सच सामने आ ही जाता है – नेकराम : Moral Stories in Hindi

रात के 10:00 बज चुके थे अस्पताल से छुट्टी होने के बाद मैं जल्दी-जल्दी तेज कदमों से बस स्टैंड की तरफ चल पड़ा सर्दी का मौसम था और ठंडी ठंडी तेज हवाएं भी चल रही थी वहां खड़े एक ऑटो ड्राइवर ने बताया भाई साहब आज यहां बस नहीं आएगी क्यों बेकार में खड़े हो आजादपुर वाले रोड पर एक बहुत बड़ा एक्सीडेंट हुआ है उसकी वजह से वहां ट्रैफिक जाम है

उस ऑटो वाले ने फिर कहा तुम चाहो तो मैं तुम्हें तुम्हारे घर पर छोड़ सकता हूं मैं केवल ₹100 ही लूंगा

तब मैंने ऑटो वाले से कहा मेरे पास तो केवल ₹10 ही है

तब ऑटो वाले ने कहा कम से कम ₹50 भी होते तो मैं तुम्हें ले चलता

मगर ₹10 में तो मेरा पड़ता नहीं खाएगा हमारी भी मजबूरी है

तभी वहां कुछ सवारी जो बस स्टैंड पर खड़ी थी उसी ऑटो पर बैठ गई और ऑटो वाला उन्हें लेकर चल पड़ा

उस सुनसान बस स्टैंड पर मैं अकेला ही रह गया

रात के 10:30 बज चुके थे तब मुझे ख्याल आया यहां खड़े रहने से अच्छा है पैदल ही घर की तरफ चलना चाहिए

बस का इंतजार करना फिजूल है ऑटो वाले ने कह दिया है कोई बस नहीं आएगी इस तरफ ,,

अस्पताल से घर की दूरी 17 किलोमीटर थी 2 किलोमीटर तक तो मैं पैदल चलता रहा रात के 11:00 बज चुके थे पत्नी का फोन आया

और उसने कहा,, कहां रह गए आप ,,अभी तक घर नहीं पहुंचे

पहले तो आप 11:00 बजे तक घर आ जाते थे

तब मैंने पत्नी से कहा तुम खाना खा पीकर सो जाना मैं थोड़ा लेट आऊंगा किसी मित्र के घर पर हूं वहां पार्टी है तुम मेरी फिक्र न करना

पत्नी को समझा कर मैं जल्दी-जल्दी तेज कदमों से घर की तरफ चलने लगा और सोचने लगा पत्नी को सच बताकर क्या फायदा ,, पत्नी परेशान होती और अम्मा ,,बाबूजी को पता लगता तो उन्हें भी मेरी चिंता सताने लगती

घर अभी भी बहुत दूर था शायद मैं 7 किलोमीटर पैदल चल चुका था

सड़कों पर  बाइकें ,,कार और टैक्सी भी दिखाई दे जाती जो अपनी रफ्तार से अपनी मंजिल की तरफ बढ़ती दिखाई दे रही थी

किसी से लिफ्ट मांगू या नहीं कुछ समझ नहीं आ रहा था

चलते चलते जब पैर दुखने लगे कंधे पर एक बैग लटक रहा था  उसमें पानी की बोतल भी खाली पड़ी थी जोरो की प्यास भी लगने लगी गला सूखने लगा

सामने ही सड़क किनारे एक शमशान घाट दिखाई दिया

उसके चारों तरफ घोर अंधेरा था लेकिन शमशान घाट के भीतर से कुछ लाइटें टिमटिमा रही थी

शायद यहां पीने के लिए पानी मिल जाए यही सोचकर मैं शमशान घाट के दरवाजे की ओर बढ़ चला

श्मशान घाट का मुख्य दरवाजा अंदर से बंद था अंदर जाने के लिए यही एक रास्ता था मैंने दरवाजे पर खटखट की कुछ देर खड़ा रहा

शायद कोई दरवाजा भीतर से खोल दे 2 मिनट के बाद तभी दरवाजा आहिस्ता से खुला एक बूढ़ा सा आदमी कुर्ता पजामा पहने और गले में गमछा डालें मुझे देखने लगा

