बाबुल – अयोध्याप्रसाद उपाध्याय   : Moral Stories in Hindi

मेरी मुन्नी को बाबुल की दुआएं कोई काम नहीं आई कह कह कर रो रहे थे और माथा पीट रहे थे। अचानक उनको रोते हुए देख सुन कर आस-पास के लोग एकत्र हो गये। सबके सब ऐसा देखकर हतप्रभ थे। आखिरकार क्या हो गया?

उजड़ गया —-उजड़ गया, मेरी मुन्नी का सुहाग उजड़ गया। हे भगवान आपने यह क्या कर दिया? अगर कुछ करना ही था तो मुझे मार डालते। अब मैं जीवित कैसे रहूंगा? आपने उसके सुहाग को सूना कर दिया। उस पर तो दुख का पहाड़ टूट गया है भगवन्। अब उसका क्या होगा? उसकी नइया कौन पार लगायेगा?

रोते और कहते — हे प्रभु आपने बहुत बड़ा दुख मुन्नी को दे दिया है। उसे सहन करने की शक्ति दीजिए। उसके छोटे-छोटे बच्चे अनाथ हो गये।इसी अल्पायु में उसे वैधव्य की असहनीय पीड़ा झेलने के लिए आपने मजबूर कर दिया। हे ईश्वर, उसे मजबूती प्रदान कीजिए।

मैं उसका बाबुल हूं। किस काम का हूं? जो उसकी मदद नहीं कर सकता। हे ईश्वर यदि मेरी जान लेकर विकास को जीवन दे सकते हैं तो मैं तैयार हूं।

विकास और मुन्नी का विवाह आज बीस इक्कीस साल पहले हुआ था। वह एक प्राइवेट कंपनी में नौकरी करता था और मुन्नी भी एक सामान्य सरकारी कर्मचारी थी। दो संतान थी । एक बेटा और एक बेटी। दोनों बहुत ही सुन्दर और खुशमिजाज। पढ़ने लिखने में भी ठीक-ठाक। अनुशासन में रहने वाले। माता पिता के साथ ही दादा दादी के भी दुलारे। एक उच्च मध्यम वर्गीय परिवारों की तरह वह भी परिवार था। आवश्यकता पूरी करने की क्षमता थी। सब कुछ अपने ढंग से चल रहा था।दो तीन साल पहले ही विकास के पिता जी का देहावसान हो गया था। उनकी माता जी थीं। बच्चों को संभाल लिया करती थी।

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बेटा इंटर कॉलेज पास करके आगे की पढ़ाई करना चाहता था। बेटी छठी कक्षा की छात्रा थी। इसी बीच विकास लखनऊ से लौटते समय दुर्योग से दुर्घटनाग्रस्त हो गया था और वह अपनी गाड़ी में ही सड़क किनारे बेहोशी की हालत में था। हादसा बहुत ही गंभीर था। गाड़ी में जीवन और मौत से जूझ रहा था।

आस-पास भीड़ इकट्ठी हो गई थी। उसी भीड़ में से एक नवदम्पत्ति ने अपने साहस का परिचय देते हुए उसे बगल के एक अस्पताल तक पहुंचा दिया और डॉ को सारी जानकारी दी। लेकिन डॉक्टर बिना किसी गार्जियन के उसे भर्ती करने से मना कर दिया था। लेकिन उन्होंने कहा —” डॉ साहब आप ऐसा समझें कि हम इसके अभिभावक हैं। जो भी खर्च होगा हम वहन करेंगे। और जो कुछ भी जोखिम की बात होगी वह भी मैं अपने ऊपर लेने के लिए तैयार हूं। मानवता के नाते आप बिना विलम्ब किये इलाज कीजिये। ” इसी दरम्यान विकास के मोबाइल फोन पर एक काॅल आया। विभा ने पूछा आप कौन हैं? जवाब आया मुन्नी। विभा ने अपने पति रमेश को मोबाइल दे दी।

उन्होंने बताया कि —” विकास अभी नारायण साईं अस्पताल में इलाज के लिए भर्ती हैं। आप जल्द ही आ जाइये। ‘

मुन्नी शीला को साथ लेकर अस्पताल के लिए रवाना हो गई। वहां देखा तो वह बेहद गंभीर रूप से घायल और बेहोश है। उसे अस्पताल तक ले जाने के लिए मुन्नी ने उनका धन्यवाद किया। उनसे परिचय पूछा तो उन्होंने बताने से इंकार किया और मुन्नी को ढाढस बंधाते हुए अपने गंतव्य के लिए प्रस्थान कर गये। यह खबर

बाबुल को जब मिली तो वहां जाने के लिए बेचैन हो गये।

आईसीयू में आज विकास का तीसरा दिन है। बाबुल के पहुंचने से पहले ही उसे होश आ गया था। मुन्नी बाबुल को देखते ही रो पड़ी। बाबुल ने समझाया —” मुन्नी बेटा, दुख आया है दूर हो जायेगा। घबराओ मत। समय है बीत जायेगा।

अब विश्वास हो गया कि विकास को नवजीवन मिल जायेगा। शीला जो मुन्नी की सासु मां हैं,उनको भी सांत्वना दी कि हम सब पर भगवान की कृपा है। एक बहुत बड़ा हादसा टलने वाला है।”

