रिटायरमेंट…. उम्र का या मन का.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  विनीत आज रिटायर हो रहे… सुबह सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गए …. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा… खुशी मनाये या दुख… ऑफिस के संगी -साथी छूट रहे… वो ग्यारह और चार बजे की चाय के संग कुछ फिकरे बाजी …. अब कहाँ ये सब…. भारी मन से नाश्ता कर…. ऑफिस रवाना हो गए…

ऑफिस अपने रोज के परिवेश में था .. फाइल्स के आदान- प्रदान चालू हैं … बीच बीच में बड़े बाबू और कुछ अन्य लोगों की आवाज सुनाई दे रही…. अपने केबिन में बैठ विनीत की आँखे भर आई… बस आज और बैठना हैं… कल से किसी और की जागीर हो जाएगी…. एक हसरत भरी  निगाह उन्होने चारों तरफ डाली… पंखे की तेज आवाज आज उन्हे परेशान नहीं कर रही …. कोई चीज जब हमसे छूटने लगती हैं

तब उसकी कीमत ज्यादा लगने लगती… दरवाजा खोल, हॉल के सारे कर्मचारी  अंदर आ गए बड़ा  सा कई गुलाबों का बुके ले…. हैप्पी  रिटायरमेंट…. के नारे के साथ…. किसी ने पूछा कैसा लग रहा… विनीत जी बोले कुछ खास नहीं… पर अंदर से कुछ उदासी आ गई…..शाम को फेयरवेल था अपने केबिन से हॉल में जाते समय क़दमों में वो तेजी नहीं थी…. गिफ्ट, बुके,

भाषण की समाप्ति के बाद वो अपना सामान लेने एक बार फिर केबिन में गए… निकलते समय एक आँसू चुपके से टपक आया … नजर बचा उसे पोंछ  लिए और चेहरे पर मुस्कुराहट सजा लिया…. ऑफिस का स्टाफ उन्हे छोड़ने आया.. गाड़ी तक… केबिन की चाभी गार्ड को पकड़ा वो गाड़ी में बैठ सबसे  हँसी खुशी विदा लिए….

अब जीवन बदल गया…. अब वो कमाऊ नहीं रहे, हाँलाकि पेंशन जोरदार हैं पर अब वो कामकाजी श्रेणी में नहीं आएंगे….कोई बात नहीं अब कल से कोई भागदौड़ नहीं हैं आराम से उठेंगे….. ऐसे ही अच्छे -बुरे विचारों से जूझते वो घर पहुँच गए….

घर में घुसते ही बच्चों ने हैप्पी रिटारमेंट कह बधाई दी…. विनीत जी सोच रहे… ये कैसे विड़बना… आदमी अंदर से रो रहा और ऊपर से हँस रहा…और सबकी बधाई ले रहा… अरे बधाई देने से पहले रिटायर आदमी से पूछो उसके दिल पर क्या बीत रही …… . घर को बेटी – बहू ने मिल कर सजा रखा था…. खाना -पीना समाप्त कर विनीत जी अपने कमरे में गए ….

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बेटी और बेटा उनके उतरे चेहरे से परेशान थे…. सो वो दोनों भी माँ के साथ उनके कमरे में गए .. कविता जी उनके पत्नी ने पूछा आप कुछ उदास हैं… विनीत जी बोले हाँ एक दिन में जीवन बदल गया… अब मै किसी काम का नहीं, अब कोई इज़्ज़त नहीं देगा…. मै बूढा हो गया…. सीनियर सिटीजन…..

पापा…. जीवन में बदलाव आया हैं… उसकी जरूरत भी थी.., . और बूढा या बच्चा होना उम्र से नहीं, मन से होता हैं… आप ने इतने साल नौकरी की… सारे दायित्व पूरे किये….. अब समय आया हैं की आप अपनी जिंदगी को एन्जॉय करिये…. और पापा इज़्ज़त सिर्फ पैसे से नहीं होती संस्कारों से होती हैं ये आपने ही बताया था….

आपने जो इज़्ज़त कमाई वो बहुत कम लोगों को मिलती हैं… चिल पापा…. बेटे ने समझाया तो विनीत जी को कुछ राहत मिली… तभी बहू रानी बोली उम्र तो नम्बर हैं पापा…. दिल तो बच्चा होता हैं जी….. सब खिलखिला पड़े…. विनीत जी के साथ…… एक मधुर मुस्कान के साथ विनीत जी ने कविता जी को देखा…..

जीवन के बहुत सारे पड़ाव में ये भी आता हैं रिटारमेंट….. पुरुष जो सदा व्यस्त रहता हैं एकाएक खाली पन महसूस करने लगता….और अगर वे इसे सकारात्मक नहीं लेते तो बहुत सी कुंठाओं का शिकार हो जाते,…  जबकि औरते कभी रिटायर नहीं होती अगर वो कामकाजी हैं तो ऑफिस से भले रिटायर हो… घर के कामों से नहीं होती हैं….

रिटायरमेन्ट के सकारात्मक पहलू देखिये…. कितने बेरोजगार हैं… आपकी खाली जगह किसी को नौकरी मिलेगी…. आप तो अपने दायित्व पूरे कर चुके अब किसी और को ये अवसर मिलना चाहिए…. आप अपने शौक को जिए .. अपने लिए जीये….. बहुत कुछ हैं इसके बाद भी करने को… बस जरूरत हैं नज़रिये की….

.. —–संगीता त्रिपाठी

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