लोग क्या कहेंगे। – कामनी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पूनम और राज की ज़िन्दगी बहुत अच्छे से चल रही थी। गाँव में संयुक्त परिवार था, छोटी मोटी नोंक झोंक भी कम ही देखने को मिलती। दोभाई एक साथ बहुत खुशी से रहते थे। एक बूढ़ी माँ भी थी, बड़े भाई की शादी जल्दी हो गई थी, राज छोटा था पर उनसे उम्र में भी काफी छोटा था।

बड़े भाई के दो बेटे थे।  घर का माहौल सारा दिन खुशनुमा रहता , कोई आ रहा होता कोई जा रहा होता। आजकल के माहौल से बिलकुल अलग। सभी एक दूसरे का मुश्किल में साथ भी देते और ध्यान भी रखते। दूर तक गाँव में उनके घर के चर्चे थे।  पूनम और राज को अभी कोई संतान नहीं थी,

शादी को दो साल हो रहे थे। राज का काम कुछ अच्छा नहीं चल रहा था, बड़े भाई ने सलाह दी की क्यों न शहर जाकर कोई और काम ढूंढने की कोशिश कर। शायद बात बन जाए। माँ ने भी कोई ऐतराज़ नहीं किया। पूनम घर पर ही जेठ, जेठानी और सासु माँ के साथ रह जाती है। फोन पर पूनम और

राज की बात हो जाती थी। राज ने पूनम से कहा था कि जैसे ही कोई अच्छा काम और रहने का ठिकाना मिलता है, वो पूनम को भी शहर बुला लेगा। खैर दिन बीतते जाते हैं, भाई और माँ राज से फिक्र न करने को कहते हैं। बड़े भाई राज को पैसे भी आफर करते हैं कि अगर किसी काम के लिए चाहिए तो ले लेना।

राज भी बहुत कोशिश के बाद किसी के साथ काम शुरू करने के लिए हामी भर देता है। किस्मत राज का साथ देती है और उसका और पाटर्नर का काम चल पड़ता है। आखिर रहने का ठिकाना भी मिल जाने पर पूनम को भी शहर बुला लेता है। माँ से भी कहता है पर वो अपना पुश्तैनी घर छोड़कर आना नहीं चाहती थी। पर राज से कहती है वो जब मन करेगा, राज और पूनम से मिलने का तो आ जाया करेगी। 

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घर में सब बहुत खुश थे। जिसका मन होता राज से मिलने शहर आ जाता और जितने दिन मन होता उतना रहते भी। पूनम भी सबका जी भर सत्कार करती। किसी को पूनम और राज से कोई शिकायत नहीं थी। बस सब चाहते थे कि उनके घर भी अब कोई संतान हो जाए। पर हमेशा हम जो चाहें वही नहीं होता।

न ही ज़िन्दगी कोई मूवी होती है जिसके किरदार या सीन हम मर्ज़ी से edit करके उनकी हैप्पी एंडिंग कर दे। ज़िन्दगी तो ज़िन्दगी है ये अपनी ही तरह से चलती है। जल्दी ही पूनम गर्भवती हो जाती है, पर राज और पूनम इस बात को किसी को बताते नहीं। वो जल्दी ही माँ से मिलने गाँव जाने वाले थे, वो दोनों सलाह करते हैं

कि हम घर जाकर सामने से सबको खुशखबरी देंगे। खैर, दोनों सामान पैक करते हैं और गाँव की तरफ निकल पड़ते हैं। रास्ते में गाड़ी रुकती है और पूनम को प्यास लगती है, राज उसके लिए कोल्ड ड्रिंक लेने उतरता है। पर ये क्या सड़क क्रास करते वक्त एक गाड़ी तेजी से उसको टक्कर मार कर निकल जाती है।

पूनम फटी आंखों से सब मंजर देखती रह जाती है। सब लोग इकट्ठे हो जाते हैं, शोर मच जाता है। पूनम जल्दी से गाड़ी से उतरकर राज की तरफ जाती है, हिम्मत नहीं होती उसकी खून से लथपथ उसके शरीर को देखने की। वो बेहोश हो जाती है। जब होश‌ आता है तो, खुद को अस्पताल में पाती है। राज कहाँ है??

