सुलक्षणा ड्राइंग रूम में बैठकर अखबार पढ़ रही थी कि तभी उसका बेटा अतुल उसके पास आकर कुर्सी पर बैठते हुए दुखी स्वर में बोला “मम्मी जी हमारे तो कर्म हीं फूट गए जो ऐसी संतान को जन्म दी सर में तेज दर्द हो जाए तो तो बेटा हाल-चाल भी नहीं पूछता 2 घंटे से सिर में बहुत दर्द हो रहा है परंतु ,मजाल है जो अनुज ने एक बार भी दवाई के लिए पूछा हो।”
यह सुनकर सुलक्षणा मुस्कुराते हुए बोली” तुम्हारे कर्म नहीं फूटे बल्कि तुम्हारे बेटे पर तुम्हारा परछावा पड़ गया है बेटा परछावा तो अपनों का ही पड़ता है जो जैसा कर्म करता है वह वैसा ही फल पाता है।”आज तुम्हारे सिर में दर्द हो गया तो तुम्हें एहसास हो रहा है कि जब बेटा दुख में अपना हाल-चाल नहीं पूछता तो कितना बुरा महसूस होता है
तुमने सोचा कभी जब तुम मेरे साथ और अपने पापा के साथ ऐसा करते हो तो हमें कितना बुरा लगता होगा पिछले महीने जब तुम्हारे पापा को बुखार आ गया था
तब तुम उन्हें देखकर उनको दवाई दिलवाना तो दूर उनका हालचाल पूछे बगैर ही ऑफिस चले गए थे तब तुम्हारा ऐसा व्यवहार देख कर वे बहुत दुखी हुए थे तब तेरी पत्नी मनोरमा ने उन्हें समझाया” कोई बात नहीं यदि बेटा दुख में नहीं पूछता तो मैं तो हूं मैं आपको दवाई दिलवा कर लाऊंगी फिर मनोरमा उन्हें डॉक्टर के यहां से दवाई दिलवा कर लाई थी और जब तक उनका बुखार नहीं उतरा बहू ने उनकी बहुत सेवा की तब बहू का अपनापन देखकर मुझे बहुत खुशी हुई थी।
कुछ दिनों पहले जब मेरा ब्लड प्रेशर हाई होने के कारण मुझे चक्कर आ रहे थे मेरा दिल बुरी तरह से घबरा रहा था तब तुमने मुझे डॉक्टर को दिखाने की बजाय यह कहा” बुढ़ापे मैं कमजोरी के कारण ऐसा हो जाता है थोड़ी देर आराम करोगी तो ठीक हो जाओगी” ऐसा कहकर तुम अपने कमरे में जाकर लेट गए थे
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वह तो अच्छा हुआ जो मनोरमा और तुम्हारा बेटा अनुज उसी वक्त मुझे अस्पताल ले गए थे डॉक्टर ने दवाई देकर मेरा ब्लड प्रेशर कंट्रोल कर लिया था नहीं तो डॉक्टर के अनुसार जरा सी देर होने पर मुझे दिल का दौरा भी पड़ सकता था
उस वक्त अनुज और मनोरमा तुम्हारी लापरवाही पर बहुत दुखी हुये थे । अनुज दुखी होकर मुझसे कह रहा था” पापा को तो किसी का दर्द दिखाई नहीं देता जब किसी दिन उन को दर्द होगा तब हम भी उनको नजरअंदाज कर देंगे तब
देखना उनको कितना बुरा लगेगा क्योंकि किसी किसी इंसान को तभी अक्ल आती हैं जब हम उसके साथ भी वैसा ही सलुक करते हैं बड़ी मां पापा को इतना खुदगर्ज नहीं होना चाहिए जो सिर्फ अपने बारे में सोचें औरों के बारे में नहीं” तब उसकी बात सुनकर मैं खामोश हो गई थी
क्योंकि मुझे पता था इसमें गलती तेरी ही थी बेटा तुझसे अच्छी तो तेरी बहू और बेटा है कम से कम वे दुख में हमारा ख्याल तो रखते है तू तो किसी की परवाह ही नहीं करता किसी के दुख को नजर अंदाज करने की बजाय दुख दूर करने की कोशिश करनी चाहिए ऐसा मनुष्य देवता कहलाता है
जो मनुष्य किसी को दुख में देख कर उसका सहयोग करने की बजाय उसे नजरअंदाज कर दे तब दिल में उसके प्रति प्यार कम होने लगता है एक दूसरे की सेवा करने से ही एक दूसरे के प्रति दिल में प्यार और सम्मान बढ़ता है।
अपनी मम्मी की बातें सुनकर अतुल शर्मिंदा हो गया था वह बोला” आज के बाद में किसी के साथ ऐसा नहीं करूंगा मुझे माफ कर दो तब उसकी मम्मी बोली” ठीक है बेटा मैंने तुम्हें माफ कर दिया परंतु ,आगे से ध्यान रखना ऐसी गलती दोबारा ना होने पाए तभी उसका बेटा अनुज डॉक्टर की सलाह से उसे सिर दर्द की दवाई देते हुए
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बोला” हम सब ने जानबूझकर आपकी गलती का एहसास कराने के लिए आपका हालचाल नहीं पूछा था लो इस दवाई से तुम्हारा सिर दर्द दूर हो जाएगा” अनुज की बात सुनकर उसने दवाई तो ले ली थी परंतु, दवाई के साथ-साथ उसे कड़ा सबक भी मिल गया था जब दुख में किसी की मदद नहीं करते तो कैसा लगता है?”
आज भी हमारे समाज में ऐसे बहुत से लोग होते हैं जो दूसरों के दुख को देख कर उसे नजरअंदाज कर देते हैं परंतु, जब खुद को दर्द होता है तो जब उन्हें कोई नजर अंदाज कर देता है तो उन्हें बुरा लगता है इसलिए दुख के समय किसी की सेवा पाने के लिए अपनो के दुख में उनकी सेवा जरूर करें क्योंकि कभी-कभी इंसान का परछावा उसके बच्चों पर भी पड़ जाता हैं।
#हमारे तो कर्म ही फूट गए जो ऐसी संतान को जन्म दी
लेखिका : बीना शर्मा