एक बार गौतम बुध अपने शिष्यों के साथ भ्रमण कर रहे थे तभी रास्ते में जाते हुए वह अपने शिष्यों को संगति के गुण का मतलब समझा रहे थे. वह अपने शिष्यों से कह रहे थे कि तुम जैसी संगति रखोगे वैसे ही तुम भी बनते जाओगे।
उनकी एक शिष्य ने महात्मा गौतम बुद्ध से पूछा कि महात्मा आप उदाहरण देकर हमें इस बात को समझाएं। तभी महात्मा गौतम बुध को फूलों से भरा एक गुलाब का पौधा दिखा उन्होंने अपने शिष्य को उस पौधे के नीचे से थोड़ी सी मिट्टी लेकर आने को कहा।
जब शिष्य मिट्टी लेकर आ गया तो महात्मा गौतम बुद्ध ने सारे शिष्यों को उस मिट्टी को सूंघने को कहा। सभी शिष्य ने एक साथ जवाब दिया। इस मिट्टी से तो गुलाब की खुशबू आ रही है। महात्मा बुद्ध ने अपने शिष्यों से कहा कि जानते हो इस मिट्टी में गुलाब के खुशबू कैसे आई दरअसल बात यह है कि इस मिट्टी पर गुलाब के फूल की पंखुड़ी टूट टूट कर गिरते रहते हैं जिससे मिट्टी में भी गुलाब की महक आने लगी है जो कि यह असर संगत का ही है और जिस प्रकार गुलाब की पंखुड़ियों की संगति के कारण इस मिट्टी में से गुलाब की महक आने लगी उसी प्रकार जो व्यक्ति जैसी संगत में रहता है उसमें वैसे ही गुण-दोष आ जाते हैं।