गार्गी एक बात ध्यान से सुन लो जब बैंगलोर शिफ्ट हो ही रही हो तो अपने यहां का दिया समान सारा ले जाना क्या पता तुम्हारे सास,श्वसुर कद्र करें या नहीं?
और वैसे भी अब आना ही क्यों है? पड़े रहेंगे ये बूढ़े,बूढ़ी यहां पर!
ये भी अच्छा हुआ कंवर साहब का ट्रांसफर दूर हो गया वरना जिंदगी भर की पिदाई हो जाती।
बड़ी बहना सुरेखा की सीख सुन गार्गी बोली ” ठीक है दीदी अभी तो समान कि पैकिंग कर लू फिर बात करती हूं।
और गार्गी ने अपने सामान की पैकिंग शुरू कर दी।
पर दिमाग दीदी की बातो में घूमने लगा।
ठीक ही कहती हैं दीदी कौन इस झझंट में पड़े। दीदी भी अपना ससुराल छोड़ आराम से रह रही हैं ।
क्या दिक्कत है ?
फिर दूसरे ही पल सोचने लगी ” पर दीदी को दिक्का( भांजी) को पालने में परेशानी तो उठानी ही पड़ी।
पर मैं तो घर पर ही रहती हूं अरे भई सारे दिन एक एक चेहरा देख कर बोर थोड़ी ना होना है वहां जाकर अपने आप को अपने हिसाब से मेंटेन करूंगी।
और रही बात पुश्तैनी सम्पत्ति की वो तो है ही अपनी ये इकलौते जो ठहरे वाह क्या दिमाग पाया है दीदी ने मजा आ गया।
सोच कर काम करने की गति तीव्र हो गई ।
सारा सामान लगभग जम सा चुका था कि मम्मी जी ने आवाज लगा दी गार्गी बिटिया खाना तैयार है डाइनिंग टेबल पर लगा दिया है आ जाओ।
गार्गी ;” जी मम्मी जी”
सास,श्वसुर के साथ खाना खाने बैठ गई तभी विन्नी जो मात्र दो वर्ष आठ माह की गुड़िया थी अचानक रोने लगी।
गार्गी उठने ही वाली थी कि मम्मी जी बोली” गार्गी बेटा तुम खाना खालो मै संभाल लेती हूं और मेरी परी मेरी लाडो” कहती हुई विन्नी को संभालने उठ गई।
खाना खाने के बाद गार्गी अपने कमरे में चली गई।
विन्नी दादी साहब दादा साहब के साथ खेल रही थी।
गार्गी ने अपनी दीदी को फोन लगाया और बोली ” दीदी मुझे लग रहा है कहीं ना कहीं आपने कुछ गलती कर दी।
आपके एक सास ही तो है उन्हें भी आपने अकेला छोड़ दिया आज आप उन्हें साथ रखती तो दिक्का को कितना बड़ा सहारा मिलता परिवार के सदस्य तो एक दूसरे के पूरक होते हैं।
अब आपको कोई भी बड़ा काम हो दिक्का को पड़ोसियों के भरोसे छोड़ देती हो ?
ना बाबा ना दादा ,दादी के स्नेह की तो कोई होड़ ही नहीं कर सकता मैंने तो फैसला लिया है अपनी थोड़े से आराम के लिए मै विन्नी की खुशी दाव पर नहीं लगा सकती।”
सॉरी दीदी पर……
पूरा वाक्य भी नहीं बोल पाई थी कि दीदी बोली हा यार तू सही कह रही है आज जब शुभम (सबसे बड़ी बहन रीता का बेटा) बड़ा हो रहा है तब दीदी कभी कभी बात करती है पता नहीं बुढ़ापे में बच्चे सेवा करेंगे कि नहीं।
फिर हंसते हुए बोली खुद ने अपने सास ,श्वसुर को पूछा भी नहीं हमेशा जीजू को भी उनसे दूर रखा और आशाएं बड़ी बड़ी।
गार्गी बोली ” बस इसलिए मैंने फैसला लिया है मै मेरे परिवार को टूटने नहीं दूंगी।”
अब हम सब थोड़े दिन के लिए बैंगलोर जरूर जाएंगे पर मम्मी ,पापा जी को साथ लेकर और फिर इनसे कहूंगी की अपनी ट्रांसफर यही करवा लेवे।
मजा तो सबके साथ ही आता है।
और हंस देती है ।
दीदी ने पूछा विन्नी क्या कर रही है ? चल वीडियो कॉल ऑन कर मै विन्नी से बात करना चाहती हूं।
गार्गी बोली ” हा,दीदी जरूर बाहर हॉल में मम्मी जी के साथ है।”
गार्गी वीडियो कॉल ऑन कर जैसे ही हाल में जाती है क्या देखती है विन्नी अपने दादा साहब को घोड़ा बना कर उनकी पीठ पर बैठी है और दादा साहब बोल रहे है ” चल मेरे घोड़े टिक टिक ……”
और दादी साहब रोटी का एक एक कोर दही में डूबो डुबो कर विन्नी को खिला रही है।
बिन्नी बोली ” देखा दीदी ब्याज मूल से ज्यादा प्यारा होता है और हम आजकल की पीढ़ी चन्द स्वार्थ के लिए इनसे ये सूख छीन लेती है।
और अपनी संतान का जिम्मा किसी गैर को सौंपने के लिए तैयार हो जाती है जो कितने भी रुपए लेकर इतना ख्याल नहीं रख सकते।”
सुरेखा दीदी ;” अरे छोटी ( गार्गी) तू तो हमसे भी बड़ी हो गई है जो हमारे पढ़ाए गए पाठों में इतने करेक्शन करने लगी है।”
चल मैं अपने शब्द वापिस लेती हूं तुम अपने परिवार के साथ हमेशा खुश रहो और हम जैसी दीदियों की बातो में भी मत आओ।”
दोनों हंस देती हैं ।
गार्गी ;” तो दीदी अब बुला रही हो ना अपनी सास को अपने पास?
सुरेखा हा आज ही तुम्हारे जीजू और मैं जाकर उन्हें सम्मान से लेकर आएंगे।
हां,दीदी भगवान से यही प्रार्थना करती हूं कि हमारी भाभी भी ऐसी आए जो मम्मी ,पापा की सेवा कर सके।
चल अब फोन रख बड़ी दीदी को भी ज्ञान बांटना है।
ओके बाय।
सुनकर कमरे के बाहर दादा साहब की पीठ पर बैठी विन्नी भी अपने हाथ हिलाती हुई बोली ” बाय मम्मी”
उसे लगा सच में जिस घर में बुजुर्ग हंसते मुस्कुराते है उस घर में भगवान का वास होता है।
दीपा माथुर
#जिस घर में बुज़ुर्ग हंसते मुस्कुराते हुए रहते है | उस घर में भगवान का वास होता है