डॉ ने उनको बताया कि—” विकास जी अब पूरी तरह से खतरे से बाहर निकल आये हैं। घबराने की जरुरत नहीं है ।”

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पूरे परिवार को राहत की सांस मिली। सबने मिलकर ईश्वर का धन्यवाद किया। मुन्नी ने अपने बाबुल से कहा —” आप घर पर चले जाइए। मां अकेली ही थी।

बहुत चिंतित होगी। उसे जाकर इनके स्वास्थ्य के बारे में जानकारी देंगे तो वह अच्छा महसूस करेगी। “

बाबुल अपने को रोक नहीं पाया —” मुन्नी, मेरा यहां से जाना ठीक नहीं होगा।कब किस चीज की जरुरत पड़ जाय। मैं रहूंगा तो सहुलियत रहेगी और तुम बहुत परेशान नहीं होगी। वैसे तुम्हारी मां तो वहां ठीक ही होंगी। “

लेकिन मुन्नी ने ज़िद करके बाबुल को भेज दिया। घर आकर सब हाल बतलाया।

मुन्नी की मां खुश हुईं। और अपने विकास के लिए ढेर सारी मन्नतें मांगी।

दो दिनों के बाद बाबुल अस्पताल गया। पहले से वह बहुत ही अच्छा था। मुन्नी भी खुश थी और शीला भी। मुन्नी की मां द्वारा मांगी गई मन्नतों की चर्चा की। मुन्नी की आंखों में आंसू आ गये। ये प्रेमाश्रु थे। मां की ममता के लिए।

अब डाक्टर समेत सभी आश्वस्त हो गये थे कि विकास अब जल्द ही ठीक होकर घर लौट जायेगा।

दुर्घटनाग्रस्त और क्षतिग्रस्त हो चुकी गाड़ी भी पुलिस कस्टडी में भेज दी गई थी।

आज सातवां दिन है। विकास बातें करने लगा है। मुन्नी के मन को शांति मिली है। शीला बेटे के मस्तक को बार-बार चूमती और दीर्घायु होने का आशीर्वाद देती।

बाबुल ने मुन्नी से पूछा तो उसने कहा —-” हां बाबुल, आप घर जाइए। मां को यहां का समाचार सुना दीजियेगा। वह जानकर खुश होगी।”

बाबुल के घर आने के दो दिनों बाद डॉक्टर ने मुन्नी को बताया कि सब कुछ ठीक है, “लेकिन कुछ खास बात यह है कि इनकी किडनी में हल्का सा इंफेक्शन दिखाई दे रहा है। जिसके कारण इनको कुछ दिनों रह कर इलाज करवाने की जरुरत होगी।”

किडनी में इंफेक्शन की बात से मुन्नी भयभीत सी हो गयी। दौड़ती हुई डाक्टर के पास आई। बेचैनी भरा स्वर निकला  — अब क्या होगा? डॉ ने समझाया कि वह बहुत गंभीर मामला नहीं है। एक दो इंजेक्शन लगाने से वह ठीक हो जायेगा। मुन्नी वापस आ गयी। विकास ने उससे पूछा —” डॉ ने क्या कहा? “

” किडनी में हल्का  इंफेक्शन सा हो गया है, जिसका इलाज आवश्यक है “—मुन्नी ने कहा।

विकास ने कहा — ” वैसे तो मुझे कोई पेशाब में तकलीफ़ नहीं है। फिर भी कोई बात तो होगी ।”

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इंफेक्शन का इलाज शुरु हो गया। डॉ सुधार होने की बात करता रहा था। एक दिन अचानक ही विकास कुछ देर के लिए पुनः बेहोश हो गया। फिर उसे आईसीयू में भर्ती करना पड़ा। इंफेक्शन क्रमशः बढ़ता गया जिससे ब्लड प्रेशर बढ़ने लगा और हृदयगति में भी उतार चढ़ाव होने लगा।

शुगर लेवल पर भी इसका असर पड़ने लगा जिससे वह जरुरत से ज्यादा कम हो गया। ब्लड प्रेशर भी लो हो गया। डॉ के अनुसार उन्हें बढ़ाने के लिए दवाएं दी जा रही हैं किन्तु वे सब के सब बेअसर साबित हो रही हैं।

डॉक्टरों की एक टीम ने यह निर्णय लिया कि —” इस मरीज़ को आगे के इलाज के लिए दिल्ली एम्स में ले जाया जाय।”

दिल्ली ले जाने के लिए एयर एंबुलेंस की तैयारियां पूरी कर ली गई थी। जैसे ही विकास को एयरपोर्ट पर लाया गया वैसे ही उसे हिचकियां आने लगी। मुन्नी छाती और पीठ सहलाती रही। इसी दौरान एक ऐसी जोर की हिचकी के साथ विकास सदा सदा के लिए शांत हो गया।

खबर पाकर बाबुल जोर जोर से रो रहा था और लोगों का हुजूम उसे ढाढस बंधा रहा था। मेरी मुन्नी बाबुल की दुआएं तुम्हारे कोई  काम नहीं आई। मां की मन्नतें पूरी नहीं हो पाई।

अयोध्याप्रसाद उपाध्याय, आरा

मौलिक एवं अप्रकाशित।

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