समझदारी का उम्र से नाता नहीं – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अरे अभी तो एन० डी० ए० में सिलेक्शन हुआ ही है और शादी! पार्वती! इस लड़के का दिमाग़ तो ठीक है….. पता भी है शादी का मतलब इसको ? बारहवीं पास लड़की है …

पापा … मुझे पता है पर मजबूरी है । मैं बस अपने रिज़ल्ट का इंतज़ार कर रहा था….. प्लीज़ समझिए…. कोमल के माता-पिता नहीं हैं…. अपनी बुआ के घर रहकर बारहवीं तक पढ़ाई की… अब दो साल से घर पर बैठी है….. 

तुझे पी० जी० में तैयारी करने के लिए भेजा था…. आदित्य, वो लड़की तेरे काबिल नहीं है…. अरे आज तू उससे शादी करने पर अड़ा है पर जिस दिन ट्रेनिंग पूरी होते ही, तेरे नाम से पहले एक ओहदा जुड़ जाएगा….

नहीं मम्मी, ऐसा कभी नहीं होगा…. मुझ पर विश्वास कीजिए ।

आदित्य को उसके छोटे से क़स्बे में रहने वाले माता-पिता ने दिल्ली इसलिए भेजा ताकि वहाँ रहकर  कोचिंग लेकर, वह नौकरी की तैयारी कर सके । पी० जी० में रहते हुए ही आदित्य की नज़र कोमल पर पड़ी जो चुपचाप आँखें नीची किए अपने काम में लगी रहती थी । वहाँ एक लड़के को छोड़कर सब पढ़ने वाले ऐसे लड़के थे जो अपने लक्ष्य की प्राप्ति के लिए घर से दूर निकले थे । एक लड़का ऐसा था जिसका पढ़ाई पर ध्यान नहीं था , वह आते- जाते कोमल पर छींटाकशी करने से भी नहीं घबराता था ।

आदित्य यार , इस लड़की के साथ सेटिंग करवा दे…. अच्छा टाइम पास हो जाएगा….

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सौरभ, कैसी बातें करते हो …. अगर पी० जी० अंकल या आँटी ने सुन लिया या कोमल ने शिकायत कर दी तो , निकाल दिए जाओगे । पढ़ाई पर ध्यान दो और मुझे भी देने दो …..

आया बड़ा पढ़ने वाला ….. ये करेगी शिकायत । अरे अनाथ है ये ….. आँटी के सगे भाई की बेटी नहीं….. किसी रिश्तेदार की … इन लोगों ने तो इसे यहाँ इसलिए रखा है ताकि सहायता के नाम पर बिना सेलरी की नौकरानी मिल जाए …. मैंने सब पता कर लिया है । 

ये पढ़ती नहीं क्या ? 

गोली मार इसकी पढ़ाई को ….. मुझे क्या लेना-देना … मेरी बात पर ध्यान दे …बनाऊँ कोई स्कीम ? 

सुनो सौरभ…. आज कहा सो कहा…. पर आज के बाद ऐसी घटिया बात मेरे सामने मत करना वरना मैं तुम्हारे शिकायत सिर्फ़ यहीं नहीं…. तुम्हारे घर भी कर दूँगा ।

और सचमुच जिस दृढ़ता के साथ आदित्य ने यह बात कही…. सौरभ डर गया और उसने उस दिन के बाद आदित्य से इस बात का ज़िक्र नहीं किया । 

पर ना जाने क्यों, उस दिन के बाद आदित्य कोमल की सुरक्षा को लेकर चिंतित सा रहने लगा । एक दिन रात के आठ/ साढ़े आठ का समय होगा , सभी लड़के मेज़ पर बैठे खाना खा रहे थे, कोमल फुर्ती से रोटियाँ बना रही थी और अंकल- आँटी खाना परोस रहे थे । तभी अंकल की माँ ने अंकल से बोली —-

सुधीर…. दौड़कर केमिस्ट की दुकान से मेरी दवा लेकर आ …. ध्यान ही नहीं रहा ….. मेरी तो दवा ख़त्म हो गई ।

आपको कितनी बार कहा है कि एक-दो दिन पहले बता दिया करो ….. कोमल ….. जा , तू लेकर आ …. तब तक दो-चार रोटी तेरी बुआ सेंक लेगी …. 

पर फूफाजी….. अंधेरा हो गया….. 

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अरे …. अँधेरा हो गया तो गया….. सड़क पर लोग हैं… जा देर मत कर ….

लाइए अंकल…. पर्चा मुझे दे दीजिए….. मुझे अपने लिए कुछ सामान लेने जाना है ।

उस दिन आदित्य को यक़ीन हो गया कि सचमुच कोमल इस घर में एक नौकरानी से बढ़कर कुछ नहीं वरना सर्दियों की रात में कौन यूँ जवान लड़की को अकेले जाने की बात कहेगा । उस दिन के बाद कोमल का विश्वास आदित्य पर बढ़ गया । वह उसकी बातों का जवाब देने लगी वरना न तो वह किसी दूसरे लड़के से बोलती थी और न ही जवाब देती थी । 

धीरे-धीरे आदित्य जान गया कि कोमल पी० जी० आँटी के किसी दूर के रिश्तेदार की बेटी है , गरीब किसान पिता ने तंगहाली से परेशान होकर आत्महत्या कर ली थी और माँ इसी सदमे से पागल होकर एक रात दो महीने की कोमल को बूढ़े ससुर की गोद में डालकर कहीं चली गई । तक़रीबन पंद्रह दिन बाद पास की नहर में से एक औरत का शव बरामद हुआ जिसकी पहचान तो नहीं हो पाई पर उसे ही कोमल की मृत माँ समझ लिया गया

