वीणु अपनी मां से गाल फुलाकर बैठी थी,क्योंकि आज पिताजी उससे नाराज हो गए थे। छुट्टी का दिन था।पिताजी जब काम पर गए
तो वह सो रही थी। लेट उठी। उठकर फ्रेश हुई।नाश्ता किया और लैपटॉप लेकर बैठ गई। सुबह से लैपटॉप पर वीडियो देखना, दोस्तों से बात करना और गेम खेलना चल रहा था। मां ने कई बार
लैपटॉप बंद करने को कहा पर वह सुन ही नहीं रही थी। जैसे ही शाम को पिताजी आए तो मां ने पिता जी से शिकायत कर दी।
इस बात पर पिता जी उस से नाराज हुए। इस नाराजगी से वीणु को बहुत बुरा लगा। उसे लगा कि पिताजी मां की वजह से उससे नाराज हुए हैं। इसलिए उसने इस बात के लिए मां से गाल फुला लिए।
वह अपने माता-पिता की लाडली है। मां कुछ कह देती है तो चिंता नहीं करती।पर पिता की छोटी सी बात भी उसे आहत कर देती है ।
बड़े-बड़े आंसू बहाने लग जाती है और गुस्सा हमेशा ही मां पर निकालती है। गाल फुला कर बैठ जाती है। कुछ कहो तो कहती है,
आपसे कभी बात नहीं करूंगी। फिर कुछ समय के बाद नॉर्मल हो जाती है और उछलना- कूदना शुरू कर देती है।
अपने नाम को सार्थक करती पूरे घर में उछलती,कूदती,खेलती, रूठती, मनाती, डांटती,शरारत करती और चहकती हुई खुशी का संगीत बजाती रहती है।
डॉ हरदीप कौर (दीप)