दहेज – बिंदेश्वरी त्यागी : Moral Stories in Hindi

मेरे रिश्तेदार के यहां लड़की की शादी थी हम सब लोग वहां गए l उनकी सबसे बड़ी बेटी थी काफी खोज भी करने के बाद अच्छा रिश्ता मिला था l लड़का इंजीनियर था छोटा परिवार था l लड़के वालों को भी लड़की पसंद थी l वह काफी खुश थे l

उन्होंने मुझे बताया की लड़के के माता-पिता ने नगद रकम पहले ही तय कर ली थी l और घर का सारा सामान भी उन्हें ब्रांडेड ही चाहिए था l राज किशोर जी जो की लड़की के पिता थे उनको यह रिश्ता जम रहा था इसलिए उन्होंने लड़के वालों की सभी मांग स्वीकार कर ली थी l

नजदीकी रिश्तेदार थे इसलिए हम लोग कुछ पहले ही पहुंच गए थे l शादी की शुरुआत हो रही थी धीरे-धीरे करके छोटे बड़े कार्यक्रम विधि विधान के अनुसार पूरे हो रहे थे l सभी घर वाले बड़े उत्साह से शादी का कार्यक्रम संभाल रहे थे l

परिवार के हिसाब से सभी कार्यक्रम पूरे हो चुके थे और अब बारात आने वाली थी l कन्या की सभी सहेलियां बारात और दूल्हा देखने के लिए बाहर निकल आई थी l सब कुछ देखने के बाद सहेलियों और कन्या की छोटी बहन अंदर जाकर कह रही थी

की बहुत सुंदर जोड़ी है लड़की मन ही मन बहुत खुश हो रही थी l

बारात दरवाजे पर आ गई तभी सहेलियों और कन्या की बहने जयमाला के लिए लड़की को लेकर चली l बहुत सुंदर स्टेज सजाई हुई थी जिस पर दूल्हा आ चुका था दुल्हन जयमाला लेकर आई और सभी रिश्तेदारों ने और सहेलियों ने मिलकर जयमाला कार्यक्रम संपन्न कराया l

आप फेरों की बारी थी जो सुबह 4:00 बजे होने थे l स्टेज पर फोटोग्राफी होने के बाद सहेलियां लड़की को अंदर ले गई और फेरों की तैयारी शुरू हो गई l सुबह विदाई होनी थी इसलिए धीरे-धीरे कर दहेज का सामान भी मंडप के नीचे लगाया जा रहा था l

जिससे कि सारे रिश्तेदार दहेज का सामान देख ले l फेरों के बाद लड़की अंदर चली गई थी l मंडप के नीचे सभी सामान लगने के बाद लड़के के पिता को सामान की लिस्ट सौंप दी गई l और विदाई की तैयारी होने लगी l

दहेज का सारा सामान देखने के बाद घर के पिताजी बोले की वाशिंग मशीन ऑटोमेटिक तय हुई थी यह तो नॉर्मल वाली है l वे बोले विदाई तभी होगी जब यहां वाशिंग मशीन ऑटोमेटिक रखी जाए या उसकी कीमत 30000 रुपए नगद रखे जाएं l यह सुनकर सभी रिश्तेदार चुपचाप खड़े रहे उन्हें समझ में नहीं आ रहा था की किस क्या कहें l

तभी राज किशोर जी हाथ जोड़कर बोल की समाधि जी मैं पिछले महीने ही रिटायर हुआ हूं मेरा पैसा अभी नहीं निकल पाया है l मेरे पैसे निकलते ही मैं आपको ऑटोमेटिक वॉशिंग मशीन या फिर उसकी कीमत जो आप चाहे दे दूंगा l

लेकिन घर के पिता ने एक नहीं सुना और बोले की कुछ भी करो जो देने का वादा किया था उसमें कोई फेरबदल नहीं होगा तभी विदाई होगी l

यह सुनकर राज किशोर जी और उनकी पत्नी दोनों रोए जा रहे थे और राजकिशोर जी हाथ जोड़कर खड़े थे l

दोनों पक्ष के रिश्तेदार घर के पिता को समझने में लगे हुए थे लेकिन वह कुछ सुनने को तैयार नहीं थे l वह अपनी जिद पर जिद पर अड़े हुए थे l

बहुत देर हो गई तो भीड़ में से एक नवयुवक निकाल कर आया और वर्क के पिता से गुस्से से बोल कि आप हमारी बेइज्जती करने के लिए यहां लेकर आए है l और उनके सामने अपनी चेक बुक रखकर गुस्से से बोला कि यह लीजिए इसमें अपनी मनचाही रकम भर लीजिए और शांति से विदाई होने दीजिए l यह पैसे मैं आपको दान में नहीं दे रहा ब्याज सहित वापस भी लूंगा l

वह बोला कि अभी पिछले साल ही आपकी बेटी से मेरी शादी हुई है तब मैं या मेरे घर वालों ने आपके सामने तो कोई मांग नहीं रखी थी सब काम शांति से हुए थे l लेकिन आप जब भी मैं आपकी बेटी को लेने आऊंगा आपके सामने एक नई मांग रखूंगा और आपको मेरी मांग पूरी करनी पड़ेगी तभी मैं आपकी बेटी को लेकर जाऊंगा l

यह सुनते ही दूल्हे के पिता शर्म से पानी पानी हो गए और हाथ जोड़कर सभी से माफी मांगने लगे l उन्होंने अपने दामाद से भी माफी मांगी l यह सभी रिश्तेदारों से माफी मांगते हुए बोले कि मुझे माफ कर दीजिए मुझसे गलती हो गई l

कन्या के पिता से नजरे झुका कर बोले की भाई मुझे माफ कर दीजिए और जल्दी से विदाई की तैयारी शुरू कर दीजिए l

पूरा वातावरण हंसी खुशी से भर गया और कन्या विदा होकर अपने ससुराल पहुंच गई l

आज के समाज में ऐसे ही लव युवकों की आवश्यकता है जो कि समय पर जैसे को पैसा जवाब दे सकें तभी समाज में दहेज प्रथा को समाप्त कर सकेंगे l

बिंदेश्वरी त्यागी 

स्वरचित

अप्रकाशित

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