अपना घर अपना घर ही होता है| – दुर्गा राठी  : Moral Stories in Hindi

मैं दुर्गा राठी साजा  छत्तीसगढ़ आपका ऐड पड़ा सोचा प्रतियोगिता का विषय बहुत ही अच्छा है और वाक्य भी देखा जाए तो यह प्रतियोगिता बेटियों पर आधारित है लेकिन आपने कहा कि आपको एक वाक्य दिया जाएगा उसे पर आपको अपनी कहानी लिखना है अब हम अपने विषय पर चलते हैं कि अपना घर अपना घर ही होता है यानी क्या?

आइये आज मैं आप सभी को बताना चाहती हूं कि अपना घर यानी अपना ही होता है यानी क्या देखिए हम जब पैदा होते हैं तो अपने मां बाबूजी के घर यानी मायका पीहर लेकिन बचपन में यह सभी कुछ मायके में मायने नहीं रखता क्या मायका ससुराल तो कभी सोचा ही नहीं था कि क्या अपना घर होता है और क्या पराया| सुना था

अपना घर लेकिन ध्यान नहीं दिया जब तक हमारी शादी नहीं होती तब तक अपना घर यानी मां बाबूजी का घर यानी पीहर जहां हम हमारे मर्जी से चलते हैं जैसे मनचाहा वैसे करते हैं जिद्दी करते हैं किसी की बात नहीं सुनते और भी बहुत कुछ वैसे वह दोनों में भी बहुत मजा आता है मां-बाप का प्यार दुलार मिलते रहता है

मां बाप के घर हम पूरी जिंदगी नहीं बिता सकते ठीक उसी तरह कहते हैं लड़की के दो घर होते हैं एक पीहर और दूसरा ससुराल मैंने कहा कि मां-बाप के घर हम पूरा जीवन तो नहीं बिता सकते ठीक उसी तरह जब मैं शादी होकर ससुराल लाई तो कुछ समझ नहीं आया अपना क्या और पराया ससुराल में एक डर सा महसूस होता था

वैसे उसे लिहाजा कहा जाता था एकदम नयापन नए लोगों के बीच में रहना सभी कुछ नया-नया होता था आपको बता दूं कि जब मेरी शादी हुई तब यहां पुराने रीति रिवाज घूंघट बहुत कुछ पुरानी रीति रिवाज थे सभी चीजों तो भी मैंने सभी चीजों को सम्मान किया क्योंकि मुझे पता था कि मुझे यही रहना है पुरानी कहावत है

मां-बाप के घर से डोली निकलती है और पति के घर से अर्थी तब हमको समझना चाहिए कि पति का घर ही अपना घर होता है फिर भी बहुत दिनों तक नहीं समझ पाई कि आखिर मेरा घर कौन सा?

धीरे-धीरे समय बिता रहा अपनेपन का एहसास होने लगा परिवार वाले बहुत प्यार करने लगे देवर नंद भी बहुत प्यार करते थे बड़ी भाभी तो इस परिवार की बड़ी बहू प्यार तो इतना करते थे कि मेरी एक खरोच पूरे परिवार की चोट रहा करती थी अब मैं आपको सही मायने में बताना चाहती हूं

कि अपना वास्तविक घर क्या है मेरा अपना घर स्वर्ग से भी सुंदर है वह है मेरा अपना ससुराल जहां मुझ पर कोई बंदिशे नहीं है| आजाद पंछी की तरह अब समझ में आ गया कि अपना घर अपना होता है यानी ससुराल कितने भी महलों में रह जाओ आठ दिन अच्छा लगेगा

लेकिन नववे  दिन अपने घर की याद आएगी क्योंकि हमारी उसे घर में यादें जुड़ी होती है बच्चों को लाड लडाया होता है तो वह घर यानी अपना घर और अपना घर यानी ससुराल|

आज अगर हम पीहर जाते हैं तो मेहमान जैसे लगता है 8 दिन से ज्यादा मन नहीं लगता कोई एक शब्द ऊंची आवाज में कह दे तो रोना आता है तो वह अपना घर कैसे हुआ अपना घर अपना होता है अपने घर आओ तो सुकून मिलता है धीरे-धीरे समझ में आ गया की ससुराल ही

अपना घर होता है समय के साथ परिवर्तन होता है कोई बड़ी बात नहीं मैं तो अपने घर में बहुत खुश हूं यानी की ससुराल मेरा अपना घर है जहां मैं अपने परिवार के साथ रहती हूं यह मेरी अपनी कहानी है मेरा अपना घर मेरे बच्चे मेरे पति अपना घर आज के वर्तमान युग में कुछ नहीं कह सकते

लेकिन आपने कहा अपनी कहानी बताइए तो मेरी अपनी कहानी मेरे अपने शब्द मेरा अपना घर धन्यवाद अपना घर अपना ही होता है इस बात से मैं सहमत हूं मेरा ससुराल मेरा अपना घर है शब्दों को ध्यान में रखते हुए मैं इस कहानी को यहीं समाप्त किया है

वैसे मां-बाप की सेवा करनी चाहिए मेरा मानना यही नहीं की मां-बाप का घर अपना नहीं होता लेकिन अपने मां-बाप के सुख-दुख में हमको शामिल होना चाहिए क्योंकि वह भी हमारे जन्मदाता है| 

  श्रीमती दुर्गा राठी, साजा 

धन्यवाद|

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