राज उसे कहीं दिखाई नहीं देता। एक आदमी उसके पास खड़ा होता है, वो बताता है, आपके पति का भयानक एक्सीडेंट हो गया था उनको अस्पताल लाया गया , पर वो बच नहीं सके। आपके घरवालों को खबर दे दी गई है। आपके होश में आने का इंतज़ार हो रहा था। पूनम की हिम्मत ही नहीं हो रही थी।

वो खुद को इस सब के लिए दोषी मानने लगी थी। पूनम का तो सारा संसार एक ही झटके में उझड़  गया था। किसी भले आदमी ने सब देखकर बस से इनका बैग भी एंबुलेंस में रखा दिया था। पूनम का एक ही घंटे में सब कुछ खत्म हो गया था। पूनम फूट फूट कर रो रही थी। राज के घरवालों को खबर मिल जाती है।

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सभी भाग कर कुछ ही देर में आ जाते हैं। रो रो कर सबका बुरा हाल होता है। माँ कहती है मैंने तो खुद ही बेटे को अपने से दूर कर दिया। मुझे क्या पता था कि वो इतनी दूर चला जाएगा कि कभी वापसी नहीं होगी। राज का अंतिम संस्कार कर दिया जाता है और लोगों का अफसोस करने आने का सिलसिला शुरू हो जाता है।

पूनम को उल्टियां शुरू होती हैं। घरवालों को भी पूनम से पता चलता है कि वो गर्भवती है। सभी की आंखों में आंसू भी होते हैं और…….तेरहवीं के दिन, घरवाले ध्यान देते हैं कि सभी आपस में खुसर फुसर कर रहे होते हैं। पूनम को लेकर तरह तरह की बातें होने लगती हैं। पूनम के मायके वाले भी उनमें शामिल हो जाते हैं।

आखिर अगले दिन घर आकर पूनम के मायके वाले साफ कह देते हैं कि देखो, हमारी बेटी गर्भवती है। कल को कोई गलत बात करे हम बर्दाश्त नहीं करेंगे। गाँव में लोग बहुत बातें बना रहे हैं। आपके घर में इतने लोग हैं, हमारी बेटी सबकी सेवा करती रहेगी। हम इसे घर ले जाना चाहते हैं। ये बात सुनते ही पूनम झट से खड़ी हो जाती है

और कहती है माँ, पापा आप यहाँ से चले जाओ। लोग क्या कहेंगे मैं नहीं जानती , पर मेरे साथ मेरा पूरा परिवार खड़ा है। मेरे आत्मसम्मान की रक्षा आप से ज्यादा ये करते हैं।  भाई, भाभी, और भतीजे भी खड़े हो जाते हैं पूनम के पीछे । हमारे आत्मसम्मान को ठेस मत पहुंचाइए, आप पूनम के माँ, पापा हैं… हम आपकी इज्ज़त करते हैं।

पर हम पूनम के हर फैसले के साथ खड़े हैं। हमने भी राज को खोया है, जैसे पूनम ने। इसलिए आप चले जाईये।वक़्त बीतता जाता है, पूनम शान के साथ ससुराल में रहती है। सभी उसको कोई कमी नहीं होने देते। पूनम एक बेटे को जन्म देती है। कुछ समय बाद ससुराल में सब पूछते हैं कि पूनम अगर दूसरा विवाह करना चाहे तो

हमें कोई ऐतराज़ नहीं है। हम बेटे को पाल लेंगे, अगर वो बेटे को साथ ले जाना चाहे तो भी हम उसके फैसले के साथ हैं। बस हमसे मिलती रहे। पर पूनम आंसुओं से भीगी आँखों से सबकी तरफ देख कर कहती है नहीं मुझे राज यहाँ ब्याह कर लाए थे मैं वहीं रहूंगी। दूसरी शादी नहीं करनी मुझे। आज के बाद कोई इस बारें में बात नहीं करेगा।

सब अपने काम में लग जाते हैं। सभी घरवाले उसका जी जान से ध्यान रखते हैं। मायके वाले भी फिर पूनम से मिलने आया करते हैं और ससुराल वालों के आगे हाथ जोड़कर माफी मांगते हैं। हम डर गए थे कि लोग क्या कहेंगे। पर आपने पूनम को पलकों पे बैठाकर रखा है। इसके आत्मसम्मान की हमसे ज्यादा आपको चिंता है। मायके वाले भी संतुष्ट होकर घर चले जाते हैं कि हमारी पूनम ठीक है। 

कामनी गुप्ता***

जम्मू!

आत्मसम्मान। 

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