रत्नगर्भा – उषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

     वह बड़ी बेचैनी से महसूस कर रही थी। आंखों से नींद कोसों दूर थी। फिर धीरे से उठी और पास के स्टूल पर रखे जग से गिलास में पानी लेकर पिया। फिर लेट गई। बार-बार उसके करवट बदलने से सुमित की आंख खुल गई । उसने पूछा-” क्या हुआ नीमा, तबीयत तो ठीक है ना ?”

उसने कहा -“हां “।

अपनी बेचैनी कैसे बताती। लेकिन सुमित समझ गया कि जरूर कोई बात है। उसने बहुत प्यार से पूछा- “क्या हुआ बताओ? कुछ परेशान लग रही हो ।”

नीमा उठ कर बैठ गई। उसके पास  सुमित भी बैठ गया। और प्यार से उसके सर पर हाथ फेरने लगा । नीमा का गला रूंध आया उसने कहा – सुमित, अगर मेरी बेटी हुई तो ।”

सुमित ने उसको ध्यान से देखते हुए फिर मुस्कुराते हुए कहा-  “तो , तो क्या हुआ? हमारी बेटी होगी । इतना परेशान क्यों हो ? आज बेटियां तो बहुत आगे बढ़ रही हैं।”

नहीं सुमित ऐसा नहीं है ।- नीमा ने उसकी बात पर ध्यान ना देते हुए कहा ।

तो क्या है ? सुमित भी परेशान हो गया ।

नीमा दुखी स्वर में बोली – आज शाम को चाय के समय मम्मी पापा आपस में बात कर रहे थे कि हमारे घर में पहला बेटा ही सबके हुआ है। तो यह छोटा पोता आ रहा है ।” इसके पहले भी जब से वह प्रेग्नेंट हुई कई बार यह बात सुन चुकी है लेकिन आज फिर वही सुनकर उसके अंदर बेचैनी और चिंता बढ़ गई।   

 अल्ट्रासाउंड की मदद लेना गैरकानूनी है नहीं तो अब तक सबको पता चल चुका होता ।

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  इतना बड़ा रहस्य स्वयं विधाता के सिवा कोई नहीं जान सकता । वह मां भी नहीं जो नौ माह अपने गर्भ में रखकर उसको पालती है। इसके पहले भी कई बार मां जी और भाभी जी को भी आपस में ऐसे कहते सुना है ।

 नीमा की बात सुनकर सुमित के होठों पर मुस्कान आ गई फिर वह उसको ध्यान से देखते हुए बोला – “अरे इतना परेशान होने की क्या बात है। हमेशा बेटा हुआ तो इस बार बेटी होगी। तो क्या हुआ? चेंज इज द लॉ ऑफ लाइफ (परिवर्तन प्रकृति का नियम है) और यह जरूरी भी है।”-   

  इतना कहकर सुमित ने नीमा का सर प्यार से अपने कंधे पर रखा और थपकी देने लगा। उसकी बात सुनकर नीमा आश्वस्त तो नहीं हुई लेकिन उसके लिए सोने की कोशिश करने लगी।

   समय बीता और एक दिन नीमा को प्रसव पीड़ा शुरू हुई उसको लेकर घर के सभी लोग अस्पताल गए। नीमा इस पीड़ा के साथ-साथ एक और दर्द भी सह रही थी कि क्या होगा ? तभी कुछ मिनट की पीड़ा सहन करने के बाद बच्चे की रोने की आवाज ने उसका सारा दर्द छूमंतर कर दिया। नीमा ने डॉ की तरफ प्रश्न वाली नजरों से देखा उसको वैसे देखते हुए नर्स ने देख लिया । वह समझ गई कि नीमा डॉक्टर से पूछना चाह रही है कि क्या हुआ ? वह बोली -“मुबारक हो बहुत सुंदर बेटी की मां बनी हो।”

   क्या ऽऽऽऽ- नीमा कें अंदर कुछ घुट कर रह गया। उसने बेटी की तरफ एक नजर डाली जो बहुत सुंदर थी, लेकिन उसने न चाहते हुए भी अपनी आंखें बंद कर ली। थोड़ी देर में उसको उसके बेड पर पहुंचा दिया गया । उसके वहां पहुंचते ही सुमित और उसके सास – ससुर भी उसके पास पहुंच गए नीमा अभी तक

अपनी आंखें बंद किए थी। तभी नर्स बेटी को लेकर वहां आ गई । नीमा की सास ने उसे अपनी गोदी में लेकर – खुश होते हुए कहा- अरे ये तो बहुत सुंदर है बिल्कुल मेरी नीमा जैसी । राजकुमारी है ये।” नीमा सब सुन रही थी सुमित ने नीमा का हाथ पकड़कर कहा- बेटी को देखा । हमारी बेटी बहुत सुंदर है।”

नीमा की आंखों के कोर से आंसू से भीग गए। जिसे उसके ससुर ने  देख लिया वह बोले – “उठ बेटा अपनी बेटी को देख कितनी प्यारी बच्ची है । और तू क्यों परेशान है मुझे सुमित ने सब बताया वह तो हम लोग ऐसे ही बातें कर रहे थे। हम बड़ों से भी कभी-कभी बात करने में गलती हो जाती है। लेकिन तू तो मेरी रत्नगर्भा बहू है ।

जिसने अनमोल रत्न को जन्म दिया है ।”  उनकी यह बात सुनकर नीमा ने आंखें खोल दी उसकी आंखों से खुशी के आंसू बह निकले। होठों पर मुस्कान को खिल उठी । तब उसने अपनी बेटी को भरपूर नजरों से देखा जो वास्तव में अनमोल रत्न की तरह चमक रही थी ।

स्वरचित- उषा भारद्वाज

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