मैंने उन्हें बताया मैं एक सिक्योरिटी गार्ड हूं आज मुझे बस नहीं मिली इसलिए घर की तरफ पैदल ही जा रहा हूं रास्ता लंबा है और मुझे प्यास भी लगने लगी क्या मुझे थोड़ा सा पानी मिल सकता है पीने के लिए

तब उसने बताया शमशान घाट के भीतर रात के वक्त किसी भी अजनबी का आना सख्त मना है वह बुजुर्ग कुछ और कहता इससे पहले ही आसमान में न जाने कहां से बादल आ गए और बारिश की मोटी मोटी बूंदें चारों तरफ गिरने लगी जब मेरे कपड़े बारिश के पानी से भीगने लगे तो उसने कहा तुम भीतर आ जाओ यह बारिश का पानी नुकसान कर सकता है

मैं उस बुजुर्ग के पीछे-पीछे शमशान घाट के अंदर आ गया और उसने दरवाजा अंदर से बंद कर लिया

श्मशान घाट के भीतर बहुत सी राख के ढेर से अभी भी गर्माहट आ रही थी जैसे लकड़ियां अभी-अभी जलकर राख हुई हो

श्मशान घाट की दीवारों के ऊपर जो लोहे की टीन लगी थी उसमें बारिश की मोटी मोटी बूंदों की आवाज़ें साफ सुनाई दे रही थी

वहीं पास में घड़ा रखा हुआ था उसने उसमें से एक गिलास पानी निकाल कर मेरी और बढ़ा दिया

तब मैंने कहा आपको यहां अकेले डर नहीं लगता

तब उसने कहा डर ,,कैसा डर ,, यह तो मेरा घर है यही रहना यही खाना और यही सोना सब कुछ मेरा यही इसी शमशान घाट में ही होता है

जब मैं 6 वर्ष का था तब नई दिल्ली स्टेशन पर अपने माता-पिता से बिछड़ गया था और भटकते भटकते में यहां इस श्मशान घाट पर आ गया और फिर यही रहने लगा श्मशान घाट के मालिक ने मुझे अपने बच्चें की तरह पाला ,,अब तो वह इस  दुनिया में नहीं रहे,,

अब पूरे श्मशान घाट को मैं ही अकेला संभालता हूं

तब मैंने पूछा तो आपने शादी नहीं की

तब उस बुजुर्ग ने कहा शादी के बारे में कभी मैंने सोचा ही नहीं

श्मशान घाट में जो कुछ भी पैसा इकट्ठा होता है धीरे-धीरे मैंने शमशान घाट की बाउंड्री बनवा दी पहले तो यह सिर्फ एक जमीन का टुकड़ा ही था

मैं शमशान घाट के चारों तरफ नजर दौड़ाने लगा एक दीवार से सटकर बहुत सी पेड़ों की लकड़ियां रखी हुई थी

कुछ दूरी पर मुझे बहुत सारी कपड़ों की पोटलिया दिखाई दी मैंने पूछा इन पोटलियों में क्या रखा है

बुजुर्ग मुझे पोटलियों के पास ले गया और कहा इसमें बहुत से कपड़े हैं

जो लोग मर जाते हैं उनके परिवार वाले मरे हुए लोगों के कपड़े भी यहां शमशान घाट में छोड़ जाते हैं

एक पुरानी सी पोटली पर नजर पड़ी तो मैंने बुजुर्ग से पूछा क्या मैं इस पोटली को खोलकर देख सकता हूं शायद कुछ कपड़े निकल आए जो मेरे काम के हो

बुजुर्ग खुश होते हुए बोला हां हां यहां तो यह सारी पोटलिया बेकार पड़ी हुई है इन पोटलियों के भीतर से ,,तुम्हें जो चाहिए ले लो,,

मैंने वह पुरानी पोटली की गांठ खोली तो उसमें से कुछ साड़ियां निकली

उन साड़ियों में जगह-जगह पर छेद थे

यह साड़ियां मेरे किसी काम की नहीं है मैंने बुजुर्ग को जवाब दिया

उसी पोटली से टूटी हुई फटी हुई दो जूतियां निकली जूतियों का नीचे का तला काफी घुस चुका था ,,

