मैं जल्दी ही लौट कर आऊँगा….. – रश्मि प्रकाश   : Moral Stories in Hindi

 अपने दिलो दिमाग़ से लड़ती कज़री अपने कमरे से एक एक सामान समेट रही थी…. आँखों से आँसू थमने का नाम नहीं ले रहा था….ससुराल वालों के तानों से आहत मन और दिमाग़ में उनके बातों के हथौड़े के चोट से वो पूरी तरह घायल हो चुकी थी…. बेटी की ये हालत देख कर उसके माँ बाप भी अब उसे यहाँ एक पल भी रहने नहीं देना चाहते थे ।

“ बेटा अब चले…. बस का वक़्त हो रहा है फिर बस नहीं मिलेगी ।” रामलाल ने कज़री के पास आकर कहा 

“ हाँ पापा…. बस एक आख़िरी कीमती सामान ले लूँ ..फिर चलती हूँ ।” कज़री ने कहा 

 कज़री अपने कमरे से एक तस्वीर उतार कर अपने पास रखे बैग में रखी और अपने ससुराल वालों को आख़िरी बार प्रणाम कर घर से निकल गई …. उसके जाने का दुख बस एक ही इंसान को हो रहा था वो थे उसके ससुर जी…. जो कज़री से स्नेह रखते थे ।

वो अपनी पत्नी से कह कह कर थक चुके थे उसकी हालत तो देखो जरा सोच समझ कर बोलो एक तो हमारा तपन छोड़ कर चला गया और तुम बहू के साथ साथ अपने तपन की आने वाली संतान को भी कोसने से बाज नहीं आती हो।”

ये सब सुन कर कजरी की सास कहती ,” जब हमारा तपन ही नहीं रहा तो मुझे इससे कैसी भी हमदर्दी नहीं है दूसरे घर की है हमारे दुख को कभी नहीं समझेगी मेरे बेटे की जगह इसकी जान क्यों नहीं चली गई।” ये सब कह कहकर कजरी को वो एक महीने में ही इतना दुखी कर दी थी कि वो इस हालत में भी भूखी रह जाती ।

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ये सब देख कर ही उसके ससुर ने दिल पर पत्थर रख कर अपनी बहू के माँ बाप को बुलवा कर उसे उनके साथ भेजते हुए हाथ जोड़ सिर झुका लिए ।

कज़री अपने घर आ गई थी… माँ बाप ने तो बेटी को  सिर माथे रख लिया … भाई ने भी छोटी बहन की तकलीफ़ देख उसे प्यार से अपना लिया था पर उसकी भाभी नीति  को कज़री का आना जरा भी नहीं सुहा रहा था।

कज़री के लिए माता-पिता ने उपर का कमरा खुलवा दिया था….ससुराल से इस तरह आना उसे जरा भी अच्छा नहीं लग रहा था….पर कज़री करती भी तो क्या जब उस घर में उसका अपना कहने वाला ही साथ छोड़ गया था…. फिर सास के तानों की बौछारों से उसके अंदर जीने की चाहत भी ख़त्म होने लगी थी…. कई बार वो खुद को ख़त्म करने का प्रयास कर चुकी थी…. ऐसे में ससुर ने ही उसके माता- पिता से उसे यहाँ से लिवा ले जाने के लिए कहा था ।

कज़री अपने घर से फिर मायके की दहलीज़ पर आ गई थी पर अब ये मायके का घर उसे पराया लग रहा था…. जीवन के ना जाने कितने साल इस घर में गुज़ार दिए थे फिर भी साल भर जिस घर में रही वो अपना और ये बेगाना सा क्यों लगने लगा है…. सोचते सोचते कज़री अपने बैग से तस्वीर निकाल कर बिलकुल सिरहाने पर रखे मेज पर रख दी…..

तकिए पर सिर रख कर अपलक उस तस्वीर को निहारने लगी…. देखते देखते कब आँखों के कोर गिले होने लगे कज़री को तो पता भी नहीं चला…. 

“ क्या सोच रही हो कज़री?“ तपन की आवाज़ सुनाई दी 

“ कुछ नही बस यही सोच  रही हूँ ये ज़िन्दगी अब कैसे कटेगी…. महीने भर पहले तक मेरी ज़िन्दगी किसी रानी से कम नहीं थी पर अब मेरी हालत देखो…. क्या अभी भी तुम्हें नहीं लगता अपनी कज़री को तुम्हें साथ लेकर जाना चाहिए था …. तपन ये दुनिया बहुत बुरी है ….