। बस सहानुभूति और पढ़ाई का हवाला देकर शातिर बुआ- फूफा अपने साथ शहर ले आए । जहाँ सरकारी स्कूल में उसका एडमिशन करवा दिया गया और नन्ही सी जान को नौकरानी बना दिया हालाँकि दूसरों के सामने बुआ अपनी भतीजी के लाड़ लड़ाना कभी नहीं भूलती थी । 

बस यहीं से आदित्य ने मन में शायद शपथ ले ली थी कि वह कोमल को इन स्वार्थी लोगों से छुटकारा दिलवा देगा । बस समस्या केवल यह थी कि आदित्य के पास समय की कमी थी इसलिए एक दिन वह परीक्षा देने के बाद कोमल से पता लेकर उसके बूढ़े बाबा से मिलने गया ।आदित्य ने बाबा के सामने कोमल  से विवाह का प्रस्ताव रखा पर परेशानी यह थी कि बाबा कैसे एक अनजान  लड़के पर भरोसा करते

और अंकल -आँटी की मदद लेने का अर्थ था – बिल्कुल इंकार क्योंकि पिछले दो सालों से उनका बिज़नेस पूरी तरह से कोमल के कारण ही फल-फूल रहा था । आदित्य के पास न तो अभी नौकरी थी और उम्र तथा  क़द-काठी भी इतनी नहीं थी कि कोई उसका विश्वास करता । 

इसलिए आज आदित्य को अपने माता-पिता का साथ लेने के लिए कोमल के बारे में उन्हें बताना पड़ा । यहाँ भी वही हुआ । मम्मी-पापा ने उसकी बातों को गंभीरता से न लेकर बचपना कहा । 

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अभी ट्रेनिंग के लिए जाने में बीस दिन बचे थे और आदित्य की कोशिश तेज होती जा रही थी । कोमल इन सब बातों से अनजान थी । आदित्य चाहता था कि ट्रेनिंग पर जाने से पहले वह कोमल को यहाँ से निकाल लें क्योंकि अगर इन लोगों को उसकी हरकत की जानकारी भी हो गई तो ये किसी भी ऐरे-ग़ैरों लड़के से कोमल की शादी करवा देंगे । 

चार दिन से आदित्य लगातार मम्मी-पापा को समझाने की कोशिश कर रहा था पर …… थकहार कर उसने सारी बात अपनी बड़ी बहन और जीजा को बताई । पहले – पहल तो मम्मी-पापा ने उनकी बात नहीं सुनी पर अंत में वे केवल इस बात पर राज़ी हुए कि यदि कोमल के बाबा बिना ना-नुकर मान जाएँगे तभी आगे बात बढ़ेगी । ख़ैर कार्य तो मुश्किल था पर अब आदित्य अकेला नहीं था । 

उसके जीजा ने जोड़तोड़ करके कोमल के गाँव के प्रधान से जानकारी निकाली और अपने ससुर के साथ कोमल के रिश्ते की बात बाबा से की । गाँव के इतने प्रतिष्ठित व्यक्ति के प्रस्ताव को एक गरीब अकेला बूढ़ा कैसे इंकार करता ……. शायद ईश्वर को अनाथ कोमल पर दया आ गई थी । उसी दिन आदित्य के जीजा और बहन बाबा को साथ लेकर कोमल को लेने चले गए ।

अचानक  बाबा को देखकर और कोमल का विवाह पक्का कर देने की खबर से अंकल-आँटी के पैरों तले की धरती खिसक गई…… पहले तो उन्होंने बाबा को बहकाने फुसलाने की कोशिश की पर आदित्य की बहन और जीजा के सामने उनकी दाल ना गली । वे कोमल को साथ लेकर लौट आए पर उनके गाँव ना जाकर , जीजा के गाँव गए । अगले दिन 

आदित्य  भी अपने माता-पिता के साथ वहाँ पहुँच गया । 

सभी बड़ों ने फ़ैसला किया कि आदित्य की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद ही विवाह किया जाएगा तब तक कोमल भी कोरसपोंडेस से अपनी पढ़ाई जारी करेगी और उसके बाबा यहीं गाँव में रहेंगे। वैसे भी अपने गाँव में उनका था ही क्या …… मज़दूरी करके दो रोटी मिलती थी । 

तो ठीक है साले बाबू … अब तो ख़ुश हो ? कम से कम दो साल कोमल मेरी माँ के संरक्षण में उनकी बेटी बनकर रहेगी….. और हमारे गाँव का रिवाज है कि बिना विवाह के यहाँ लड़के-लड़की का मिलना अच्छा नहीं समझा जाता । हाँ….. कभी मन हो तो हम इसे अपने पास दिल्ली बुला सकते हैं…. 

नहीं जीजू….. मैं कोई ऐसा काम कभी नहीं करूँगा कि मेरे माँ- बाप की परवरिश पर कोई उँगली उठाए …..

तभी आदित्य के जीजा ने देखा कि उसके सास- ससुर चश्मा हटाकर आँखें पोंछ रहे थे । सच में – उसने बात  ही ऐसी कही कि माँ- बाप की आँखों से आँसू छलक आए । 

ठीक दो साल बाद कोमल और कैप्टन आदित्य का विवाह बड़े ही सादे समारोह में बड़ों की उपस्थिति और आशीर्वाद के साथ संपन्न हुआ । 

करुणा मलिक 

#उसने बात ही ऐसी की कि मां बाप के आंसू निकल आए

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