उस पोटली के भीतर से एक छोटी सी थैली निकली जब थैली को खोला तो उसमें बहुत सी दवाइयां थी दवाइयां देखकर बुजुर्ग बोला शायद यह किसी बुजुर्ग माता के कपड़ों की पोटली है

शायद वह बुजुर्ग माता बीमार थी इन दवाइयों से पता चलता है

उसी पोटली में से एक लाल रंग का पुराना सा स्वेटर निकला उस स्वेटर की तह के भीतर से एक तस्वीर निकली

तस्वीर एक बुढ़िया की थी उस तस्वीर में वह काफी दुबली पतली और कमजोर दिखाई दे रही थी

उस बुजुर्ग ने बताया इस बुढ़िया की तस्वीर देखकर लगता है इसकी उम्र शायद 80 बर्ष के आसपास थी शायद बीमार थी इसी कारण यह मर गई और इसके परिवार वाले इसे इस शमशान घाट में ले आए और इस बुढ़िया को जला दिया

तभी मेरी नजर उस पोटली के भीतर एक किताब पर पड़ी जब मैंने किताब को खोला तो वह एक एल्बम थी जिसे मैं किताब समझ रहा था

उस एल्बम में एक खूबसूरत लड़की दुल्हन के जोड़े में खड़ी हुई थी

और एक खूबसूरत लड़का दूल्हे के जोड़े में खड़ा हुआ था

दोनों के गले में गुलाब के फूलों की वरमाला थी

लोग उन्हें आशीर्वाद दे रहे थे

बुजुर्ग ने ध्यान से देखा और मुझे बताने लगा मेरा अनुमान है शायद यह बुढ़िया की जवानी की एल्बम होगी

देखो कितनी खूबसूरत है उम्र से लग रही है शायद 18 या 19 वर्ष की होगी यह इसकी शादी की एल्बम है हमने एल्बम के पन्ने आगे पलटाने शुरू किये

उसकी गोद में एक हंसता खेलता लड़का दिखाई दिया

शायद यह इसका बेटा है फोटो शादी के एक या डेढ़ साल पुरानी होगी

हमने एल्बम को फिर आगे बढ़ाया उसमें वह 2 बरस के लड़के को गोद में लिए खड़ी है साथ में उसका पति भी है

हमने एल्बम के और फोटो देखने के लिए एल्बम को और खोलना चाहा

तभी बारिश बंद हो गई

बुजुर्ग ने कहा बारिश बंद हो गई अगर तुम घर जाना चाहते हो ,,तो ,,जा सकते हो,,

मगर मैं उस एल्बम को पूरी देखना चाहता था

बुजुर्ग मेरी भावनाओं को समझ गया और कहां ठीक है

हमने फिर एल्बम को खोला उसमें वह लड़की धीरे-धीरे बूढ़ी होती जा रही थी और उसके बच्चे जवान होते जा रहे थे दो बेटे और दो बेटियां हमें अगली फोटो पर दिखाई दिए

हमने फिर एल्बम को पलटाया तो वहां पर वह बुढ़िया अपने पति के साथ खड़ी हुई थी मगर उनके साथ कोई बच्चे नहीं थे

हमने फिर एल्बम को पलटाया तो उसमें वह बुढ़िया अकेली ही थी

बुजुर्ग ने बताया हमें ऐसा लगता है जैसे इस बुढ़िया ने अपने बच्चों की शादी कर दी है और अब यह अकेली रह गई है और शायद इसका पति भी नहीं रहा

तब मैंने बुजुर्ग से कहा एक बात है जब हमने शुरू में एल्बम देखी थी तो उनकी शादी एक कच्चे से झोपड़े की दीवारों के पास दिखाई दे रही थी

जब बच्चे थोड़े से बड़े हुए तो उनका झोपड़ा एक मकान में तब्दील हो गया

और जब बच्चे बिल्कुल पूरी तरह जवान हो गए तो उनका मकान काफी बड़ा था

फिर अचानक बुढ़िया के पति की मौत हो जाती है और फिर बाद में इस बुढ़िया की मौत हो जाती है

