मां राहुल दस दिनों के लिए काम के सिलसिले मै बाहर जा रहे है तो मैं रहने के लिए आ रही हूं मीनू की आवाज मैं मायके जाने की अलग ही खुशी थी
मां भी ये सुनकर बहुत खुश हुई पर अगले पल ही कुछ सोचने लगी की मीनू अभी एक महीने पहले ही रहकर गई है ।कहीं बहू (प्रीति)को ननद का आना बोझ न लगने लगे कल को रिश्ते खराब हो जाए।
क्या सोच रही हो मां तुम्हें अच्छा नहीं लग रहा क्या..?
अरे नहीं- नहीं.. बेटी का आना किसे बुरा लगता है आजा तू।
मंजू जी के एक बेटी और एक बेटा है बेटी की शादी एक ही शहर मैं दो साल पहले हुई थी दामाद जी को काम के सिलसिले मै बाहर जाना पड़ता है यहां बेटी और दामाद रहते है तो बेटी हमेशा उतने दिन मायके आ जाती ।सब लोग खुश हो जाते मीनू के आने से घर मैं भी चहल पहल हो जाती और मंजू जी को भी साथ मिल जाता क्योंकि पति और बेटा दुकान निकल जाते ।
अभी दो महीने पहले बेटे की शादी प्रीति से हुई थी प्रीति काफी मिलनसार और समझदार थी उसको भी मीनू के आने से खुशी ही होती लेकिन आजकल की बाते सुनकर मंजू जी को लगता को यूं मीनू का बार बार मायके आना कहीं रिश्ते मैं दूरी नही ला दे ।
मंजू जी जब बेटी से बात कर रही थी तो प्रीति कमरे मैं ही थी सास को विचारमग्न देख उसे लगा की इस बार मम्मी खुश क्यों नहीं है बेटी के आने पर ।
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उसने पूछा क्या हुआ मम्मी आप परेशान लग रही हो कब आ रही है दीदी ।
वो शाम तक आ जायेगी कहते हुए मंजू जी बोली बहू तुम्हें मेरी बेटी के आने से दिक्कत तो नहीं है।
प्रीति बोली मुझे क्यों दिक्कत होगी मांजी ये घर दीदी का भी है वो जब चाहे तब आ जाए और फिर दीदी तो खुद ही समझदार है वो आकर हर काम की उम्मीद मुझसे न करके खुद ही आगे से हाथ बंटाती है और ना कभी कोई बात ऐसे कहकर लड़वाने की कोशिश करतीं मांजी घर मैं अपनों के साथ से खुशी ही मिलती है बस वो आपकी कद्र करे।
मैं भी अपने मायके जाती हूं और मायका तो लड़कियों के लिए सुकून का जरिया है जहां वो अपनी जिंदगी जीती है आप भी बेफिक्र हो जाओ और बेटी का स्वागत वैसे ही करो जैसे पहले करती थी मैं भी तैयारी कर लेती हूं ।
मंजू जी ने प्रीति को हजारों आशीर्वाद दिए और बोली अब मैं निश्चिंत हूं की मेरी बेटी का मायका मेरे जाने के बाद भी रहेगा ।
शाम को मंजू जी ने मीनू को सारी बात बताई मीनू भी खुश थी वो प्रीति को थैंक्यू बोलने गई तो प्रीति बोली इसमें थैंक्यू वाली कोई बात नहीं ये घर मेरा भी है और तुम्हारा भी बस हम कोशिश करे इसमें पनपते रिश्तों को प्यार और अपनेपन से और बढ़ाए न की जलन और बैर से मुरझाने दे ।
मीनू बोली सही कह रही हो भाभी चलो खाने की तैयारी कर ले मुझे बहुत भूख लगी है ।मीनू को बाबुल की गलियों का रास्ता हमेशा के लिए खुला दिख रहा था ।
दोस्तों अक्सर रिश्ते गलतफहमी आपस मै चिढ़ और अहम के कारण ही टूटते है मायका हो या ससुराल रिश्ते बनाए रखने के लिए एक दूसरे को समझना और अपनापन देना जरूरी है ।आपकी क्या राय है मेरे विचार के बारे मैं ।कृपया मार्गदर्शन दें
स्वरचित
अंजना ठाकुर
बाबुल