मधु की शादी को अभी कुछ ही दिन हुए थे उसने देखा उसकी ननद तनु चलने मैं असमर्थ थी लेकिन सहारा ले कर थोड़ी दूर चल लेती थी ।पर फिर भी घर के लोगों ने उसे दूसरों पर निर्भर बना दिया उनको लगता कहीं गिर न जाए या उसे ऐसा नहीं लगे की कोई उसका ध्यान नहीं रख रहा ।
धीरे धीरे मधु ने घर की जिम्मेदारी सम्हाल ली समय मिलने पर तनु के साथ मिलकर बातें करती बातों बातों मैं उसने जाना की तनु लोगों से कम मिलती है वो घूमने जाने मै भी कतराती क्योंकि हर
समय उसे लाचारी का अहसास कराया जाता कॉलेज की पढ़ाई भी उसने घर से ही करी थी तब किसी ने कोशिश नही करी कि उसको दुनियां से सामना कराया जाए बल्कि घर मैं भी कोई आता तो ताने दे जाता जवान लड़की घर मैं रहे तो माता पिता को कितना बोझ लगता है ।देख लो कोई इसके जैसा मिल जाए ।
मां के चेहरे पर लाचारी के भाव देख तनु को भी दुख होता इसलिए उसने किसी के सामने आना ही छोड़ दिया ऐसा नहीं की रिश्ते की बात नही करी पर ऐसा कोई नहीं मिल रहा था जो दिल से अपना ले पैसों के लालच मैं एक दो तैयार भी हो गए तो तनु के पिताजी ने मना कर दिया की शादी करके छोड़ दिया
या जिंदगी भर ताने मारे ऐसे दुखी रहने से तो अपने घर मैं ही भली । तनु अधिकतर अपने कमरे मैं ही रहती थी मधु के आने से उसे भी अच्छा लगने लगा मधु ने भी सोच लिया की कुछ करना पड़ेगा ।
दूसरे दिन मधु को तनु के साथ रसोई मैं ले आई उसने उसके लिए कुर्सी और टेबल लगवा दी पहले तो तनु मना कर रही फिर मधु की जिद्द से मान गई
मधु बोली तनु तुम यहां बैठ कर ये सब्जी काट दो जब तक में बाकी की तैयारी कर लेती हूं और साथ मैं बातें भी हो जाएंगी ।
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तभी पानी लेने निखिल (मधु का पति ) रसोई मैं आया तो तनु को देख बोला इस से काम क्यों करा रही हो तुम्हें दिक्कत है तो एक बाई और रख लो
मधु बोली क्यूं तनु के काम करने मै क्या दिक्कत है वो भी हमारी तरह ही है और उन्हें भी काम करना आना चाहिए ।तभी सास भी आ गई बोली बहू मुझे बोल देती कुछ काम है तुम्हें शर्म नहीं आती बेचारी से काम करवाते हुए ।
मधु बोली मांजी माफ करना पर जब घर के लोग ही उसे बेचारी ,लाचार कहेंगे तो बाहर वालों से क्या शिकायत करना आप लोग उसे कुछ करने ही नहीं देते तो उसमें आत्मविश्वास कहां से आएगा
सुनकर वो चुप हो गई बहू कह तो सही रही है उस दिन से मधु ,तनु से काम करवाने लगी कभी चाय की कहती कभी कुछ जिस से तनु के अंदर एक आत्मविश्वास आ रहा था मधु उसे अपने संग बाजार भी ले कर जाने लगी जहां कुछ लोग तनु जैसे भी मिलते जो पूरे विश्वास से सामना कर रहे थे।
आज घर मैं ताइजी आई हुई थी मधु चाय नाश्ता ले आई और तनु को भी साथ ले आई की मिल लेगी ताईजी से ।उसे देख ताईजी बोली भगवान ने सब सुख दिया पर एक दुख दे दिया बेचारी की भी शादी हो जाती तो तनु सुनकर उदास हो गई और वहां से जाने लगी ।
तब मधु बोली माफ करना पर लड़की की शादी होना ही उसे भाग्यशाली बनाता है क्या उसके बगैर जिंदगी बरवाद तो नहीं होती कल को शादी करके कोई छोड़ दे तब कौन जिम्मेदार होगा उसके दुख का और हम इस बात को ले कर दुखी नहीं है तनु कोई बोझ नहीं है
ताइजी का मुंह देखने लायक था और तनु खुश थी आज उसकी तरफ से कोई बोला फिर वो भी बही बैठी रही आंखों से अपनी मां से कह रही की काश आपने पहले ही ये सब कहा होता। मां की नजर भी झुक गई।
रात को मधु की सास ,अपने पति से बोली हम बहुत भाग्यशाली है जो हमें समझदार बहू मिली अब मुझे तनु की चिंता नहीं है और उन्होंने पूरा किस्सा सुनाया और कहा अब तनु भी खुश रहने लगी है जिसे सुनकर उन्हें भी बहुत खुशी हुई ।
धीरे धीरे मधु ने पास के स्कूल मैं बात करके तनु की नौकरी लगवा दी उसी स्कूल मैं पढ़ाने वाले पवन को तनु की सादगी पसंद आ गई दोनों के विचार मिलने लगे पवन शादी करना चाहता था तनु ने कहा पहले अपने घरवालों से बात कर लो कहीं मेरे बारे मैं जानकर मना नहीं कर दे पवन बोला तुम मेरी पसंद हो मैं घरवालों को मना लूंगा और कुछ दिन मैं वो लोग रिश्ता ले कर
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आए तो तनु की मां को तो यकीन नहीं हो रहा उन्हें दुनियां की सबसे बड़ी खुशी मिल गई थी। उनके जाने के बाद वो मधु के पास आई और बोल बहू हम तुम्हारे हमेशा कर्जदार रहेंगे तुमने हमें और बेटी को नया जीवन दिया है ।
मधु बोली मांजी मैने कुछ नही किया बस मैने तनु को लाचार नहीं इंसान समझा अगर सब ऐसा सोच ले तो हर इंसान खुलकर जी पाए ।चलो अब शादी की तैयारी करेंगे सबको बुलाना भी तो है जिन्हे ज्यादा चिंता थी तनु की शादी की ।
मधु की बात सुनकर सब हंस पड़े ।।
स्वरचित
अंजना ठाकुर
हम बहुत भाग्यशाली है जो हमें समझदार बहू मिली ।।