मैंने बुजुर्ग से बोला क्या मैं एल्बम की सारी फोटो बाहर निकाल सकता हूं

बुजुर्ग ने सहमति दे दी और मैंने एल्बम की सारी फोटो बाहर निकाल कर अलग-अलग रख दी उन फोटो को निकालते वक्त एक लेटर भी साथ में निकल पड़ा

जब मैंने वह लेटर खोलकर बुजुर्ग को सुनाया तो उसमें लिखा हुआ था

मेरा नाम बसंती देवी है आज मैं 80 वर्ष की हो चुकी हूं बड़े दुख के साथ मुझे आज लिखना पड़ रहा है मेरे दोनों बेटे जतिन और ललित अपनी मर्जी से शादी करके घर में अजनबी लड़कियों को पत्नी बनाकर ले आए हैं 

मैं इस शादी के खिलाफ हूं

मैंने अपनी दोनों बेटियों की शादी अपनी मर्जी से झांसी के गांव में कर दी थी मेरे दोनों बेटों ने अपनी ही बहनों को घर पर आने पर पाबंदी लगा दी इस कारण मेरी बेटियां मेरे घर पर नहीं आती

मेरे पति के सारे कारोबार हमारे बेटों ने ले लिए हमारे पास अब कुछ नहीं बचा

बहुत सालों से मेरे बेटे मकान बेचने के चक्कर में है नशा और सट्टेबाजी में दिन-रात पैसा उड़ाते हैं उनकी पत्नियां भी उनका साथ देती है

बच्चे बार-बार मकान बेचने की ज़िद्द कर रहे हैं लेकिन मैं मकान बेचकर बटवारा नहीं करना चाहती हूं 2 दिन से मैंने खाना नहीं खाया

मुझे डर है कहीं इस मकान में मेरी कब्र ना बन जाए

मुझे जबरदस्ती तरह-तरह की दवाइयां लाकर खिलाई जा रही है

मुझे पूरा यकीन है मेरे बच्चे मुझे मार डालेंगे अगर यह खत किसी को भी मिले तो मेरे बच्चों को सजा जरूर दिलवाना

मैंने अपने कमरे के भीतर एक सीसी कैमरा चुपके से लगा दिया है शायद आज रात को कुछ मेरे साथ गलत होने वाला है

यह खत में अपनी एल्बम के फोटो के बीच में रख रही हूं ताकि यह खत मेरे बच्चों के हाथ न लग सके

तब बुजुर्ग ने कहा आगे पढ़ो क्या लिखा है ,,

तब मैंने कहा आगे तो कुछ नहीं लिखा

तब मैंने बुजुर्ग से कहा यह बुढ़िया तो मर चुकी है लेकिन हमें इसकी मदद करनी चाहिए

तब बुजुर्ग ने कहा मरे हुए इंसान की तुम कैसे मदद करोगे

मुझे इस बुढ़िया के घर का पता लगाना होगा वैसे इस शमशान घाट में आसपास के मोहल्ले वाले ही तो आते होंगे

बुजुर्ग ने मेरी हां में हां मिलाई यह तो बात सही है मगर आसपास तो बहुत सारे मोहल्ले हैं एक-एक घर की तलाशी कैसे लोगे

तब मैंने कहा एल्बम को दोबारा देखता हूं यह फोटो किस मकान से ली गई है शायद उस मकान का एड्रेस मिल जाए

आखिरकार हमें एक फोटो मिल ही गई मकान के बाहर का पूरा हिस्सा फोटो में साफ दिखाई दे रहा था उसमें एक नेम प्लेट भी हमें दिखाई दी

     नाम —  बसंती देवी बर्मा

     पता —  ए ब्लॉक 545

                 गली नंबर 7 जौहरीपुर

तो मैंने बुजुर्ग से कहा यह जौहरीपुर कितनी दूर है यहां से

बुजुर्ग ने कहा लगभग आधा किलोमीटर दूर है मगर तुम इस लफड़े में ना पड़ो तो अच्छा ही है