तुम्हारे रहने पर जो मुझे सिर माथे पर रखते थे आज वही मुझे ना जाने क्या क्या कहकर बुला रहे हैं….. तुम आ जाओ ना तपन … तुम्हारे बिना रहना बहुत मुश्किल हो रहा…. बोलो कब तक आओगे?” कज़री ने पूछा 

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“ जल्दी ही आऊँगा कज़री तुम बस खुश रहना…. तुम कभी उदास मत होना देखना जल्दी ही आऊँगा तुम्हारे पास।” तपन की आवाज़ कज़री को दूर जाती महसूस होने लगी थी 

“ रूक जाओ तपन …. मुझे छोड़ कर मत जाओ…।” कज़री जोर ज़ोर से बोलने लगी 

“ क्या हुआ मेरी बच्ची….किसको रोक रही है ।” कजरी की माँ हेमलता जी उसकी आवाज़ सुनकर आ गई थी साथ ही साथ उसके बापू भी कमरे में आ गए थे 

कज़री उठ कर कमरे में चारों तरफ़ निगाहें घुमाई पर तपन वो दिखाई नहीं दिया ।

“ माँ तपन अभी यही था ना जाने कहाँ चला गया… बोल रहा था जल्दी ही आऊँगा ।” कहकर कज़री रोने लगी 

“ बेटा कब तक रो रो कर तपन को याद करती रहेगी….. बेटा तू जितना रोयेगी तपन को उतनी ही तकलीफ़ होंगी…. वो भी कहाँ जाना चाहता होगा तुम्हें छोड़ कर पर भगवान को शायद उसकी ज़्यादा ज़रूरत रही होगी ।” हेमलता जी कज़री को सीने से लगाए बोली

“ हाँ माँ पता नहीं वो कौन सा मनहूस दिन था जब मुझे मूवी दिखाने बुला लिया…. रास्ता मुझे क्रास करना था पर उसने मुझे मना कर खुद ही मेरे पास आने लगा और वो बिना देखे रास्ता क्या क्रास किया और सामने से आती बस ने मेरे तपन को….इससे अच्छा तो मैं ही चली जाती किसी पर बोझ तो ना बनती ।”कहकर कज़री जोर ज़ोर से रोने लगी 

ये सुन कर उसके माँ बाप सहम गए 

उसने बात ही ऐसी की कि माँ बाप के आँसू छलक आए ।

“ बेटा ज़िन्दगी में सब कुछ वैसा ही नहीं होता जैसा हम सोचते हैं पर अगर हमें ज़िन्दगी मिली है तो उसे अच्छी तरह जीने की कोशिश करो…. फिर से अपने पैरों पर खड़ी हो और अपने तपन को खुश रह कर दिखाओ जैसा वो हमेशा से चाहता था…. बेटा हम जबतक हैं तुम्हारे साथ रहेंगे…. पर पूरी ज़िन्दगी तो हम साथ नहीं रह सकते हैं ना…. जाने वाला तो चला गया…. उसके घर वालों ने बहुत बुरा सलूक किया

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तुम्हारे साथ पर अब बस बेटा….हम दोनों ही यही चाहते हैं तुम उन सब से उबर कर अपनी ज़िन्दगी में आगे बढ़ो…. अपनी नौकरी पर फिर से जाना शुरू करो….और हाँ याद रखना हम तुम्हारे साथ है और तपन के पिता जी ने हमसे कह दिया था बिटिया की ज़िन्दगी में फिर से बहार आने दीजिएगा…… उसे तपन की विधवा बन कर श्रृंगारविहीन नहीं रखिएगा मेरा तपन कज़री को हमेशा रंगो में देखना पसंद करता था…..

चल अब अपने ये सादे कपड़े बदल और तपन के लिए खुद को संवार ले।” हेमलता जी ने कज़री को प्यार से समझाते हुए कहा 

कज़री पास रखे तपन की तस्वीर हाथों में लेकर उसे देख रही थी ऐसा लग रहा था मानो वो कह रहा हो,“ अब तुम आगे बढ़ो कज़री….. मैं किसी ना किसी रूप में तुम्हारे साथ रहूँगा….. ।”

कज़री अब फिर से अपने काम पर जाने लगी थी….इस उम्मीद में की अब उसे देख कर तपन को तकलीफ़ नहीं होगी…. प्यार सशरीर साथ हो ना हो… उसका एहसास भी कभी कभी ज़िन्दगी जीने को मजबूर कर देता है क्योंकि कज़री अकेली कहाँ थी तपन का अंश भी तो उसके गर्भ में पल रहा था जो तपन के रूप में उसके साथ ही तो था।

धीरे-धीरे मायके में कजरी को फिर से वही सब महसूस होने लगा जो पहले उसे होता था….भाभी भी उसके दर्द को समझ कर उससे स्नेह रखने लगी और कजरी मायके में रहकर उनके साथ अपने आने वाले बच्चे के स्वागत के लिए खुद को तैयार करने लगी क्योंकि इसी बच्चे के रूप में तो उसका तपन लौट कर आने वाला था।

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धन्यवाद 

रश्मि प्रकाश 

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# उसने बात ही ऐसी की माँ बाप के आँसू छलक आए

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