दिल्ली ले जाने की  सलाह दी ।

दिल्ली में जब पूरा चेकअप हुआ तो ब्लड कैंसर की पुष्टि हुई । रिपोर्ट आते ही पूरे घर में उदासी छा गई। सिर्फ पांच या छह महीने का समय था श्यामा के पास । सबने भरसक कोशिश की इलाज कराने की लेकिन कुछ न हो पाया । डाक्टर ने घर ले जाने की सलाह दी ।घर में सबको पता चल गया कि श्यामा की जिंदगी अब ज्यादा नहीं है सब उनको खुश रखने की कोशिश करने लगे ‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌‌लेकिन धीरे-धीरे उनका आखिरी समय नजदीक आ ही गया ।

         श्यामा एक मिलनसार और समझदार और सब परिवार को प्रेम भाव से लेकर चलने वाली महिला थी ।आस पड़ोस सगे संबंधी सभी से उनके बहुत अच्छे संबंध थे । श्यामा के दो बेटियां और एक बेटा था। सभी की शादी व्याह कर चुकी थी श्यामा जी । हंसी खुशी से अब परिवार में समय व्यतीत हो रहा था श्यामा का।नौ साल का एक पोता भी था। तभी अचानक से इस बीमारी ने घर में दस्तक दे दी ।

                  पूजा, पूजा बहू थी श्यामा की । जैसी सास थी वैसी ही समझदार बहू भी मिली थी श्यामा को। दोनों मां बेटी की ही तरह रहती थी ।एक दूसरे का बहुत अच्छे से ख्याल रखती थी दोनों सास बहू। बहुत अच्छे से ख्याल रखना हंसते मुस्कुराते हुए जीवन बीत रहा था । कोई कह देता तुम तो सास बहू नहीं मां बेटी लगती हो श्यामा।ये न कहो भाभी जी श्यामा तुरंत बोलती मां बेटी कहकर मैं बहू का अपमान नहीं करती ।वो तो हमारे घर की लक्ष्मी है , हमारे परिवार की नींव है ,वो इस घर की बहू रानी है ।

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बेटियां तो दूसरे के घर की लक्ष्मी होती है । पूजा को तो मैं बेटी की तरह प्यार भी करती हूं और बहू की तरह जिम्मेदारी भी सौंपती हूं । मेरे जाने के बाद इसी को तो यह परम्परा आगे बढ़ाना है न यही सब समझाने के लिए आज अपनी दोनों बेटियों और बेटे बहू और पति सबको अपने पास बिठा रखा था ।और बोली देखो पूजा में कुछ दिन की मेहमान हूं ये सब लोग जानते हैं रोने धोने से क्या होगा ऊपर वाले का बुलावा आ गया है

तो जाना तो पड़ेगा ही कोई रोक नहीं सकता।और बोली देखो पूजा में बहुत बड़ी जिम्मेदारी डाल कर तुम पर मैं जा रही हूं सबकुछ अच्छे से संभालना, हमारे बेटे को अपने ससुर को और हमारी बेटियों को भी उनका मायका नहीं छूटना चाहिए ।तुम बेटियों से छोटी जरूर हो लेकिन मैं तुमको आज अपना दर्जा दे रही हूं तुम उनकी मां बनकर रहना । जैसे मैंने सबको संभाला वैसे ही तुम सबकुछ संभालोगी। किसी को भी हमारी कमी महसूस नहीं

होने दोगी,सुन रही है न पूजा । हां सुन रही हूं पूजा बराबर रोए जा रही थी।आप क्यों ऐसी बात कर रही हो मम्मी आप जल्दी ठीक हो जाओगी। झूठे दिलासे में मैं नहीं जीतीं मुझे मालूम है कि मैं ठीक नहीं होंगी और मेरे पास समय बहुत कम है ।और एक बात और मेरे जाने के बाद कोई रोएगा नहीं, हंसी खुशी हमको विदा करना इतना सुनकर वहां बैठे सब लोग रोने लगे।ना,

ना रोकर मुझे तकलीफ़ न पहुंचाओ सब लोग चुप हो जाओ।और पूजा में तुम्हारे हाथ में क्या है मम्मी ये बिछिया और पायल है मैं आपके लिए लाई थी आज आपकी शादी की सालगिरह है न ।अच्छा ला मुझे पहना दें ,आज तेरे हाथों से ही सजकर जाऊंगी।

                  और फिर दूसरे ही दिन सुबह-सुबह पता लगा कि श्यामा भाभी नहीं रहीं। बहुत गमगीन माहौल हो गया था ।सबकी आंखों में आंसू थे।

           उनकी कमी आज भी परिवार के लोग तो महसूस करते ही हैं इस पड़ोस भी बहुत करता है अक्सर उनकी चर्चा होती है।आज अचानक पूजा से मुलाकात हो गई मैंने पूछा कैसी हो पूजा , ठीक हूं आंटी लेकिन मम्मी के बिना बिल्कुल भी अच्छा नहीं लगता।एक साल हो गए उनको गए हुए लेकिन लगता है कि जैसे आज की ही बात हो ।

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हां पूजा मम्मी थी ही ऐसी । बहुत बड़ी जिम्मेदारी छोड़कर मुझपर गई है बस कोशिश करती हूं सब उनके कहे अनुसार पूरा हो ।सबका ख्याल रखती हूं ।जैसा मम्मी कह गई थी बेटा बहू रानी हो तुम इस घर की बहू रानी ही बना कर गई है । कोई शक नहीं कि तुम सबका ख्याल नहीं रखती होगी ।बस अपनी जिम्मेदारी निभाती रहो बेटा अच्छे से ।समय धीरे धीरे सब घाव भर देता है जाने वाले की कमी को तो कोई भी पूरा नहीं कर पाता । लेकिन वक्त सबसे बड़ा मरहम होता है  । सबके साथ अपना ही ख्याल रखा करो जी आंटी ।

मंजू ओमर

झांसी उत्तर प्रदेश

15 नवंबर

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