तब मैंने कहा यह बुजुर्ग माता अपनी मौत नहीं मेरी है उसे शायद मारा गया होगा

बारिश बंद हो चुकी थी मैं शमशान घाट से बाहर निकला कुछ दूरी पर पुलिस स्टेशन दिखाई दिया मैंने अपनी बात रखी और बसंती देवी बर्मा के घर की तलाशी लेने के लिए जोर दिया

पहले तो पुलिस वाले आनाकानी करने लगे लेकिन फिर कहने लगे चलो एक नेक काम किया जाए देखते हैं तुम्हारी बातों में कितना दम है

थोड़ी देर में हम बसंती देवी वर्मा के घर के बाहर खड़े थे

पुलिस ने दरवाजा खटखटाया भीतर से दरवाजा खुल गया

पुलिस अधिकारी ने कहा बसंती देवी का घर यही है

अंदर से एक महिला ने जवाब दिया हां वह हमारी सासू मां थी कुछ दिन पहले उनकी मौत हो गई थी

पुलिस ने कहा हमें उनके कमरे की तलाशी लेनी है

पुलिस के साथ ,,मै,, भी था हमने जब बसंती देवी वर्मा के घर की तलाशी ली तो हमें वहां पर एक छोटा सा सीसीटीवी कैमरा दिखाई दिया

अलमारी के ऊपर एक खिलौना रखा हुआ था उसकी आंख को निकाल कर कैमरा लगाया गया था

उस घर के लोगों के चेहरे पर पसीना आ गया

पुलिस ने वह सीसी कैमरा अपने कब्जे में ले लिया

थाने आकर कैमरे की वीडियो देखने के लिए कंप्यूटर ऑन किया

उसमें साफ दिखाई दे रहा था एक 80 बरस की बुढ़िया अपने बैड पर लेटी हुई थी आंखें उसकी बंद थी रात के 2:30 बज चुके थे

दोनों बहूं और बेटे  मिलकर उस बुढ़िया का गला दबा रहे थे

जतिन ने दोनों टांगे पकड़ रखी थी ललित ने अपनी मां के दोनों हाथों को कस के पकड़ रखा था

उसकी दोनों बहुएं शायद कह रही थी हमेशा कहती थी जब तक मैं जिंदा हूं मकान नहीं बिकने दूंगी अब तेरी मौत के बाद ही हम मकान बेचेंगे और अपना अपना बंटवारा ले लेंगे

इसी के साथ ही दोनों बहू ने मिलकर बुढ़िया के चेहरे पर तकिया

और जब तक तकिया नहीं हटाया जब तक बुढ़िया का दम न निकल गया

पुलिस ने फौरन बसंती देवी वर्मा की मौत का वीडियो मिलते ही उन चारों को गिरफ्तार कर लिया

पुलिस अधिकारी ने मुझे देखा और कहा तुमने एक समझदारी और अक्लमंदी से काम लिया वरना यह कातिल इस समाज में खुलेआम घूमते रहते हैं

तब मैंने कहा मेरा जिक्र किसी से ना कहना

पुलिस अधिकारी मुस्कुराया और कहने लगा ठीक है तुम जा सकते हो तुम्हारा काम हमने कर दिया

अब तक सूरज की पहली किरण निकल चुकी थी सड़कों पर उजाला हो चुका था मैं धन्यवाद देने के लिए बुजुर्ग के पास शमशान घाट की तरफ चल पड़ा

शमशान घाट का दरवाजा खुला हुआ था बुजुर्ग दरवाजे पर ही खड़ा मिल गया मैंने उसे सारी कहानी बता दी और बताया उस बुढ़िया के कातिलों को जेल भिजवा कर आ रहा हूं

उस बुजुर्ग ने मुस्कुराकर मुझसे कहा

कातिल कितना भी चालाक क्यों ना हो कुदरत के सामने किसी की नहीं चलती सच सामने आ ही जाता है ,,

लेखक नेकराम सिक्योरिटी गार्ड

मुखर्जी नगर दिल्ली से

स्वरचित रचना

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